आजकल कम उम्र में ही महिलाओं को कुछ ऐसी बीमारियां घेर लेती हैं, जिनसे उबर पाना आसान नहीं होता है। मां बनना हर लड़की का सपना होता है। मां बनने की उम्र में अगर किसी लड़की को यह पता चले कि वह कभी मां नहीं बन सकती तो उसके लिए दुनियां मानो थम सी जाती है। मां न बन पाने के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं। इनमें से एक है ओवरीज का फेल हो जाना या असमय मेनोपॉज। मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर शोभा गुप्ता ने मेनोपॉज और ओवरी फेलियर से जुड़े कुछ अहम तथ्य बताएं, आइए इस बारे में जानते हैं-
प्रीमैच्योरओवरीज फेलियर (पीओएफ ) का मतलब है 40 की उम्र से पहले ओवरीज का सामान्य काम न करना यानी ओवरीज में सामान्य रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण न होना या नियमित रूप से अंडे का रिलीज न होना। इससे बांझपन या बच्चा न होना आम समस्या होती है।
आईएसईसी इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकनॉमिक चेंजेज के सर्वे के मुताबिक 29 से 34 के उम्र वर्ग की की 4 प्रतिशत भारतीय महिलाएं असमय मेनोपॉज की समस्या से ग्रस्त हैं। 35 से 39 वर्ष की महिलाओं मे यह आंकडा बढ़ कर 8 प्रतिशत हो जाता है। यह परिणाम चौंकाने वाले हैं, क्योंकि विश्वस्तर पर मेनोपॉज की समस्या 45 से 55 वर्ष पर महिलाओं के सामने आती है। भारत में कम उर्म में यह समस्या हो जाना चिंता का सबब है। अगर आपको भी इस प्रॉब्लम के लक्षण नजर आएं तो बिना देरी किए जल्द से जल्द किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी के लिए जाएं।
यंग लेडीज में भी आ सकती हैं पीओएफ की चपेट में
भारत में 25 प्रतिशत महिलाएं इररेगुलर पीरियड्स की समस्या से जूझ रही हैं
90 प्रतिशत मामलों में बीमारी के कारणों का पता नहीं चल पता
कई बार उम्र से पहले ओवरीज के फेल होने को मेनोपॉज से जोड़ दिया जाता है, लेकिन ये स्थितियां भिन्न हैं। किसी महिला की ओवरी फेल होती है तो उसे अनियमित पीरियड्स हो सकती है और वह गर्भधारण भी कर सकती है। वहीं उम्र से पहले मेनोपॉज का अर्थ है पीरियड्स का स्थायी तौर पर रुक जाना और इसके बाद गर्भवती होना नामुमकिन है।
डाॅक्टर शोभा गुप्ता ने बताया अगर आपको अनियमित माहवारी, बहुत ज्यादा गर्मी व पसीना आने की शिकायत हो तो जल्द से जल्द किसी फर्टिलिटी सेंटर में जाकर अपनी जांच करवानी चाहिए। अगर ब्लड टेस्ट में आपका फालिक्यूल स्टिम्यूलेटिंग हार्मोन 25 प्रतिशत से ज्यादा है तो आपको पीओएफ का खतरा है।
शांता आईवीएफ सेंटर की गायनेकोलॉजिस्ट व आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर अनुभा सिंह का कहना है, 'पिछले कुछ समय से महिलाओं में उम्र से पहले ओवरीज फेल होने के मामले बढ़े हैं, हालांकि ये समस्या आनुवांशिक है, लेकिन पर्यावरण और जीवनशैली में बदलाव जैसे स्मोकिंग, शराब का सेवन, लंबी बीमारी जैसे थायरॉइड व ऑटो इम्यून बीमारियां, रेडियोथेरपी या कीमोथेरेपी होना भी इसके मुख्य कारण हैं। इसके अलावा जेनिटल टीबी भी उम्र से पहले ओवरीज फेल होने का कारण हो सकती है।
भारत में 30 से 40 साल की उम्र वर्ग में पीएफओ के मामले 0.1 प्रतिशत हैं। वैसे तो ये आंकड़े देखने में नाममात्र हैं, लेकिन 25 प्रतिशत महिलाएं अनियमित माहवारी या माहवारी के कई महीने तक न होने के बाद फिर से शुरू होने (अमनोरिया) जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं, जो अपने आप में बड़ा हेल्थ इशु है।
वैसे तो विशेषज्ञ इस समस्या को आनुवांशिक मानते हैं। कम उम्र की लड़कियां भी इस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं। डॉक्टर शोभा गुप्ता बताती हैं, 'आज का बदलता पर्यावरण और जीवनशैली के कारण शरीर में कई बदलाव आ रहे हैं और गर्भधारण में भी कई समस्याएं हो सकती हैं, इसलिये उम्र से पहले ओवरीज फेल होने के कई मामले देखने को मिल रहे हैं।
प्रीमैच्योर ओवरीज फेलियर जैसे बीमारियों से बचने के लिए बेहतर है कि समय पर परिवार बढ़ाने के बारे में सोचें। साथ ही, अगर किसी भी तरह की हेल्थ प्रॉब्लम आ रही हो तो मेडिकल जांच जरूर करवायें। लेकिन इस तरह की समस्या होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस समस्या का भी समाधान संभव है।
प्रीमैच्योर ओवरीज फेलियर से प्रभावित होने पर एग डोनेशन तकनीक अपनाकर बच्चे की चाहत को पूरा किया जा सकता है। इस स्थिति में महिलाएं अगर अपने एग पहले से फ्रीज करा चुकी हैं तो उससे गर्भधारण कराया जाता है। इससे महिलाएं 35 के बाद भी आईवीएफ तकनीक के जरिए गर्भधारण कर सकती हैं। एग डोनेशन का ऑप्शन अपनाकर भी आप मां बन सकती हैं।
आईवीएफ विशेषज्ञ डॉक्टर अनुभा सिंह ने बताया की आईवीएफ तकनीक में महिला को 14 दिन तक हार्मोन के इंजेक्शन लगाये जाते हैं। उसके बाद उसके परिपक्व ओवम को फ्रीज किया जाता है। ये तकनीक उन दंपत्तियों के लिए वरदान है, जो करियर या किसी अन्य बीमारी जैसे कि उम्र से पहले ही ओवरीज का फेल होना जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं।
डॉक्टर शोभा गुप्ता बताती हैं, 'आईवीएफ विशेषज्ञ होने के नाते में मैं गर्भधारण में उम्र के महत्व को समझती हूं, लेकिन अगर किसी दंपत्ति ने देरी से फैमिली के लिए प्लानिंग की है तो एग डोनेशन अच्छा समाधान है।'
डॉक्टर अनुभा सिंह का कहना है, 'जिंदगी में जितनी हम प्रगति कर रहे हैं, उतनी ही दिक्कतें भी पेश आ रही हैं, लेकिन नई तकनीकों के जरिये पीओएफ जैसी समस्याओं का समाधान भी मौजूद है।
पीओएफ समस्या वैसे तो आनुवांशिक है पर महिलाओं को अपनी जीवनशैली बदलने की जरूरत है, जिससे ऐसी समस्या से निपटा जा सके। मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं के लक्षण उम्र से पहले ओवरीज फेल होने वाली महिलाओं के समान होते हैं।
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