स्पेस में जाने वाला सबसे पहला व्यक्ति कौन था?

19 मार्च 2025 की सुबह अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अपने दो साथियों के साथ धरती पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार अंतरिक्ष में कदम रखने वाला शख्स कौन था? 
yuri alekseyevich gagarin was the first person in space learn about the dangers of his historic journey

मानव अंतरिक्ष यात्रा, विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है और इसकी शुरुआत यूरी गागरिन ने की थी। वह दुनिया के पहले ऐसेइंसान थे, जिन्होंने अंतरिक्ष में कदम रखा था। 12 अप्रैल 1961 को, गागरिन ने वोस्तोक 1 नामक अंतरिक्ष यान से उड़ान भर, जिससे स्पेस एक्सप्लोरेशन का नया युग शुरू हुआ। हालांकि, यह मिशन आसान नहीं था और इसमें कई तकनीकी जोखिम, शारीरिक चुनौतियां और जानलेवा खतरे शामिल थे। इस आर्टिकल में हम गागरिन की ऐतिहासिक यात्रा, उनके सामने आने वाली चुनौतियों और उन खतरों के बारे में बताएंगे, जिनका उन्होंने सामना किया और जिनसे उनकी जान को खतरा था।

यूरी गागरिन का जन्म

यूरी गागरिन का जन्म 9 मार्च 1934 को सोवियत संघ में हुआ था। वह एक बेहतरीन पायलट थे और अंतरिक्ष यात्रा के लिए उन्हें स्पेशली ट्रेनिंग दी गई थी। गागरिन को उनके अनुशासन, तेज दिमाग और मजबूत शारीरिक क्षमता की वजह से चुना गया था। उनकी हाइट 5 फीट 2 इंच थी, जिसकी वजह से वह Vostok 1 Capsule के छोटे से कॉकपिट में आसानी से फिट हो सकते थे। उनका कद उनके स्पेस में जाने के सपने को पूरा करने में मददगार साबित हुआ।

ऐतिहासिक उड़ान: 12 अप्रैल, 1961

Sunita Williams landing to earth

12 अप्रैल 1961 की सुबह, यूरी गागरिन वोस्तोक 1 नामक छोटे अंतरिक्ष यान में सवार हुए, जिसे सोवियत संघ के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया जाना था। मॉस्को समयानुसार सुबह 9:07 बजे, रॉकेट ने जोरदार गर्जना के साथ उड़ान भरी और गागरिन को लगभग 28,000 किमी प्रति घंटे की तेज रफ्तार से अंतरिक्ष में पहुंचा दिया। कुछ ही मिनटों में, यूरी भारहीनता महसूस करने वाले और पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने वाले पहले इंसान बन गए।

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वोस्तोक 1 मिशन: खतरों से भरी ऐतिहासिक उड़ान

यूरी गागरिन की अंतरिक्ष यात्रा ऐतिहासिक तो थी, लेकिन काफी जोखिमपूर्ण भी थी, क्योंकि उस समय इतनी तकनीक और सुरक्षा के उपाय नहीं थे।

लॉन्च फेल होने का खतरा

1960 के दशक की शुरुआत में रॉकेट टेक्नोलॉजी का जन्म हुआ था। उस समय कई परीक्षणों में कई रॉकेट लॉन्च हुए और सभी फेल हुए। कुछ मिशन के दौरान ब्लास्ट भी हो गए थे। आर-7 रॉकेट ने यूरी गागरिन को स्पेस में भेजा था, कई बार परीक्षण किया गया था लेकिन सफलता की गारंटी नहीं ली गई थी। अगर लॉन्च असफल होता, तो गागरिन की जान बचना नामुमकिन था।

अंतरिक्ष यान में खराबी का खतरा

वोस्तोक 1 कैप्सूल आज के अंतरिक्ष यानों की तुलना में बहुत ही सिंपल था। इसमें स्वचालित प्रणाली थी, लेकिन गागरिन के पास मैन्युअली इसे कंट्रोल करने का विकल्प नहीं था। अगर सिस्टम में कोई खराबी आती है, तो वह कुछ नहीं कर सकते थे।

अंतरिक्ष विकिरण का असर

1961 में वैज्ञानिकों को पता नहीं था कि स्पेस रेडिएशन इंसानी शरीर को कैसे प्रभावित करता है। जब यूरी गागरिन अंतरिक्ष पहुंचे थे, तो वह खतरनाक स्पेस रेडिएशन के संपर्क में आ सकते थे, जिससे उन्हें गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती थीं।

मानसिक और शारीरिक दबाव

Sunita Williams return to earth

यूरी गागरिन पहले इंसान थे, जो लंबे समय तक Zero Gravity में रहे। उस समय वैज्ञानिकों को आशंका थी कि उन्हें चक्कर आ सकता है या वह मानसिक रूप से अस्थिर हो सकते थे। पृथ्वी पर लौटते सम,य यूरी गागरिन पर G-Force का प्रभाव पड़ने से बेहोशी का खतरा भी था।

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पृथ्वी पर लौटने का जोखिम

स्पेस से धरती लौटने की यात्रा गागरिन के लिए काफी कठिन थी। जैसे ही उनके वोस्तोक 1 कैप्सूल ने धरती के वायुमंडल में एंटर किया, तो उसे घर्षण के कारण 1,650°C यानी 3,000°F से ज्यादा के तापमान का सामना करना पड़ा। अगर हीट शील्ड में कोई गड़बड़ होती, तो पूरा कैप्सूल जलकर नष्ट हो सकता था।

यूरी गागरिन की सुरक्षित वापसी

कई खतरों और जोखिमों के बावजूद, यूरी गागरिन का मिशन पूरी तरह से सफल रहा था। वोस्तोक 1 कैप्सूल से निकलकर वह रूस के सारातोव क्षेत्र में स्मेलोवका गांव के पास एक खेत में उतरे। स्थानीय किसान और ग्रामीण आसमान से उतरते हुए एक अजीबोगरीब नारंगी स्पेससूट पहने व्यक्ति को देखकर चौंक गए थे। जब उन्होंने गागरिन से उनकी पहचान पूछी, तो उन्होंने जवाब दिया कि वह अभी-अभी अंतरिक्ष से लौटे हैं।

गागरिन के मिशन का प्रभाव

गागरिन की सफलता ने अमेरिका के साथ चल रही अंतरिक्ष दौड़ में सोवियत संघ को बढ़त दिलाई। इस मिशन ने साबित कर दिया कि इंसान स्पेस में जा सकता है और वहां पर जीवित भी रह सकता है।

अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद यूरी गागरिन ने स्पेस एक्स्प्लोरेशन को बढ़ावा देने के लिए सद्धावना राजदूत के रूप में दुनिया भर की यात्रा की। 27 मार्च 1968 में 34 साल की उम्र में प्लेन क्रैश में उनकी मृत्यु हो गई।

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Image Credit - social media, nasa


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