Is Bhagat Singh remembered in Pakistan: मार्च के इसी महीने में देश के 3 निडर युवाओं ने हंसते-हंसते अपनी जान दे दी थी। 23 मार्च 1931 के दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी के फंदे पर चढ़ाया गया था। लाहौर सेंट्रल जेल में ब्रिटिश अधिकारी की हत्या के मामले में देश के इन रत्नों को फांसी दी गई थी। भगत सिंह एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिनके ख्याल बहुत ही आजाद थे। उनकी क्रांतिकारी विचारधारा सबसे अलग थी।
भगत सिंह एक ऐसे क्रांतिकारी थे, जिनके चाहने वाले भारत और पाकिस्तान दोनों जगहों पर थे। भगत सिंह का पाकिस्तान से खास नाता था। उनका जन्म पाकिस्तान के फैसलाबाद में हुआ था। ऐसे में सवाल ये आता है कि क्या आज भी पाकिस्तान के लोग भगत सिंह को मानते हैं? क्या पाकिस्तान में अभी भी भगत सिंह की कोई निशानी बाकी है? अगर है, तो उसकी क्या हालत है?
भगत सिंह को हीरो मानते हैं पाकिस्तानी
भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान के लायलपुर के बंगा गांव में 23 सितंबर 1907 को हुआ था। उस दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच बटवारा नहीं हुआ था। इसी वजह से पाकिस्तानी भी भगत सिंह को अपना नायक मानते हैं। भगत सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा लाहौर के डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की थी। लाहौर के नेशनल कॉलेज में एडमिशन लेन के बाद उन्होंने क्रांतिकारी काम किए। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक माजिद शेख पाकिस्तान के एक अखबार डॉन ने भगत सिंह का एक किस्सा लिखते हुए उन्हें भारत और पाकिस्तान का हीरो बताया था।
पाकिस्तान में हैं भगत सिंह की ये निशानियां
पत्रकार और लेखक माजिद शेख लिखते हैं सांडर्स को गोली मारने के बाद भगत सिंह लोहारी मंडी में अपने किसी जानने वाले के घर रह रहे थे। इसके बाद दयाल सिंह कॉलेज के हॉस्टल सुपरिटेंडेंट ने उन्हें 4 दिन छुपाकर रखा। इस दौरान भगत सिंह रोज चाट-पकौड़ी खाने के लिए लक्ष्मी चौक जाते थे। उन्होंने लिखा कि आज भी उनकी कई निशानियां पाकिस्तान में मौजूद हैं। लाहौर में जिस जगह भगत सिंह को फांसी दी गई और उनका जन्मस्थान बंगा गांव लोग उसे आज भी उनकी याद के तौर पर देखते हैं।
भगत सिंह की निशानियां
कुछ लोगों का मानना है कि जहां भगत सिंह को फांसी दी गई थी, वहां अब एक मस्जिद बन चुकी है। लाहौर के जिस शादमान चौक पर भगत सिंह को फांसी पर चढ़ाया गया था, अब उसे शहीद-ए-आजम भगत सिंह चौक के नाम से जाना जाता है। भगत सिंह मेमोरियल नाम का एक फाउंडेशन है, जो पाकिस्तान में अभी भी भगत सिंह का यादों को संजोए रखने का काम कर रहा है। बताया जाता है आज भी भगत सिंह के जन्मस्थान बंगा गांव में उनके पिता का घर और दादा द्वारा लगाया गया आम का पेड़ मौजूद है।
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Image Credit:jagran
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