हमारे देश में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में मैरिटल रेप एक ऐसा मामला है जिस पर सुप्रीम कोर्ट के अभी कई केस पेंडिंग पड़े हैं। इस केस से जुड़ा एक अन्य फैसला छत्तीसगढ़ के हाई कोर्ट ने दिया है, जिसे सुनकर लोग हैरान हैं।
अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पति द्वारा अननेचुरल सेक्सुअल रिलेशन को जुर्म मानने से भी इंकार किया है। कोर्ट ने कहा कि बालिग पत्नी के साथ सहमति के साथ या फिर उसके बिना सेक्सुअल रिलेशन बनाने के लिए पति पर रेप या अननेचुरल संबंध का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। साथ ही, अननेचुरल तरीके से संबंध बनाने में पत्नी की सहमति भी जरूरी नहीं है।
यह फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने रायपुर के रहने वाले एक शख्स बरी किया है जिसके ऊपर ट्रायल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 376, 377 और 304 लगाए थे। बता दें कि शख्स पर पत्नि के साथ अननेचुरल तरीके से संबंध बनाने का आरोप लगा था। इस फैसले में अब तक क्या हुआ और हाई कोर्ट ने अपने स्टेटमेंट में क्या कहा, चलिए इस लेख में आपको विस्तार से बताएं।
यह मामला 11 दिसंबर 2017 का है। दरअसल, रायपुर निवासी गोरखनाथ शर्मा पर आरोप था कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अननेचुरल सेक्सुअल रिलेशन बनाया था। आरोपी ने पत्नी के एनस में जबरन हाथ डाला था। इसके बाद पत्नी की हालत बिगड़ी, तो उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
मृत्यु से पहले, आरोपी की पत्नी का बयान दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि पति द्वारा किए गए अप्राकृतिक यौन संबंध के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी।
पुलिस ने पति पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 (बलात्कार), धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और धारा 304 (लापरवाही से मौत) के तहत मामला दर्ज किया।
पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने भी बताया था कि मौत का कारण पेरिटोनाइटिस (आंतों में संक्रमण) और मलाशय में गंभीर चोट थी।
हालांकि, इसके बाद, कुछ गवाह अपने बयान से पलट गए और कार्यकारी मजिस्ट्रेट, जिसने महिला का मृत्यु पूर्व बयान दर्ज किया था ने अदालत में कहा कि महिला ने अपने पति पर जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध का आरोप लगाया था, लेकिन यह बात बयान में दर्ज नहीं की गई थी।
ट्रायल कोर्ट ने सबूतों और मृत्यु पूर्व बयान को ध्यान में रखते हुए शर्मा को IPC की धारा 375, 377 और 304 के तहत दोषी करार दिया और उसे दस साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
इसे भी पढ़ें: 'पत्नी की उम्र 18 साल या उससे अधिक होने पर मैरिटल रेप को नहीं माना जा सकता अपराध': इलाहाबाद हाईकोर्ट
इसी मामले में अब हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सभी दलीलों को सुनकर और एविडेंस को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सेक्शन 375 और सेक्शन 377 को एग्जामिन किया।
जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कानूनी रूप से यौन संबंधों के लिए पत्नी की सहमति जरूरी नहीं होती है।
कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 के तहत रेप में पुरुष द्वारा महिला के शरीर के हिस्से, जैसे कि वेजाइना, यूरेथरा या एनस में प्रवेश शामिल है। हालांकि, अगर ऐसा कृत्य पति-पत्नी के बीच होता है, तो इसे रेप नहीं माना जाएगा, भले ही इसमें पत्नी की सहमति न हो, क्योंकि इसे अपवाद 2 के तहत स्पष्ट रूप से जुर्म नहीं माना गया है। इसलिए, जब यह कृत्य धारा 375 के तहत अपराध नहीं है, तो इसे धारा 377 के तहत भी अपराध नहीं माना जा सकता।
फैसले ने आरोपी पर लगाए गए आरोपों को भी खारिज कर दिया और जेल से उसकी फौरन रिहाई का आदेश दिया।
इसे भी पढ़ें: यौन उत्पीड़न के ये मामले बताते हैं कि रक्षा का वादा करने वाले परिवार से भी सुरक्षित नहीं हैं महिलाएं
इस मामले ने मैरिटल रेप और अप्राकृतिक यौन संबंध से जुड़े कानूनी लूपहोल को उजागर किया है। आईपीसी की धारा 375 के तहत, अपवाद 2 के कारण शादी के बाद जबरदस्ती बनाए गए संबंधों को बलात्कार नहीं माना जाता, जिससे पति पर आरोप नहीं लग सकता। वहीं, धारा 377 अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध मानती है, लेकिन वैवाहिक संबंधों में सहमति की गैर-मौजूदगी को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता। इस कानूनी विरोधाभास की वजह से आरोपी को कोई सजा नहीं मिली, क्योंकि उसे दोषी ठहराने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं था।
इस मामले ने अहम सवाल उठाया है कि क्या मैरिटल रेप पर कोई कानून न होने से पति को यह अधिकार मिल जाता है कि वह पत्नि के साथ बुरा व्यवहार कर सकता है? उसके कृत्य से भले ही पत्नी को गंभीर नुकसान हो या मौत हो जाए, तो भी वह दोषी नहीं ठहराया जाएगा?
यह मामला महिलाओं के अधिकारों, शादी में सहमति की अहमियत और कानून में सुधार की जरूरत को फिर से चर्चा में ले आया है। मैरिटल रेप से जुड़े कानूनों की कमी अब भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
यह फैसला भारतीय कानून में प्रचलित पुरानी सोच को उजागर करता है, जहां शादी के बाद पति को एक अनियंत्रित अधिकार मिल जाता है कि वह पत्नि के साथ कुछ भी कर सकता है...पत्नि की सुरक्षा और सम्मान को ऐसे कानून दरकिनार कर देते हैं।
इस विषय में आपकी क्या राय है, हमारे आर्टिकल के कॉमेंट बॉक्स पर लिखकर बताएं। इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिदंगी के साथ।
Image credit: Freepik
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।