सनातन परंपरा में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जिस प्रकार हर देवी-देवता का अपना एक वाहन होता है, ठीक ऐसे ही हर देवी-देवता का अपना एक आसन भी होता है जैसे कि भगवान शिव मृत भाग की छल पर विराजते हैं और उसे पहनते भी हैं। वहीं, भगवान विष्णु की बात करें तो वह शेषनाग पर विश्राम करते हैं। भगवान विष्णु के आसन शेषनाग हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जब हमने पूछा कि आखिर क्यों शेषनाग पर ही भगवान विष्णु सोते हैं तो उन्होंने हमें इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें बताई। चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
भगवान विष्णु शेषनाग पर ही क्यों सोते हैं?
पौराणिक कथा के अनुसार, माता कद्रू की यह इच्छा थी कि उनके नाग पुत्रों को भगवान शिव और भगवान विष्णु का सानिध्य प्राप्त हो। इसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक जंगल में रहकर घोर कठिन तप भी किया।
जब समय आया तब पहले भगवान शिव ने और फिर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए। दोनों के यह पूछने पर कि कद्रू माता को क्या वरदान चाहिए तो उन्होंने दोनों देवों से अपने पुत्रों को उनके साथ रखने का वचन मांगा।
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भगवान शिव और श्री हरि नारायण ने माता कद्रू को यह वरदान दिया कि पहले शिव जी और भगवान विष्णु नागों की परीक्षा लेंगे और जो भी उस परीक्षा में सफल होगा, उसी को महादेव और नारायण का साथ मिलेगा।
भगवान शिव और श्री विष्णु ने नागों की भक्ति परीक्षा ली कि नागों में दोनों देवों के प्रति कितना विश्वास है। नागों को अग्नि से बहुत डर लगता है दोनों देवों ने दूसरा रूप धरकर नागों के आसपास आग जला दी।
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इस परीक्षा में वासुकी और शेषनाग ही सफल हो पाए। दोनों नाग भाइयों ने अग्नि में जलते हुए भी अपने इष्ट का नाम लेना नहीं छोड़ा। वासुकी शिव जी का ध्यान कर रहे थे और शेषनाग भगवान विष्णु के नाम जाप में लीन थे।
दोनों नाग भाइयों की भक्ति देख भगवान शिव और श्री हरि प्रसन्न हुए और दोनों को अपनी शरण में स्थान दिया। इसी कारण से भगवान विष्णु के साथ शेषनाग हैं और श्री हरि उनपर विश्राम करते हैं।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर क्यों शेषनाग पर ही सोत हैं भगवान विष्णु। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
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