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गुरूद्वारे में जाने से पहले क्यों ढकते हैं सिर, जानें वजह

अगर आपको नहीं पता है कि गुरूद्वारे में जाते समय सिर को ढककर क्यों जाते हैं तो इस आर्टिकल को पढ़ें।
Editorial
Updated:- 2021-12-24, 17:37 IST

हम अक्सर अपने आसपास के लोगों को सिर ढककर पूजा करते हुए देखते हैं। यही नहीं, किसी धार्मिक स्थल जाते समय भी सिर ढककर प्रवेश करने का रिवाज है। चाहे आप चर्च जाएं और मंदिर आपको यहां लोग सिर ढककर ही पूजा-अर्चना करते हुए नजर आएंगे। कुछ ऐसा ही सिख धर्म में भी देखने को मिलता है। यही कारण है कि जो कोई व्यक्ति गुरूद्वारे जाता है तो बिना सिर ढके अन्दर नहीं जाता। दरअसल, इसके पीछे का कारण खास है। तो आईए इस आर्टिकल में जानते हैं कि गुरूद्वारे में जाने से पहले सिर क्यों ढका जाता है।

क्यों ढका जाता है सिर?

visiting a gurdwara

बता दें कि इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि जिन्हें आप श्रेष्ठ और आदरणीय मानते हैं, उनके सम्मान में सिर ढका जाता है। हर धर्म में परमात्मा का दर्जा सबसे ऊपर है। ठीक ऐसा ही सिख धर्म में भी है। इसलिए भगवान को सम्मान देने के लिए गुरूद्वारे में सिर ढककर जाया जाता है। ऐसे में अगर आप सिख बिरादरी से नहीं हैं तो आपको गुरूद्वारे जाने से पहले किसी न किसी कपड़े से अपना सिर ढकना होगा।

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मालूम हो, सिख धर्म में ऐसी मान्यता है कि हमारे शरीर में 10 द्वार मौजूद हैं। दो आंखें, दो कान, एक मुंह, दो नासिका, दो गुप्तांग और सिर होता है। इन 10 द्वारों में सिर का स्थान सबसे संवेदनशील होता है। माना जाता है कि इस दसवें द्वार यानि कि सिर के जरिए ही मनुष्य परमात्मा के दर्शन कर पाता है। यही नहीं, इस दसवें द्वार का सीधा संबंध हमारे मन से होता है। चूंकि, हमारा मन चंचल होता है इसलिए हम परमात्मा में आसानी से ध्यान नहीं लगा पाते।

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ऐसे में कहा जाता है कि भगवान के दरबार में जाने से पहले मन को नियंत्रित करने के लिए सिर को ढकना जरूरी है। वैसे सिर ढकने के पीछे एक और धारणा है। माना जाता है कि इससे ना सिर्फ नकारात्मक उर्जा का नाश होता है बल्कि शरीर में ध्यान से एकत्रित हुई सकारात्मक उर्जा भी बनी रहती है। मान्यता है कि सिर ढककर पूजा करने से हमारे सिर के बीच में मौजूद चक्र सक्रिय हो जाता है।

कैसे ढके सिर?

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अगर आप किसी मंदिर या गुरूद्वारे जैसे पवित्र स्थल पर जा रहे हैं तो आप रुमाल या दुपट्टे के जरिए अपना सिर ढक सकते हैं। वैसे गुरूद्वारे में रुमाल दिया जाता है। रुमाल एक ऐसा कपड़ा होता है, जिसे वो लोग पहनते हैं जिनके सिर पर सिख लोगों की तरह पगड़ी नहीं होती। सिख धर्म में सिर परमात्मा को सम्मान देने के लिए ढका जाता है, इसलिए गुरूद्वारे में जाते समय ही लोगों को सिर ढकने के लिए रुमाल दिए जाते हैं।

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