जब भी ब्लड प्रेशर की बात आती है, तो दो टर्म्स का जिक्र होता है- हाइपरटेंशन और हाइपोटेंशन। हाइपरटेंशन में रक्तचाप का स्तर उच्च हो जाता है। वहीं, लो बीपी या हाइपोटेंशन को अक्सर लो नजरअंदाज कर देते हैं। बीपी का लो रहना भी खतरनाक होता है। इसके लिए जरूरी है कि आप लो बीपी के लक्षणों को पहचानें और इसे मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव करें।
जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट अंजलि मुखर्जी के अनुसार, "कुछ लोगों के लिए, 110/70 या 90/60 की बीपी रीडिंग सामान्य होती है। लेकिन अगर आपको चक्कर आना, हल्का सिरदर्द, थकान या कम ऊर्जा जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो इसे गंभीरता से लेना जरूरी है।" आइए इस लेख में जानें ब्लड प्रेशर के लो होने से क्या हो सकता है और इसे कैसे मैनेज किया जाना चाहिए।
हाइपोटेंशन के कारण आपको कई समस्याएं हो सकती हैं। बीपी लो में चक्कर आते रहते हैं। बीपी की अचानक गिरावट से ब्रेन में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है, जिससे चक्कर आने या सिर चकराने जैसा महसूस हो सकता है।
इसके अलावा अगर ब्लड सर्कुलेशन सही ढंग से न हो, तो बेहोशी भी हो सकती है। कई बार एकदम से खड़े होते हुए हेड रश फील होता है, वो इसके कारण हो सकता है। हमारा ब्लड प्रेशर कभी-कभी पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे मतली या उलटी की समस्या हो सकती है।
सही ढंग से रक्त प्रवाह न होने के कारण विजन बार-बार ब्लर होता है। इसके साथ ही व्यक्ति असामान्य रूप से थका हुआ या कमजोर महसूस कर सकता है। अगर आपको किसी चीज में फोकस करने में दिक्कत होती है, तो यह लो बीपी के कारण हो सकता है। इसे कभी-कभी 'ब्रेन फॉग' कहा जाता है।
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डिहाइड्रेशन के कारण लो ब्लड प्रेशर रहना आम है। अगर आप पानी कम पीते हैं या नहीं पीते हैं, तो आपका बीपी लो रहेगा। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीने से रक्त की मात्रा और दबाव को बनाए रखने में मदद मिलती है।
कोशिश करें कि हर कम से कम 6-8 गिलास पानी पिएं। यदि आप व्यायाम करते हैं इससे ज्यादा पानी पिएं। नारियल का पानी पीना भी आपके लिए अच्छा रहेगा, क्योंकि उससे इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस सही रहता है।
एक साथ खाना खाने से कभी-कभी पाचन तंत्र में रक्त प्रवाह के रिडायरेक्शन के कारण बीपी में अस्थायी गिरावट हो सकती है। इससे अच्छा है कि आप छोटी मील्स लें और थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाएं। हाई कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन से बचें, जिससे पोस्टप्रैन्डियल हाइपोटेंशन (खाने के बाद बीपी में गिरावट) हो सकता है।
सोडियम रक्तचाप बढ़ा सकता है, इसलिए यदि आपको लो बीपी का अनुभव होता है तो अपने भोजन में थोड़ा अधिक नमक शामिल करना फायदेमंद हो सकता है। नमक का अत्यधिक सेवन न करें, खासकर यदि आपको अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं और आहार में बदलाव करने से पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। सोडियम के नेचुरल सोर्स जैसे ऑलिव, अचार या हल्के नमकीन ड्राई फ्रूट्स लेना ज्यादा फायदेमंद होगा।
कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स आपके पैरों में ब्लड को जमा होने से रोकने में मदद करते हैं, जो रक्तचाप को थोड़ा बढ़ाने और परिसंचरण में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। ये स्टॉकिंग्स उन लोगों के लिए विशेष रूप से सहायक हैं जिन्हें लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने के कारण लो बीपी का अनुभव होता है।
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कैफीन रक्तचाप में अस्थायी वृद्धि का कारण बन सकता है, जब आप बहुत ज्यादा थकान या एनर्जी का ड्रॉप महसूस करें, तब इसका सेवन करें। कैफीन युक्त चाय या कॉफी का सेवन सीमित मात्रा में करें, लेकिन इसे प्राइमरी सॉल्यूशन न मानें। अधिक सेवन से आपको अन्य पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कैफीन अधिक लेने से नींद की कमी भी हो सकती है।
आयरन, फोलेट और विटामिन-बी12 जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी से लो बीपी हो सकता है। अपने आहार में पत्तेदार साग, लीन प्रोटीन, साबुत अनाज और विटामिन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें। अगर आपको लगता है कि आपको पोषण संबंधी कमी हो सकती है, तो अपने न्यूट्रिशनिस्ट से बात करें।
अगर आपको लगे कि इन चीजों के बावजूद आपका बीपी लो होता है, तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें। हमें उम्मीद है कि ये टिप्स आपके काम आएंगे। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा, तो इसे लाइक करें और फेसबुक पर शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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