आज के समय में महिलाएं खुद को अधिक हेल्दी और शेप में रखने के लिए तरह-तरह के डाइट ट्रेंड को फॉलो करती हैं। यूं तो वेट लॉस के लिए कई तरह की डाइट्स ट्रेंड में हैं, लेकिन एक डाइट जो सबसे ज्यादा पसंद की जाती है वह है इंटरमिटेंट फास्टिंग। इसे सिर्फ वेट लॉस के लिए ही नहीं, हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। इसलिए, जिन महिलाओं को पीसीओएस, पीसीओडी या थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं होती हैं, उनके लिए भी यह बेहद डाइट काफी लाभकारी होती है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग में कैलोरी इनटेक करने का एक खास तरीका होता है। दरअसल, इसमें कुछ घंटों के लिए फास्टिंग की जाती है, वहीं कैलोरी इनटेक का भी एक समय फिक्स होता है। मसलन, इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान आप 12 घंटे फास्टिंग रख सकती हैं और 12 घंटे कुछ खा सकती हैं। इसी तरह समय के साथ-साथ फास्टिंग की खिड़की का समय बढ़ता जाता है व कैलोरी इनटेक विंडो छोटी होती जाती है। यह एक बेहद ही इफेक्टिव डाइट है, लेकिन इसका आपको फायदा तभी मिलता है, जब आप इसे सही तरह से करें।
अमूमन देखने में आता है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान महिलाएं कुछ गलतियां कर बैठती हैं, जिससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता। तो चलिए आज इस लेख में लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डायटीशियन रितु पुरी आपको इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान की जाने वाली कुछ गलतियों के बारे में बता रही हैं, जिससे आपको बचना चाहिए-
यह एक पहली और बहुत बड़ी गलती है। जब आप नॉर्मल डाइट पर है और उसके बाद इंटरमिटेंट फास्टिंग करना चाहती हैं तो एकदम से खुद में बहुत चेंज लाने की कोशिश ना करें। मसलन, कुछ महिलाएं शुरूआत में ही ईटिंग विंडो को महज 8 घंटे का रखती हैं और उनका फास्टिंग पीरियड 16 घंटे का होता है। लेकिन आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे आपकी बॉडी को नुकसान हो सकता है। बेहतर होगा कि शुरूआत में आप 12 घंटे फास्टिंग और 12 घंटे ईटिंग पीरियड रखें और फिर धीरे-धीरे यह देखें कि आपकी बॉडी किस तरह रिस्पॉन्स कर रही है। उसके बाद आप एक- दो महीने में धीरे-धीरे ईटिंग पीरियड विंडो को छोटा करना चाहिए।
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यह भी एक कॉमन मिसटेक है, जिसे अक्सर लोग करते हैं। मसलन, वह अपना फास्टिंग व ईटिंग विंडो टाइम तो सेट कर लेते हैं, लेकिन उसे फिक्स समय पर नहीं करते। मसलन, कुछ लोग अगर एक दिन अपने दिन के ईटिंग विंडो की शुरूआत में 12 बजे करते हैं और उसे शाम के आठ बजे खत्म करते हैं, तो अगले दिन उनका टाइम 10 बजे शुरू होता है और शाम को छह बजे खत्म होता है। इस तरह वह अपनी सुविधानुसार टाइम को बदलते रहते हैं, जिससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता। ऐसा करने से बॉडी में हार्मोन का स्त्राव सही तरह से नहीं होता है और फिर उसे अंत में निराशा होती है। इसलिए हमेशा अपना विंडो टाइम को फिक्स रखें और हर दिन एक ही रूटीन के अनुसार खाएं।
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कुछ लोगों को ऐसा भी लगता है कि अगर वह इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हैं तो वह अपने ईटिंग विंडो में कभी भी कुछ भी खा सकते हैं। जबकि यह तरीका भी गलत है। ध्यान रखें कि इस दौरान भी आपको अपने कैलोरी काउंट का ध्यान रखना होता है। आप यह सुनिश्चित करें कि आप हर दिन तय की गई कैलोरी ही लें। साथ ही उसे नियत समय पर लें। अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग से बेस्ट रिजल्ट चाहती हैं तो आपको ईटिंग विंडो के दौरान सही तरह की डाइट को फॉलो करना चाहिए।
हमें उम्मीद है कि आप इन चीजों का ध्यान रखेंगी और इंटरमिटेंट फास्टिंग करते वक्त ये गलतियां नहीं करेंगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें और हेल्थ और आहार व पोषण से जुड़े ऐशे लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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