क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपको अपने गुस्से पर काबू रखने की जरूरत महसूस हुई हो, लेकिन खुद पर से काबू हट गया हो। गुस्सा और ओवरथिंकिंग की समस्या कई लोगों को परेशान कर सकती है। कई बार तो लोगों के मन में इस तरह से नेगेटिव विचार आते हैं कि उन्हें डिप्रेशन होने लगता है। ऐसा होना नहीं चाहिए, लेकिन कई बार ये समस्या हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में भी परेशानी पैदा कर देती है।
कई बार खुद को ये समझाया जाता है कि अब इसके बारे में नहीं सोचा जाएगा और अब गुस्सा नहीं किया जाएगा, लेकिन वक्त आने पर खुद पर से काबू हट जाता है। पर क्या कोई ऐसा तरीका हो सकता है जिससे ये नेगेटिव थॉट्स रोके जाएं और गुस्से और ओवरथिंकिंग पर काबू पाया जाए?
हमने इसके लिए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर पूनम पूनिया से बात की और गुस्सा और ओवरथिंकिंग को कम करने के तरीके जानने की कोशिश की। डॉक्टर पूनम के मुताबिक ये सब कुछ ज्यादातर स्ट्रेस और नेगेटिव थॉट्स की वजह से होता है जो हमें घेरे रहते हैं।
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डॉक्टर पूनम कहती हैं कि नेगेटिव थॉट्स को कम करने के लिए आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि खुद को बेहतर फील कैसे करवाएं। अगर नेगेटिव थॉट्स आ रहे हैं तो उनसे लड़ने की कोशिश करें। कई बार हम अपने विचारों से इतने घिर जाते हैं कि नेगेटिव व्यवहार करने लगते हैं। अगर हर रोज़ ऐसा मन करे, 'मैं एक्सरसाइज नहीं करूंगी आज, मैं लोगों से नहीं मिलूंगी, मैं किसी की बात नहीं मानूंगी', तो एक समय के बाद इन विचारों से लड़ना चाहिए।
नेगेटिव थॉट्स हमेशा फ्रस्ट्रेशन की तरफ लेकर जाती हैं और कई बार हम जैसा रिएक्ट नहीं करना चाहते हैं वैसा भी कर बैठते हैं। ऐसे में अगर आपको लगता है कि ये सही नहीं है और गुस्सा करना आपकी आदत बनती जा रही है तो फिर इन कुछ चीज़ों का ध्यान जरूर रखें।
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अगर समस्या ओवरथिंकिंग की है और आपको लगता है कि ये आपके रोज़मर्रा के काम को खराब कर रही है तो ये ऑप्शन्स जरूर चुनें-
लूप को जरूर तोड़ें। अगर आप काफी देर से एक ही चीज़ के बारे में सोच रहे हैं तो उसे तोड़ने की कोशिश करें। यही थिंकिंग लूप है जो आपको जरूरत से ज्यादा परेशान कर सकता है और ओवरथिंकिंग को हमेशा खराब स्थिति में ला सकता है।
अन्य लोगों के बारे में कम सोचें, अपने सेंटेंस भी मैं शब्द से शुरू करें उदाहरण के तौर पर 'तुम कभी घर के काम नहीं करते' की जगह आप 'मुझे ये बुरा लगता है कि तुम काम नहीं करते' पर फोकस करें। इससे आप रूड भी नहीं लगेंगे और अपनी फीलिंग्स के बारे में सोचेंगे।
मेडिटेशन और योगा हमेशा काम नहीं करेगा, अगर आपके विचार सही नहीं हैं तो इससे भी बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
अगर कुछ भी काम नहीं कर रहा है तो किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट की मदद जरूर लें। हमेशा किसी की मदद लेना अच्छा साबित हो सकता है और इससे आपको दुख, डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी समस्याओं में एक्सपर्ट की सलाह मिल सकती है। हर इंसान का दिमाग अलग होता है और ऐसे में ये जरूरी नहीं है कि किसी एक स्थिति में सभी एक तरह से रिएक्ट करें। किसी इंसान को जज ना करें और कोशिश करें कि कई गैरजरूरी चीज़ें आपको परेशान ना करें।
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