पेरियोडोंटाइटिस , या मसूड़ों की बीमारी, एक आम संक्रमण है जो दांतों को सहारा देने वाले नरम ऊतक और हड्डी को नुकसान पहुंचाता है। इसे आम भाषा में पायरिया रोग भी कहा जाता है। इस बीमारी में उपचार के बिना, दांतों के आसपास की हड्डी धीरे-धीरे घिस जाती है और ये दांतों के साथ मसूड़ों को भी नुक़सान पहुंचाती है। "पेरियोडोंटाइटिस " का अर्थ है "दांत के चारों ओर सूजन" का होना। इस बीमारी में सूक्ष्मजीव, जैसे बैक्टीरिया, दांत की सतह और दांत के आस-पास के हिस्से में में चिपक जाते हैं और वो बहुत जल्द ही कई गुना तक बढ़कर दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी बैक्टीरिया के प्रभाव से मसूड़ों में सूजन होती है।
पेरियोडोंटाइटिस बीमारी न सिर्फ दांतों को बल्कि स्वास्थ्य संबंधी कई अन्य समस्याओं को भी जन्म दे सकती है। वैसे पेरियोडोंटाइटिस के अधिकांश मामलों को अच्छी डेंटल हाइजीन से रोका जा सकता है। लेकिन इसके लक्षणों और इससे बचने के उपायों के बारे में जानकारी होना भी जरूरी है। आइए स्माइल केयर डेंटल यूनिट,कोलकाता के डॉक्टर विवेक तिवारी B.D.S (cal) से जानेंक्या है पेरियोडोंटाइटिस या पायरिया और इससे बचने के उपाय क्या हैं।
क्या है पेरियोडोंटाइटिस
पेरियोडोंटाइटिस, पायरिया या मसूड़ों की बीमारी, दांत के आसपास के क्षेत्र को प्रभावित करती है, जिसमें हड्डी और मसूड़े भी शामिल हैं। यह तब होती है जब बैक्टीरिया और प्लाक दांत के चारों ओर जमा हो जाते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली एक प्रतिक्रिया शुरू करती है। इसे लिए अच्छी डेंटल हाइजीन एक उपाय है लेकिन यदि ये बड़ा रूप ले लेती है तो कभी-कभी सर्जरी भी आवश्यक होती है। मुख्य रूप से धूम्रपान से मसूड़े की इस बीमारी का खतरा तो बढ़ ही जाता है और इसका इलाज भी मुश्किल हो जाता है।
पेरियोडोंटाइटिस के लक्षण
- पेरियोडोंटाइटिस या पायरिया के मुख्य लक्षणों में से एक है जैसे-जैसे मसूड़े पीछे हटते हैं, दांत लंबे दिखने लगते हैं।
- कई बार दांतों के बीच गैप भी दिखाई दे सकता है।
- मसूड़ों में सूजन और मसूड़ों से खून आना। इसके साथ मसूड़ों का रंग ज्यादा लाल या बैंगनी होना।
- दांतों में ब्रश करते समय या कुछ खाते समय ज्यादा दर्द होना।
- दांतों के बीच दिखाई देने वाली अतिरिक्त जगह का बढ़ना।
- दांतों और मसूड़ों के बीच पस होना और मुंह से या सांसों से बदबू आना।

पेरियोडोंटाइटिस का इलाज
इसके इलाज का मुख्य उद्देश्य दांतों के आसपास बैक्टीरिया को साफ करना और हड्डी और ऊतक को क्षय होने से बचाना है। इसके लिए कुछ प्रभावी इलाज किया जा सकते हैं।
अच्छी डेंटल हाइजीन
डॉक्टर विवेक तिवारी बताते हैं कि मुलायम ब्रश और फ्लोराइड टूथपेस्ट से नियमित रूप से ब्रश करने से मसूड़ों की बीमारी पेरियोडोंटाइटिस को रोकने में मदद मिल सकती है। संक्रमण को रोकने के लिए, भले ही दांत और मसूड़े स्वस्थ हों, रोजाना अच्छी डेंटल हाइजीन का पालन किया जाना चाहिए। दांतों की उचित देखभाल में दिन में कम से कम दो बार दांतों को ब्रश करना और दिन में एक बार फ्लॉस करना शामिल है। यदि दांतों के बीच पर्याप्त जगह है, तो एक इंटरडेंटल ब्रश का इस्तेमाल किया जा सकता है। पेरियोडोंटाइटिस एक पुरानी, या दीर्घकालिक, दांतों में सूजन की बीमारी है। यदि आप डेंटल हाइजीन मेंटेन नहीं रखते हैं तो इसके इलाज के बाद ये दोबारा दांतों को प्रभावित कर सकती है।
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स्केलिंग और सफाई
