मांगलिक कार्य में महिलाएं और पुरुष क्यों ढकते हैं सिर? जानें क्या है बृहस्पति से इसका संबंध

हिंदू धर्म में परंपरा को निभाने के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है। इसी तरह सिर ढकने से भी मानव को कई तरह के फायदे होते हैं। 

  • Hema Pant
  • Editorial
  • Updated - 2022-05-31, 14:08 IST
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अक्सर आपने देखा होगा कि लोग पूजा के दौरान अपना सिर किसी न किसी कपड़े से जरूर ढकते हैं। हालांकि, कहा जाता है कि सिर ढकना बड़ों के प्रति सम्मान देने का संकेत है। सिर ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि, लोगों ने इसके अपने-अपने अर्थ निकाले हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इसका संबंध बृहस्पति गृह से है? बृहस्पति जी सभी देवताओं के गुरू होते हैं। क्या आप जानना चाहते हैं कि पूजा के दौरान सिर ढकने से क्या होता है? इस विषय पर विस्तार से जानने के हमने जाने माने एस्ट्रोलॉजरनितिन मनचंदा से बात की है। उन्होनें हमें बताया कि सिर ढकने से शरीर को कई तरह के लाभ मिलते हैं। साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पैदा होने लगती है।

बृहस्पति की शक्ति को बढ़ाना

jupiter p;anet benefitsसिर का संबंध मंगल से होता है। मंगल हमारी गतिविधियों और भौतिक जीवन का प्रतिनिधित्व करता है। यानी ऐसी दुनिया जहां लोग एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। जैसे अगर सामने वाले के पास गाड़ी या बंगला है तो आपके पास भी होना चाहिए। इसी के कारण इंसान असली सुख को भूल जाता है। और इस भौतिक जीवन में फंस जाता है। बुरे भाव राहु होते हैं। ऐसे में जब आप किसी कपड़े से सिर को ढकते हैं, तो उसे बृहस्पति से जोड़कर देखा जाता है। इससे बृहस्पति की शक्ति बढ़ती है।

बृहस्पति है सात्विक ग्रह

सिर ढकना यानी सात्विक हो जाना। क्योंकि बृहस्पति सात्विक ग्रह है। यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य के दौरान महिलाएं सिर को पल्लू और पुरुष किसी कपड़े से ढकते हैं। सिर ढकने से बृहस्पति की ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। जिससे मानव की शरीर की आत्म शक्ति बढ़ जाती है। इससे अंहकार और बुरे ख्याल दूर होने लगते हैं। इस दौरान हम सात्विक भाव में आ जाते हैं। कहा जाता है कि महिलाएं जब सात्विक भाव में आ जाती हैं तो उनकी शक्ति अधिक बढ़ जाती है। तब यह शिव शक्ति को जन्म देती है। क्योंकि बृहस्पति को सात्विक ग्रह माना जाता है। इसलिए इस दौरान शरीर से लेकर खाने तक हर एक चीज का सात्विक होना जरूरी है। यही कारण है कि पूजा या किसी व्रत में प्याज और लहसुन नहीं खाया जाता है।

सत्युग से चली आ रही ये परंपरा

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सिर ढकने की परंपरा सत्युग से चली आ रही है। यह बड़े बुजुर्ग लोगों को सम्मान देने का एक तरीका है। साथ अगर आपने देखा हो तो मां लक्ष्मी जब भगवान विष्णु के पांव दबाती है, तो उन्होनें भी अपना सिर ढका होता है। इसलिए इसका संबंध मां लक्ष्मी से भी माना जाता है। (शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका जानें)

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नकारात्मक ऊर्जा होती है दूर

कलयुग के इस दौर में मानव जीवन चिंता में बीत रहा है। ऐसे में कहा जाता है कि सिर ढकने से इन सभी समस्याओं से बचा जा सकता है। सिर ढकने से बृहस्पति की ऊर्जा शरीर में आती है। ऐसे में राहु की दशा कुछ हद तक दूर हो जाती है। राहु को मैटिरियल वर्ल्ड से जोड़कर देखा जाता है और भौतिक जीवन हमेशा सुखदायी नहीं होता है। (तुलसी के सूखे पत्तों के उपाय)

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किस रंग का कपड़ा होता है शुभ

अक्सर आपने देखा होगा कि सिर ढकने के लिए कुछ खास रंग के कपड़ों का ही इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, लाल और पीले रंग को बेहद शुभ माना जाता है। क्योंकि लाल रंग मंगल को दर्शाता है। वहीं पीला रंग विष्णु भगवान से संबंधित है। इसलिए जब भी आप किसी शुभ कार्य में बैठें तो लाल या पीले रंग के कपड़े से ही अपने सिर को ढकें।

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Image Credit: freepik & Shutterstock

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