एक महिला अपनी जिंदगी में कई सारे शारीरिक बदलावों से होकर गुजरती है। उसके शरीर में रिप्रोडक्टिव उम्र के हिसाब से ही बदलाव देखे जाते हैं और इसलिए हर 10 साल में शरीर के हार्मोन्स और निजी अंगों में बदलाव देखा जा सकता है। एक महिला को ये मानकर चलना चाहिए कि समय-समय पर उसकी जिंदगी में गायनेकोलॉजिकल समस्याएं आएंगी ही। ये पीरियड्स के शुरू होने से लेकर उनके खत्म होने के बाद तक चलता रहता है।
गायनेकोलॉजिकल समस्याओं में पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, डिस्चार्ज, सेक्शुअल समस्याएं, प्री-मेनोपॉज, मेनोपॉज आदि बहुत कुछ शामिल होता है। कई बार मेनोपॉज के बाद होने वाली समस्याएं और भी ज्यादा मुश्किल होती हैं। 30 की उम्र तक तो काफी कुछ सही रहता है, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे समस्याएं भी बढ़ती हैं। 40 की उम्र के बाद अधिकतर महिलाओं को समय-समय पर डॉक्टर के चक्कर काटने ही पड़ते हैं।
पर ये निजी समस्याएं आखिर होती कौन सी हैं? 40 की उम्र के बाद महिलाओं को कैसी गायनेकोलॉजिकल समस्याएं सता सकती हैं उन्हें जानने के लिए हमने नोएडा मदरहुड हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर मंजू गुप्ता से बात की। उन्होंने हमें पांच मुख्य समस्याओं के बारे में बताया जो 40 के बाद महिलाओं को परेशान करती हैं।
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पीसीओएस
ये कंडीशन इन दिनों यंग महिलाओं में भी देखने को मिल रही है, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है ये और भी परेशानी भरी हो जाती है। ओवरीज से एग्स रिलीज होने का प्रोसेस और भी दर्द भरा हो जाता है और इसके कई साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं। कई महिलाओं के पीरियड्स में बहुत ज्यादा बदलाव होता है और इसलिए आपको ऐसे समय में डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। सही डाइट और ट्रीटमेंट से ही इस कंडीशन में फायदा मिल सकता है।
यूटीआई की समस्या
वैसे तो ये किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 40 के बाद ये और भी गंभीर हो जाती है। ये तब होता है जब वेजाइनल और एनल एरिया में मौजूद बैक्टीरिया ऊपर यूरिनरी ट्रैक्ट में पहुंच जाता है। कुछ मामलों में ये किडनी तक भी असर करता है। 40 की उम्र के बाद इम्यून सिस्टम वैसे भी वीक हो जाता है और हाइजीन से जुड़ी समस्याएं भी महसूस होने लगती हैं। ऐसे में यूटीआई की समस्या होना आम है। कई महिलाओं को लगता है कि इसे घर पर देसी तरीकों से ही ठीक किया जाना चाहिए, लेकिन ये सही नहीं है। आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
एंडोमेट्रिओसिस
एंडोमेट्रिओसिस एक ऐसी कंडीशन है जिसमें यूट्रस की यूटेरिन लाइनिंग उसके बाहर ग्रोथ करने लगती है। ये यूट्रस के आस-पास के हिस्से को कवर करती है और धीरे-धीरे परेशानी को बढ़ाती है। कई मामलों में देखा गया है कि पीसीओएस से ग्रसित महिला को एक उम्र के बाद फाइब्रॉइड्स और एंडोमेट्रिओसिस की समस्याएं होती हैं। अगर आपको लोअर एब्डॉमन में बहुत ज्यादा दर्द हो, पीरियड्स में कोई समस्या हो या फिर गठान जैसी महसूस हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
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सेक्शुअल इंटरकोर्स में परेशानी
इसे Dyspareunia भी कहते हैं और ये महिला के शारीरिक स्ट्रक्चर में समस्या या बदलाव के कारण हो सकता है। कुछ मामलों में ये साइकोलॉजिकल भी होता है। ये अलग-अलग महिला में अलग तरह के लक्षण दिखा सकता है।
ओवेरियन सिस्ट
एक उम्र के बाद ओवरीज में सिस्ट होने की समस्या बढ़ जाती है और जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे इसके होने का रिस्क और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इस समस्या में ओवरीज में लिक्विड से भरे पाउच बन जाते हैं जो सिस्ट की शक्ल ले लेते हैं। यही कारण है कि कई महिलाएं एक उम्र के बाद ओवरीज को रिमूव करने का रास्ता भी अपनाती हैं। इससे जुड़ी जानकारी आपका डॉक्टर आपको सही तरह से बता सकता है।
वैसे तो महिलाओं की समस्याएं उनकी हेल्थ कंडीशन के हिसाब से अलग हो सकती हैं। लेकिन अगर आपको पर्सनल लेवल पर कोई समस्या हो रही है तो डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर ले लें। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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