नौ महीने के लंबे समय और असहनीय डिलीवरी पेन के बाद जब बच्चा आपकी गोद में आता है और उसकी किलकारियां गूंजती है तो ना केवल आप अपने पेन को भूल जाती है बल्कि आपकी खुशी दोगुनी हो जाती है। मगर इस खुशी के साथ आपकी जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती है जी हां मां बनने की जिम्मेदारी।
आखिरकार, नौ महीने के लंबे इंतजार के बाद आपने अपने नन्हे मुन्ने का स्वागत किया। उसके आगमन ने निश्चित रूप से आपके घर में एक असाधारण चमक ला दी है। लेकिन, अब जब आपके बच्चे की देखभाल करने का समय है, तो हो सकता है कि आप बहुत सारी चीजों से अनजान हो। और शिुश की देखभाल करने के बारे में यहां वहां से सलाह मिलने से परेशान और चिंतित महसूस कर रही हो।
पहली बार मां बनने के समय आपको यह पता नहीं होता है कि शिशु की देखभाल कैसे करें। कैसे उसे गोद में लें, कैसे उसे दूध पिलाएं, कैसे उसे नहलाएं...। ऐसी कई जिम्मेदारियां है जो माता-पिता को शिशु के जन्म के बाद काफी सावधानी और समझदारी से उठानी पड़ती है। मगर आप घबराएं नहीं, हम आपको बताने जा रहें हैं शिशु की देखभाल के सबसे आसान और सेफ तरीके।
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आपका छोटा सा बच्चा अभी-अभी दुनिया में आया है, इसलिए वह बेहद ही नाजुक है और जर्म्स और इंफेक्शन से लड़ने के लिए बहुत ही कमजोर है। इसलिए आपको खुद को साफ रखने के साथ-साथ आसपास के माहौल को भी साफ रखना चाहिए। अपने बच्चे को छूने से पहले अपने हाथों को अच्छे से एंटी-सेप्टिक सेनेटाइजर से साफ कर लें, अपने घर को साफ रखें और अपने शिशु के सभी खिलौनों को अच्छी तरह स्टेरलाइज़ कर लें।
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आपको हमेशा याद रखना चाहिए कि आपका शिशु बहुत नाजुक है और आपको अपने शिशु का ख्याल रखना चाहिए। इसलिए शिशु को उठाते समय उसके सिर और गर्दन को ठीक से पकड़े रहें, जैसे उनको सपोर्ट दे रहे हों। एक हाथ सिर और गर्दन के नीचे और एक हाथ पैर के नीचे रखें और फिर पालने के झूले की तरह बच्चे को सपोर्ट दें। और अगर आप अपने शिशु को केरीअर में ले जा रही हैं, तो आपको बहुत सावधान रहना चाहिए और आपको हवा में अपने बच्चे को उछालने से बचना चाहिए।
चाहे आप कपड़े का डायपर या डिस्पोजेबल का उपयोग कर रही हों, आपको कुछ तथ्यों के बारे में यकीन से पता होना चाहिए जैसे डायपर का उचित स्टॉक होना। शिशु को डायपर वाली स्किन पर रैशेज हो सकते हैं इसलिए उस स्किन को सोप-फ्री वाइप्स से साफ करना जरूरी है। इसके अलावा आप चाइल्ड स्पेशलिस्ट से पूछकर कोई ऑइंटमेंट भी ले सकती हैं।
मां का दूध एक संपूर्ण और संतुलित आहार है। नवजात शिशुओं को उनके शुरुआती छह महीने में केवल मां के दूध की ही जरुरत होती है। यह शिशु को सभी जरुरी पोषक तत्व प्रदान करता है। अगर आपको दूध आता है तो अपने शिशु को 6 महीने तक जरुर ब्रेस्टफीडिंग कराएं। हालांकि यह समझना बहुत मुश्किल है कि आपके शिशु कब भूख लगती है, इसलिए हमेशा भूख के संकेतों को समझने की कोशिश करें, जैसे उसका रोना, मुंह में उंगली डालना, या अपनी नाक को चूसना आदि। फीडिंग कराने के बाद अपने शिशु को डकार दिलाना बहुत जरूरी है ताकि उसके पेट में गैस ना बनें।
मां के गर्भ से निकलने के तुरंत बाद जब शिशु की नाभि-नाल काटी जाती है तो शिशु के नाभि के पास घाव हो जाता है। इसे भरने के लिए लगभग 1-4 हफ्ते का समय चाहिए। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप अपने शिशु को एक स्पंज स्नान दे, जब तक कि नाड़ीदार कॉर्ड बाहर निकल ना जाये या नाभि ठीक से सुख ना जाये। कॉर्ड और नाभि पीले रंग से काला हो सकती है, लेकिन यह बहुत ही नॉर्मल बात है। घबराओ नहीं!
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आप हमेशा अपने शिशु के साथ खेलना चाहती हैं, लेकिन यह बहुत जरूरी है कि आपका शिशु 12-16 घंटे की नींद लें। यह आपके बच्चे को ठीक से बढ़ने में हेल्प करता है। तो जरूरी हैं कि आप उसे ज्यादा से ज्यादा सुलाने की कोशिश करें। इसके लिए आप उसको लोरी भी सुना सकती है।
अगर आप भी अभी-अभी मां बनी हैं तो इन टिप्स को जरूर अपनाएं। अगर आप मदरहुड से जुड़ी जानकारियां पाने में दिलचस्पी रखती हैं तो विजिट करती रहें HerZindagi, यहां आपको जच्चा और बच्चा के सेहत बनाए रखने से जुड़ी कई अहम जानकारियां मिलती हैं।
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