herzindagi
annapurna goddess symbols

कौन हैं अन्नपूर्णा माता और काशी एवं मां पार्वती से क्या है उनका संबंध?

अनाज और भोजन की देवी माता अन्नपूर्णा का जयंती आने वाला है। हर साल मार्गशीर्ष के महीने में माता अन्नपूर्णा की जयंती मनाई जाती है। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-12-19, 21:15 IST

मार्गशीर्ष माह में माता अन्नपूर्णा की जयंती मनाई जाती है। हर साल मार्गशीर्ष माह के पूर्णिमा तिथि को माता अन्नपूर्णा की जयंती मनाई जाती है। माता अन्नपूर्णा को मां दुर्गा या पार्वती का ही रूप माना गया है। साथ ही काशी विश्वनाथ से भी माता अन्नपूर्णा का विशेष संबंध बताया गया है। काशी में माता अन्नपूर्णा का भव्य मंदिर है, जहां जाने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। बहुत से भक्तों के मन में यह सवाल रहता है कि अन्नपूर्णा कौन है और माता पार्वती के बीच क्या संबंध है, तो चलिए बिना देर किए जान लेते हैं उनके बारे में विस्तार से।

कौन है माता अन्नपूर्णा?

annapurna mata

स्कंदपुराण और काशी खंड में माता अन्नपूर्णा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। माता अन्नपूर्णा के स्वरूप का वर्णन करते हुए पुराणों में कहा गया है कि वह काफी सुंदर और मनमोहक हैं। उन्हें माता दुर्गा का ही रूप बताया गया है, जो भक्तों पर करुणा करती हैं। माता अन्नपूर्णा के कृपा से कोई भी भक्त भूखा नहीं रहता। माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी कहा गया है, इसलिए उनका नाम भी अन्नपूर्णा है। अन्नपूर्णा का अर्थ है अन्न की पूर्ति करने वाली। माता अन्नपूर्णा को लेकर यह तथ्य भी सत्य है कि वो पूरे सृष्टि में अन्न और भोजन का संचालन करती हैं।

इसे भी पढ़ें: Maa Annapurna: किचन में इन नियमों के साथ रखें मां अन्नपूर्णा की तस्वीर, बदल सकती है आपकी तकदीर

काशी और मां अन्नपूर्णा का क्या है संबंध?

शास्त्रों के अनुसार यह कहा गया है कि मां अन्नपूर्णा ने ही पार्वती के स्वरूप में भगवान शिव से विवाह किया था। भगवान शिव कैलाश के निवासी थे, लेकिन माता पार्वती कैलाश में रहना पसंद नहीं था। इसलिए भगवान शिव माता पार्वती के साथ काशी रहने आए। भगवान के काशी आने के बाद काशी को भोलेनाथ की नगरी कहा जाने लगा। काशी में माता अन्नपूर्णा का भव्य मंदिर है, जहां स्वयं काशी पति भगवान भोलेनाथ माता अन्नपूर्णा से अन्न की भिक्षा मांग रहे हैं। माता अन्नपूर्णा के नगरी में जो कोई भी जाता है वो भूखा नहीं लौटता है, माता अन्नपूर्णा का यह मंदिर अन्नकूट के दिन खुलता है और उस दिन 56 तरह के भोग लगाए जाते हैं।

भगवान शिव ने क्यों मांगी माता अन्नपूर्णा?

how to worship lord annapurna devi at home

पौराणिक कथा के अनुसार एक समय जब पृथ्वी पर सूखा पड़ गया था और जमीन बंजर हो गई थी तब शिव जी ने पृथ्वी के जीवों के कल्याण के लिए स्वयं भिक्षुक बन माता पार्वती के अन्नपूर्णा स्वरूप से भिक्षा मांगी थी। भगवान शिव माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगे और उस अन्न को लेकर पृथ्वी गए थे। पृथ्वी लोक में भगवान शिव ने भिक्षा में मांगे उस अन्न को बांट दिया और एक बार फिर पृथ्वी लोक धन-धान्य से संपन्न हो गया। इस दिन के बाद पृथ्वी लोक में अन्नपूर्णा जयंती मनाया जाने लगा।

इसे भी पढ़ें: भूल से भी इस विशेष दिन न करें ये गलतियां, मां अन्नपूर्णा हो सकती हैं नाराज

 

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit: Instagram and Social Media

 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।