जब भी बात सेक्सुअल प्लेजर की हो, तो लोग नाक भौं सिकोड़ने लगते हैं या फिर शर्माने लगते हैं। सेक्स के बारे में बहुत सी चीजें कही जाती हैं, लेकिन उनमें से सब सही हों यह जरूरी नहीं है। हमारे यहां सेक्सुअल एजुकेशन का चलन काफी कम है और ऐसे में मुमकिन है कि जो भी जानकारी मिल रही हो, लोग उसे ही सच मान लें। किताबों, इंटरनेट, कहानियों और अफवाहों की मदद से बच्चे काफी कुछ सीख लेते हैं, लेकिन उनमें से कई मिथक होते हैं।
अपनी Sex Myths सीरीज के जरिए हम आप तक ऐसी ही जानकारी पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इसी कड़ी में आज बात कर रहे हैं फर्स्ट टाइम सेक्स से जुड़े कुछ मिथकों के बारे में। फेमस गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर गरिमा श्रीवास्तव ने इंस्टाग्राम पर इससे जुड़े कुछ मिथक शेयर किए हैं। इसके अलावा, M.B.BS, MD (Obgyn) डॉक्टर अमीना खालिद ने भी हरजिंदगी के साथ इससे जुड़ी जानकारी शेयर की है।
क्या पहली बार सेक्स से ही ब्लीडिंग होती है
यह कॉमन जानकारी है, लेकिन फिर भी एक बड़ा मिथक है। डॉक्टर गरिमा के मुताबिक सिर्फ 40% लड़कियों को ही पहली बार सेक्सुअल इंटरकोर्स करने पर ब्लीडिंग होती है। हायमेन कई तरह की एक्टिविटीज से टूट सकती है। इसलिए इसके बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचना चाहिए।
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क्या पहली बार में हमेशा दर्द होता है?
डॉक्टर गरिमा के मुताबिक यह हमेशा अनकंफर्टेबल होता है। पर जरूरी नहीं कि यह दर्द भरा ही हो। हां, अगर मन में घबराहट है, शरीर रिलैक्स नहीं है, वेजाइनल डिसऑर्डर है, किसी तरह की STD का संकेत है, तो फिर फिजिकल रिलेशन दर्द भरा अनुभव हो सकता है। वेजाइनल ड्राईनेस इंटरकोर्स के समय दर्द का अहम कारण बन सकती है।
पहली बार में STD नहीं होगा
ऐसा बिल्कुल नहीं है। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज(STD) कभी भी और किसी को भी हो सकती है। चाहे पहली बार हो या फिर 50वीं बार। अगर सही तरह से प्रोटेक्शन और हाइजीन का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, तो STD की गुंजाइश हमेशा रहती है।
पहली बार सेक्सुअल इंटरकोर्स से प्रेग्नेंट नहीं होते
ऐसा बिल्कुल नहीं है। सेक्सुअल डिजीज और प्रेग्नेंसी पहली बार में भी हो सकती है। इसे रोकने के लिए आपको गायनेकोलॉजिस्ट से सही तरह के कॉन्ट्रासेप्शन की जानकारी लेनी चाहिए। प्यूबर्टी से लेकर मेनोपॉज तक प्रेग्नेंट होने की गुंजाइश बनी रहती है।
कंडोम के इस्तेमाल से पेनिट्रेशन मुश्किल होता है
कंडोम प्रोटेक्शन के लिए बनाया गया है। अगर मेल और फीमेल दोनों ही नए हैं, तो पहली बार में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि इससे किसी तरह की मुश्किल होगी।
पहली बार में ही ऑर्गेज्म होता है
फीमेल ऑर्गेज्म से जुड़े कई मिथक हैं। M.B.BS, MD (Obgyn) डॉक्टर अमीना खालिद के मुताबिक, "पार्टनर के साथ इंटरकोर्स करते समय ऑर्गेज्म हो यह जरूरी नहीं है। जब तक मसल्स में कॉन्ट्रैक्शन नहीं होगा, तब तक महिलाओं को ऑर्गेज्म हो यह जरूरी नहीं। हां, यह जरूर है कि ऑर्गेज्म से प्रेग्नेंसी की गुंजाइश बढ़ जाती है, क्योंकि मसल कॉन्ट्रैक्शन स्पर्म ट्रैवल को आसान बना देता है। पर अगर आप कहें कि यह होना जरूरी है, तो ऐसा नहीं है।"
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वर्जिनिटी सिर्फ पेनिट्रेटिव इंटरकोर्स से टूटती है
जैसा कि पहले बताया गया है। हाइमन किसी एक्टिविटी के कारण भी टूट सकती है। किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी इसका कारण बन सकती है। इसके अलावा, मास्टरबेशन आदि के कारण भी वर्जिनिटी ब्रेक हो सकती है। इससे जुड़े कई मिथक हैं जिनके बारे में आपको हेल्थ केयर एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।
सबका एक्सपीरियंस एक जैसा होता है
यह भी एक मिथक है जिसे कई लोग मानते हैं। सेक्सुअल इंटरकोर्स बहुत ही निजी चीज है और हर किसी का एक्सपीरियंस एक जैसा हो यह जरूरी नहीं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप खुद में कैसा महसूस कर रही हैं।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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