मंदिरों के भीतर गर्भगृह वो स्थान होता है जहां ईश्वर की मूर्ति स्थापित की जाती है। आमतौर पर यह स्थान थोड़ा भीतर की तरफ होता है और इसमें पूरी तरह से रौशनी का प्रवेश नहीं होता है। इसमें दरवाजे तो हो सकते हैं, लेकिन खिड़कियों के लिए कोई स्थान नहीं होता है।
दरअसल इस स्थान को कुछ विशेष रूप से बनाया जाता है जिससे ईश्वर की एकांत में स्थापित किया जा सके और उस स्थान को ज्यादा पवित्र बनाया जाता है। आमतौर पर मंदिर में गर्भगृह के भीतर भक्तों का प्रवेश वर्जित होता है, जिससे उसकी पवित्रता बनी रहे।
गर्भगृह ईश्वर को हृदय की गुफा में रहने के रूप में वर्णित किया जाता है। आप सभी ने देखा होगा कि किसी भी मंदिर में गर्भगृह के दरवाजे सामान्य की तुलना में हम ऊंचाई के बनाए जाते हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इसके कारणों के बारे में।
घमंड को कम किया जा सके
किसी भी मंदिर में गर्भगृह के दरवाजे इसलिए छोटे रखे जाते हैं, जिससे जब कोई भी व्यक्ति इसके भीतर प्रवेश करे तब अपने आप ही उसका सिर झुक जाए और उसके घमंड को मंदिर के बाहर ही समाप्त कर दिया जाए।
यह इस बात का प्रतीक होता है कि अपने घमंड को नबहार ही छोड़ दिया जाए और पूरी तरह से भगवान पर ध्यान आकर्षित किया जा सके। यह भक्तों के समर्पण का प्रतीक भी माना जाता है और इस स्थान पर जब कोई भी भक्त प्रवेश करता है तो वो अहंकार से दूर और निश्छल हो जाता है।
भक्ति का पूरा फल मिलता है
गर्भगृह को सामान्य की तुलना में छोटा रखने का एक कारण यह भी है कि भक्त ईश्वर से प्रार्थना करना है कि उसका पूरा ध्यान अब ईश्वर पर ही केंद्रित है और उसने एटीएम समर्पण कर दिया है।
इस स्थान पर व्यक्ति अंतर्मुखी हो जाता है और मोह माया से दूर होकर ब्रह्म में लीं हो जाता है। इस स्थान का प्रत्येक अनुष्ठान भक्तों को ईश्वर के निकट लाता है और किसी भी तरह के गलत भावों को मंदिर के बाहर ही छोड़ देने पर केंद्रित होता है।
क्या होता है गर्भगृह
किसी भी मंदिर का गर्भगृह एक एकल कक्ष है जिसमें उगते सूरज की रौशनी के लिए स्थान पूर्व की ओर होता है। यह एक वर्गाकार कक्ष होता है और इसके केंद्र में ईश्वर की स्थापना की जाती है।
गर्भगृह व्यापक रूप से महत्वपूर्ण और पवित्र क्षेत्र है जहां भगवान की पूजा नियम से की जाती है। भगवान के श्रृंगार से लेकर स्नान तक की सभी प्रक्रियाएं इसी स्थान पर की जाती हैं। देवियों के लिए, गर्भगृह एक आयताकार स्थान होता है। वहीं शिवालय में गर्भगृह के बाहर नंदी की प्रतिमा होती है, जिससे उस स्थान की रक्षा नंदी द्वारा की जा सके।
गर्भगृह के भीतर भक्तों का प्रवेश वर्जित क्यों होता है
आमतौर पर भगवान महादेव को गर्भगृह नामक केंद्रीय कक्ष में रखा जाता है। इस स्थान की पवित्रता बनाए रखने एक लिए यहां सिर्फ मुख्य पुजारी या उनसे जुड़े ख़ास लोगों का ही प्रवेश होता है। पुजारी उस स्थान की सफाई से लेकर सभी प्रकार के नियमों का पालन करते हैं और इस जगह को पवित्र बनाए रखने में मदद करते हैं।
वास्तव में गर्भगृह अत्यंत शुभ और पवित्र स्थान है और इसके प्रवेश द्वार को हमेशा छोटा ही बनाया जाता है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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