वर्कआउट रूटीन में जिस चीज को सबसे ज्यादा नजरअंदाज किया जाता है, वह है स्ट्रेचिंग। अक्सर लोग स्ट्रेचिंग करते ही नहीं है। वहीं, कुछ लोग वर्कआउट रूटीन के बाद सिर्फ कूलडाउन के रूप में स्ट्रेचिंग करना पसंद करते हैं, जबकि यह कूल-डाउन से कहीं ज़्यादा है। इसे हर किसी को अपनी फिटनेस रूटीन का हिस्सा बनाना चाहिए। यह आपके शरीर की टाइट मसल्स को रिलैक्स करने से लेकर फ्लेक्सिबिलिटी को इप्रूव करने में मदद करता है। इससे आपको वर्कआउट के बाद होने वाले बॉडी पेन से काफी आराम मिलता है।
चूंकि स्ट्रेचिंग से मसल्स फ्लेक्सिबिलिटी इंप्रूव होती है, इसलिए इससे चोट लगने की संभावना काफी कम हो जाती है। साथ ही साथ, आपका रेंज ऑफ मोशन भी बेहतर होता है। वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग के कई फायदे हैं।तो चलिए आज इस लेख में ब्लॉसम योगा के फाउंडर, फिटनेस एक्सपर्ट और योगविशेषज्ञ जितेन्द्र कौशिक आपको बता रहे हैं कि वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग करने से आपको क्या-क्या फायदे मिल सकते हैं-
मसल्स को करें रिलैक्स
स्ट्रेचिंग करना वर्कआउट के बाद मसल्स को रिलैक्स करने का एक बेहतर तरीका है। जब भी हम वर्कआउट करते हैं तो उसके बाद मसल्स टाइट महसूस होने लगती हैं। लेकिन जब आप स्ट्रेचिंग करती हैं तो इससे मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं और साथ-साथ फ्लेक्सिबिलिटी भी बढ़ती है, जिससे आप काफी आराम महसूस करती हैं।
वर्कआउट सोरनेस को करे कम
वर्कआउट सोरनेस एक आम समस्या है, जिसका सामना हम सभी करते हैं। आपने महसूस किया होगा कि वर्कआउट करने के बाद अगले दिन या दो दिन बाद शरीर में बहुत अधिक दर्द व टाइटनस का अहसास होता है। यह वास्तव में वर्कआउट के बाद मसल्स में होने वाली सोरनेस है। लेकिन जब आप वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग करती हैं तो इससे आपको काफी मदद मिलती है। ऐसा इसलिए है, ये ब्लड फ्लो को बढ़ाता है और आपकी मसल्स को आराम पहुंचाकर सोरनेस को कम करता है।
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बेहतर होता है पोश्चर
आपको शायद अंदाजा ना हो, लेकिन स्ट्रेचिंग से आपके बॉडी पोश्चर पर भी काफी असर पड़ता है। अगर आपकी मसल में टाइटनेस है तो इससे आपका पोश्चर बिगड़ सकता है। लेकिन जब आप स्ट्रेचिंग करती हैं तो इससे आपके शोल्डर, नेक और बैक एरिया की टेंशन रिलीज होती है। इस तरह आपका पोश्चर बेहतर होता है और आपको गलत पोश्चर की वजह से होने वाले दर्द की शिकायत नहीं होती।
चोटों से होता है बचाव
स्ट्रेचिंग करने से चोट लगने की संभावना भी काफी कम हो जाती है। दरअसल, जब मसल्स टाइट होती हैं, तो उन्हें चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है। इस स्थिति में स्ट्रेन या पुल्स आदि की संभावना रहती है। लेकिन जब आप स्ट्रेचिंग करती हैं तो इससे मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी बेहतर होती है और आप रोजाना की मूवमेंट्स बिना किसी परेशानी के कर सकती हैं।
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बेहतर होती है रेंज ऑफ मोशन
स्ट्रेचिंग से शरीर की रेंज ऑफ मोशन भी बेहतर होती है। जब आप स्ट्रेचिंग करती हैं तो इससे आप अपनी बॉडी को स्ट्रेच कर रही होती हैं। इससे जब आप बाद में वर्कआउट करती हैं तो आपको यह महसूस होता है कि आप अधिक डीप स्क्वॉट्स या फिर टो टचिंग जैसी एक्सरसाइज अधिक आराम से कर पा रही हैं। इस तरह समय के साथ आपकी बॉडी बहुत अधिक फ्लेक्सिबल हो जाती है।
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Image Credit- freepik
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