घर में कामवाली के साथ अक्सर महिलाओं की कहा-सुनी हो जाती है। वहीं, इनके न आने पर महिलाओं के माथे पर चिंता की लकीरे भी नजर आने लगती हैं। सोसाइटी में महिलाओं का व्हाट्सएप ग्रुप हो या कुछ सहेलियों का ग्रुप, हाउसहेल्प से जुड़े टॉपिक्स पर चर्चा होना काफी आम है।
कभी नीम-नीम...कभी शहद-शहद, कुछ ऐसा ही है घर की मालकिन और हाउसहेल्प के बीच का यह रिश्ता। लेकिन, हाल ही में इससे जुड़ी एक नई बहस सोशल मीडिया पर छिड़ गई है। दरअसल, एक महिला ने चेन्नई और दिल्ली की मेड के बीच तुलना कर डाली और बताया कि कैसे चेन्नई की मेड दिल्ली से कई गुना बेहतर हैं और यहां की हाउसहेल्प के साथ उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छुट्टी लेने के लिए बहाने बनाने से लेकर काम को हल्के में लेने तक, उन्होंने दिल्ली की मेड से जुड़े कई ऐसी बातें सामने रख दीं, जिन्हें न तो आप झुठला सकते हैं और उनमें सही-गलत तय करना भी बड़ा मुश्किल है। महिला के पोस्ट के बाद इंटरनेट पर कई यूजर्स अलग-अलग तरह की दलीले देने लगें और एक ऐसी बहस छिड़ गई, जिसमें हर महिला को दिलचस्पी आना तय है। चलिए, आपको बताते हैं यह पूरा वाकया।
महिला ने की दिल्ली और चेन्नई की हाउसहेल्प के बीच तुलना
एक महिला ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की, जिसमें उसने दिल्ली और चेन्नई की हाउसहेल्प के काम करने के तरीके और उनके वर्क एथिक्स की तुलना की। महिला पहले कुछ साल चेन्नई में थी और अब वह दिल्ली में रह रही हैं। उन्होंने लिंक्डिन पर एक बड़े से पोस्ट में दोनों जगह की मेड के बर्ताव के अंतर पर टिप्पणी की और एआई की मदद से इसमें कुछ फोटोज भी लगाईं। महिला की मानें तो चेन्नई में उनकी मेड काफी संजीदगी से काम करती थीं, सुबह जल्दी काम की शुरुआत करके घरों में काम करने के बाद वह एक्स्ट्रा काम भी करती थीं ताकी अतिरिक्त कमाई हो सके। इतना ही नहीं, अगर वे तय छुट्टियों से ज्यादा छुट्टी लेती थीं, तो सामने से अपनी सैलरी काटने के लिए कहती थीं। महिला ने एक वाकये का भी जिक्र किया, जिसमें जब गलती से महिला से घर में खाना वेस्ट हो गया था, तो उनकी कामवालि ने कहा था, "आप खाना फेंका मत करो...अगर खाना बच जाए तो हमें दे दिया करो।"
वहीं, जब वह दिल्ली आईं तो उन्होंने देखा कि यहां की मेड का बर्ताव पूरी तरह से अलग हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में बताया कि पिछले एक साल में वह 6 मेड बदल चुकी हैं। यहां मेड बिना बताए छुट्टी लेने को मानो अपना अधिकार समझती हैं और पूछने पर कहती हैं, "कोई मर गया था...मैं बेहोश हो गई थी...रिश्तेदार हॉस्पिटल में है या फिर कुछ और। इसके बाद अगर सैलरी काटने के बाद की जाए, तो उन्हें बुरा लग जाता है। बचा हुआ खाना लेना भी यहां की मेड को अच्छा नहीं लगता है।"
क्या जानबूझकर गरीबी रेखा से ऊपर उठने को तैयार नहीं हैं दिल्ली की मेड?
महिला ने यह भी दावा किया कि दोनों जगह ही मेड में माइंडसेट का बहुत अंतर है। साउथ में जहां डोमेस्टिक वर्कर्स काम को लेकर संजीदगी दिखाती हैं, टाइम की वैल्यू करती हैं और अच्छे फ्यूचर का सपना देखती हैं। वहीं, दिल्ली और नॉर्थ इंडिया में कई मेड जानबूझकर गरीबी रेखा से ऊपर उठने को तैयार नहीं हैं। एक रुपये की दाल और चावल में वे खुश हैं और पढ़ाई और सपनों को वे दरकिनार कर चुकी हैं।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
महिला के पोस्ट के बाद कमेंट्स में लोग अपनी राय रख रहे हैं और इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है। जहां कुछ लोगों का कहना है कि छुट्टी पर पैसे काटना या कामवाली से ये उम्मीद रखना कि वे बचा हुआ खाना लें, यह सही नहीं है और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि वाकई आजकल मेड अपने काम को लेकर संजीदगी नहीं दिखाती हैं और कुछ कहने पर अपनी गलती न मानकर आपको ही गलत ठहराने की कोशिश करती हैं। खैर, यह मुद्दा बेशक इंट्रेस्टिंग है और इसे लेकर सबकी अपनी-अपनी राय हो सकती है। बेशक हाउसहेल्प का काम छोटा नहीं है और उन्हें अपने काम के लिए पूरी इज्जत और सही पगार मिलनी चाहिए लेकिन उनकी भी ये जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने काम को पूरी ईमानदारी और दिल से करें।
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इस बारे में आपकी क्या राय है और आपका हाउसहेल्प के साथ अनुभव कैसा रहा है, हमें कमेंट्स में बताएं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: Shutterstock, Meta AI
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