प्रेग्नेंसी के दिनों में महिला के शरीर में कई सारे बदलाव होते हैं, जिनका असर ब्लड प्रेशर पर भी पड़ता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान बीपी में उतार-चढ़ाव का होना सामान्य है, पर लगातार बीपी हाई रहती है तो ऐसे में सतर्क होने की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रेग्नेंसी में बीपा का हाई रहना मां और होने वाले बच्चों दोनों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए इस पर नियंत्रण पाना बेहद जरूरी है और इसके लिए चिकित्सकीय उपचार के साथ उन वजहों को भी नियंत्रित करना होगा जो बीपी का बढ़ने की वजह बन सकते हैं।
इस आर्टिकल में हम ऐसे कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं, जो प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मददगार हो सकते हैं। बता दें कि हमने इस बारे में लखनऊ की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. रेखा यादव से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ने पर महिलाओं को सिर दर्द, सीने में दर्द चक्कर आना, सांस लेने में परेशानी और नजर का धुंधला होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी में ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो उसे नियमित तौर पर बीपी की जांच करनी चाहिए।
प्रेग्नेंसी में लगातार ब्लड प्रेशर हाई रहने के कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी, डिलीवरी के बाद स्ट्रोक के साथ ही मां और होने वाले बच्चे की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा बना रहता है। उच्च रक्त चाप का गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ ही महिला के दिल, किडनी और लिवर जैसे अंगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान बीपी को नियंत्रित रखने के लिए आपको इसकी वजहों को नियंत्रित करने की कोशिश करनी होगा। जैसे में असंतुलित भोजन, मोटापा, तनाव और शारीरिक गतिविधि में कमी प्रेग्नेंसी के दिनों बीपी को बढ़ा सकते हैं। इसलिए बीपी को कंट्रोल के लिए जरूरी है कि इन सभी कारकों को नियंत्रित रखा जाए।
मोटापा ब्लड प्रेशर के बढ़ने की मुख्य वजहों में से एक है, इसलिए इस पर नियंत्रण रखना जरूरी है। देखा जाए तो प्रेग्नेंसी में वजन का बढ़ना सामान्य है, पर अनियंत्रित ढंग से वजन का बढ़ना हानिकारक होता है। इसलिए वजन को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त डाइट और एक्सरसाइज का अभ्यास जरूरी है।
तनाव भी ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होता है। इसलिए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए तनाव को नियंत्रित करना जरूरी है। इसके लिए आप योग और ध्यान का सहारा ले सकती हैं। इसके साथ ही ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी तनाव को दूर करने में काफी मददगार साबित होती हैं।
अल्कोहल और धूम्रपान के सेवन से भी हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है। खासतौर प्रेग्नेंसी के दौरान अल्कोहल और धूम्रपान का सेवन होने वाले बच्चे के लिए घातक हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा प्रेग्नेंसी में अल्कोहल और धूम्रपान से बचें।
अधिक नमक और चीनी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है। साथ ही उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इसलिए इससे बचने के लिए आहार को संतुलित रखना बेहद जरूरी है।
प्रेग्नेंसी में फिजिकल एक्टिविटी बेहद जरूरी है, इससे वजन को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। साथ ही शारीरिक सक्रियता बढ़ने से मानसिक सेहत भी बेहतर रहती है, जिससे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। इसके लिए प्रेग्नेंसी के दौरान हल्का वर्कआउट करना लाभकारी साबित होता है।
इस तरह से कुछ सावधानियों को ध्यान रखकर प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम किया जा सकता है। लेकिन अगर इन सावधानियों के बावजूद ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ रहा है तो आपके लिए इसे डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर शारीरिक परीक्षण के आधार पर इसके लिए उचित परामर्श और उपचार बता पाएंगे।
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