लाइफ इंश्योरंस पॉलिसी हर महिला के लिए बेहद जरूरी है। लाइफ इंश्योरेंस में कई ऐसे फीचर होते हैं, जिनसे महिलाओं को ढेर सारे फायदे मिलते हैं। इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि 2017-18 में 90 लाख महिलाओं ने Life Insurance Policy खरीदी, जबकि इसी टाइम पीरियड में लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने पाले पुरुषों की संख्या 1.91 करोड़ थी। साफ है कि बीमा कराने के मामले में महिलाएं पुरुषों से काफी पीछे हैं।
पुरुषों की तुलना में इंश्योरेंस कराने वाली महिलाएं कम
हालांकि पिछले दशक से तुलना करने पर पता चलता है कि लाइफ इंश्योरेंस को लेकर महिलाओं में जागरूकता बढ़ी है और इसीलिए बीमा कराने वाली महिलाओं की संख्या अब निरंतर बढ़ रही है। बीते दशक में कई निजी बीमा कंपनियां भारतीय बाजार में सक्रिय हुई हैं। सूत्रों के अनुसार 2017-18 के दौरान इंश्योरेंस एजेंट और अन्य दूसरे इंटरमीडिएरीज 10 हजार महिलाओं के ग्रुप में से केवल 139 महिलाओं को बीमा कराने के लिए मनाने में सफल रहे। यह इस बात की तरफ संकेत करता है कि ज्यादातर महिलाओं ने लाइफ इंश्योरंस को एक फायदेमंद फाइनेंशियल टूल के रूप में नहीं लिया। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी आपके लिए कैसे फायदेमंद साबित होती है।
फाइनेंशियल सिक्योरिटी का बेहतरीन जरिया
लाइफ इंश्योरंस एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है, जो परिवार को कमाऊ सदस्य की असमय मौत होने पर उसे फाइनेंशियल सिक्योरिटी देता है। इसीलिए परिवार का खर्चा चलाने वाली या पति के साथ मिलकर घर की जिम्मेदारी संभालने वाली महिलाओं को लाइफ इंश्योरेंस जरूर लेना चाहिए। देखने में आता है कि महिलाएं आमतौर पर पुरुषों पर निर्भर रहती हैं, जबकि उन्हें लंबे समय तक अपनी देखभाल की जरूरत होती है। इसलिए उन्हें कई हिस्सों में व्यवस्थित तरीके से फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए। महिलाओं को लाइफ इंश्योरंस खरीदने में गंभीरता से सोचना चाहिए। 60 साल या इसके ज्यादा की उम्र में मैच्योर होने वाली एंडाउमेंट पॉलिसी महिलाओं के लिए सेविंग के साथ हर तरह की वित्तीय जरूरत को पूरा करने का साधन बन सकती है।
मिलती है सोशल सिक्योरिटी
कई महिलाएं बीमा उस समय खरीदती हैं, जब उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी बिजनेस या हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के कारण जोखिम में है। महिलाओं को लाइफ इंश्योरेंस खरीदने इसलिए भी लेनी चाहिए ताकि किसी भी अनहोनी होने की स्थिति में उनके घर के बड़े-बुजुर्गों और आश्रितों के लिए सोशल सिक्योरिटी बनी रहे।
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समय पर प्रीमियम भरना जरूरी
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ अच्छी बात ये है कि इसे बहुत ज्यादा मॉनिटर करने की जरूरत नहीं पड़ती है। बस इस बात का ध्यान रखें कि समय पर, एडवांस में या फिर ग्रेस पीरियड तक पॉलिसी का प्रीमियम जमा कर दें। इस पॉलिसी में निवेश में किसी तरह का झंझट या मुश्किल नहीं है। अगर इस पॉलिसी को बीच में बंद ना किया जाए, तो यह बोनस के रूप में अच्छी आमदनी का जरिया हो सकती है।
यदि पॉलिसी की मैच्योरिटी 60 साल या इससे ज्यादा की उम्र में प्लान की जाए तो महिलाएं बिना किसी परेशानी के एकमुश्त बड़ी रकम पा सकता है। इसका इस्तेमाल महिलाएं अपने लिए एन्युटी पॉलिसी खरीदने में निवेश कर सकती है। पॉलिसी लेते हुए इस बात का भी ध्यान रखें कि कुछ कंपनियां महिलाओं के लिए प्रीमियम की रकम कम रखती हैं, क्योंकि उनका मानना है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं लंबे समय तक बीमा पॉलिसी होल्ड करती हैं।
टैक्स में मिलती है छूट
यदि हाउसवाइफ बीमा खरीदती हैं और उनके प्रीमियम की राशि उनके पति की आमदनी से ही आती है, तो यह इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स छूट के दायरे में आता है। कामकाजी महिलाओं को स्वयं ही टैक्स में छूट की जरूरत होती है। मैच्योरिटी होने पर या डेथ क्लेम की स्थिति में लाइफ इंश्योरेंस टैक्स फ्री होता है। ऐसे में इंश्योरेंस एक ऐसा इन्वेस्टमेंट प्लान है, जिस पर टैक्स की देनदारी ना के बराबर होती है और पॉलिसी होल्डर को सीए या कंसल्टेंट की फाइनेंशियल सर्विसेज की जरूरत नहीं पड़ती है।
अपनी सेविंग्स कर कम से कम एक एंडाउमेंट पॉलिसी जरूर लें, जिसकी मैच्योरिटी 60वें साल में हो। अगर आप टर्म इंश्योरेंस लेती हैं, तो वह भी आपको फाइनेंशियल सिक्योरिटी देने के साथ आपकी तमाम तरह की फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करता है।
यदि पति की तरफ से पत्नी के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं खरीदी जाती है तो उसे महिलाओं को खुद अपने लिए विवाहित महिला प्रॉपर्टी कानून (MWP) के लिए पर्याप्त सम एश्योर्ड वाली पॉलिसी लेनी चाहिए। MWP के तहत खरीदी गई पॉलिसी से सुनिश्चित होता है कि उसके पैसों का इस्तेमाल पत्नी और बच्चों के हितों के लिए ही किया जाएगा। यह पॉलिसी किसी भी अथॉरिटी की तरफ से किसी भी हालात में अटैच नहीं की जा सकती है।
क्या कहते हैं फाइनेंशियल एक्सपर्ट
सर्टीफाइड फाइनेंशियल प्लानर पंकज मठपाल बताते हैं, 'सबसे पहले तो हर महिला को अपने लिए स्वास्थ बीमा कवर ( मेडिक्लेम) लेना चाहिए। बढ़ते अस्पताल खर्च के मद्देनजर स्वास्थ बीमा होना अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ बीमा के अभाव में कई बार स्त्री को या उसके परिवार को अपनी जमा पूँजी खर्च करनी पड़ती है और कर्ज लेने तक की नौबत आ जाती है। जीवन बीमा का मुख्य उद्देश्य यह है की यदि घर के मुखिया की आकस्मिक मुत्यु हो जाए तो परिवार के अन्य सदस्यों को आर्थिक तंगी से न जूझना पड़े। महिला यदि कामकाजी है और उसका परिवार आर्थिक तौर पर उस पर निर्भर है तो उसे जीवन बीमा अवश्य लेना चाहिए। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि टर्म इन्श्योरेन्स प्लान ही इन्योरेंस के आपके सभी लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता रखता है। एन्डोमेंट, मनी-बैक या यूलिप जैसे प्लान न तो इन्स्योरेन्स और ना ही निवेश की दृष्टि से सार्थक होते हैं।
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