दांतों से जुड़ी इस बीमारी के इलाज के लिए दांतों से प्लाक को हटाना जरूरी है। इसके लिए आप डेंटिस्ट से समय-समय पर दांतों की सफाई और स्केलिंग कराएं। आजकल स्केलिंग एक अल्ट्रासोनिक उपकरण का उपयोग करके की जाती है है जो प्लाक और कैलकुस को हटाने में मदद करता है। दांतों की जड़ों पर खुरदरे क्षेत्रों को चिकना करने के लिए रूट प्लानिंग की जाती है। बैक्टीरिया खुरदरे पैच के भीतर रह सकते हैं, जिससे पायरिया की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। आम तौर पर साल में दो बार दांतों की डेंटिस्ट से सफाई कराने की सलाह दी जाती है लेकिन यह प्रक्रिया आपके दांतों पर प्लाक के जमने पर भी निर्भर करती है। यदि दांतों में प्लाक है तो दो से अधिक बार दांतों को डेंटिस्ट से साफ़ कराएं।
पीरियोडोंटाइटिस की दवाएं
क्लोरहेक्सिडिन माउथवॉश
दांतों और मसूड़ों की इस बीमारी पीरियोडोंटाइटिस या पायरिया के लिए कई औषधीय माउथवॉश और अन्य उपचार उपलब्ध हैं। डेंटिस्ट के द्वारा सुझाए क्लोरहेक्सिडिन माउथवॉश जैसे कई माउथवाश दांतों या मसूड़ों की सर्जरी के बाद बैक्टीरिया को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल में लाये जाते हैं, लेकिन पायरिया का रोगी इसका उपयोग एक नियमित माउथवॉश की तरह भी कर सकते हैं।
एंटीसेप्टिक चिप
यह जिलेटिन का एक छोटा सा टुकड़ा होता है जो क्लोरहेक्सिडिन से भरा होता है। यह बैक्टीरिया को नियंत्रित करता है और पीरियडोंटल पॉकेट साइज को कम करता है।
एंटीबायोटिक जेल
इस जेल में डॉक्सीसाइक्लिन, एक एंटीबायोटिक होता है। यह मसूड़ों में बैक्टीरिया को नियंत्रित करने और पीरियडोंटल पॉकेट्स को सिकोड़ने में मदद करता है। इसे स्केलिंग और रूट प्लानिंग के बाद मसूड़ों में रखा जाता है।
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पेरियोडोंटाइटिस के घरेलू उपचार
- वैसे तो इस बीमारी के इलाज के लिए डेंटिस्ट की सलाह लेनी जरूरी है लेकिन इसके प्रभाव को कम करने के लिए नियमित जांच, उपचार और अच्छी डेंटल हाइजीन रखना जरूरी है।
- दांतों को दिन में कम से कम दो बार उपयुक्त टूथब्रश और टूथपेस्ट से ब्रश करें, चबाने वाली सतहों और दांतों के किनारों को ध्यान से साफ करें।
- दांतों के बीच, उन जगहों को साफ करने के लिए जहां ब्रश नहीं पहुंच सकता, रोजाना फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रश का इस्तेमाल करें। डेंटल फ्लॉस छोटे अंतराल को साफ कर सकता है, लेकिन डेंटल ब्रश बड़े स्थान के लिए उपयोगी होता है।
- दांतों की असमान सतहों के आसपास सफाई करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें, उदाहरण के लिए टेढ़े-मेढ़े दांत, क्राउन, डेन्चर, फिलिंग आदि की अच्छी तरह सफाई करें।
- ब्रश करने के बाद, बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने और मुंह में किसी भी तरह की सूजन को कम करने में मदद करने के लिए एक जीवाणुरोधी माउथवॉश का उपयोग करें।
- दिन में 2 बार कम से कम 2 मिनट के लिए दांतों को ब्रश करें और फ्लोराइड टूथपेस्ट का प्रयोग करें।
- उपयोग के बाद ब्रश को अच्छी तरह से धो लें और बंद जगह पर रखें जिससे बाहरी बैक्टीरिया इसे प्रभावित न करें।
- टूथब्रश को हर 3 से 4 महीने में बदलें। कभी भी किसी दूसरे के इस्तेमाल किये हुए ब्रश का इस्तेमाल न करें।
उपर्युक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यदि आप अपने दांतों की उचित देखभाल करते हैं तो आप दांतों में होने वाली इस बीमारी पीरियोडोंटाइटिस से बचाव करके दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।
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