आखिर क्यों पड़ा गुप्त नवरात्रि का यह नाम?

साल में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है, जिसमें से दो नवरात्रि को गुप्त कहा जाता है। क्या आपको पता है कि इन दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि क्यों कहा जाता है? यदि नहीं तो चलिए जानते हैं।

 
why gupt navratri is called gupt

साल में चार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जिसमें से दो को प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। ज्यादातर लोगों को प्रत्यक्ष नवरात्रि के बारे में पता है, जो कि चैत्र मास और अश्विन मास में मनाई जाती है। बहुत से लोगों को गुप्त नवरात्रि के बारे में नहीं पता है, इसलिए इसे ज्यादातर लोग मनाते भी नहीं है। बहुत से लोगों के मन में गुप्त नवरात्रि को लेकर यह सवाल आता है, कि इसे गुप्त क्यों कहा जाता है। इसका गुप्त नवरात्रि नाम क्यों रखा गया है?

इस साल की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से शुरू हो चुकी है, बहुत से भक्त इन दिनों भी व्रत रखते हैं और माता रानी की पूजा अर्चना करते हैं। बता दें कि गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि और नियम प्रत्यक्ष नवरात्रि से अलग होती है। ऐसे में चलिए जान लेते हैं, गुप्त नवरात्रि से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और इस नाम के पीछे की वजह।

क्या है गुप्त नवरात्रि का अर्थ?

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माघ और आषाढ़ में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है। इस गुप्त नवरात्रि में लोग तंत्र मंत्र की साधना और सिद्धी करते हैं। इन दोनों गुप्त नवरात्रि में तंत्रों की सिद्धी का महत्व है। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी गुप्त महाविद्याओं की सिद्धि के लिए विशेष पूजा और साधना करते हैं। इन दोनों ही नवरात्रि में की जाने वाली तंत्रों की साधना को गुप्त रूप से की जाती है, ताकि देवी मां से जल्दी सिद्धि प्राप्त हो सके।

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नौ के बजाए दस देवियों की होती है पूजा

यह तो हम सभी को पता है कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि गुप्त नवरात्रि में दस देवियों की पूजा होती है। इन दस देवियों में तारा देवी, कालिके देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नमस्ता, माता भुवनेश्वरी, मां धूमावती, माता त्रिपुर भैरवी, माता मातंगी, माता बगलामुखी, माता कमला देवी शामिल हैं।

गुप्त से जुड़े रोचक तथ्य

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  • गुप्त नवरात्रि गृहस्थों के लिए नहीं बल्कि तंत्र विद्या की साधना करने वाले लोगों के लिए है।
  • गुप्त नवरात्रि की पूजा यदि गृहस्थ कर रहे हैं, तो उन्हें नव देवियों की पूजा करनी चाहिए।
  • प्रत्यक्ष नवरात्रि में जहां सात्विक साधना, नृत्य और उत्सव मनाया जाता है, वहीं गुप्त नवरात्रि में ऐसा कुछ नहीं होता।
  • प्रत्यक्ष नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति का त्यौहार है, तो वहीं गुप्त नवरात्रि साधना और सिद्धी एवं मोक्ष की कामना का पर्व है।
  • प्रत्यक्ष नवरात्रि में देवी पार्वती की पूजा होती है, तो वहीं गुप्त नवरात्रि में माता काली की पूजा की जाती है।

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Image Credit: Freepik

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