जीवन में मुसीबत आती है तो हर व्यक्ति ईश्वर को याद करने लगता है। हिंदू धर्म में कुंडली और भाग्य को बहुत महत्व दिया गया है। कुंडली और भाग्य दोनों ही ग्रहों की दशा और चाल पर निर्भर करते हैं। यदि ग्रह सही दिशा और दशा में है तो व्यक्ति का भाग्य हमेशा उसका साथ देगा वहीं अगर भाग्य साथ नहीं दे रहा है तो समझ जाएं कोई न कोई ग्रह कमजोर पड़ गया है।
आमतौर पर व्यक्ति के जीवन में कठिन समय तब आता है, जब कुंडली में शनि की दशा खराब होती है या शनिदेव का प्रकोप जातक पर होता है। इसी तरह राहु-केतु भी ऐसे ग्रह हैं, जो जातक के जीवन में कठिन वक्त लेकर आते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन ग्रहों को शांत करने और उन्हें मजबूत बनाने के उपाय भी बताए गए हैं। ऐसा ही एक उपाय है हाथों की उंगली में लोहे का छल्ला पहनना।
आपने बहुत सारे लोगों को लोहे का छल्ला पहनने देखा होगा। कई लोग नजर दोष और नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए भी उंगली में लोहे की अंगूठी या फिर छल्ला पहनते हैं। मगर शनि के प्रकोप और राहु-केतु की दृष्टि से बचने के लिए भी शास्त्रों में लोहे की अंगूठी को धारण करने का उपाय बताया गया है।
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इस विषय में हमारी बातचीत उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा जी से हुई। पंडित जी कहते हैं, 'ज्योतिष शास्त्र में हर धातु का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में लोहे का संबंध शनि देव से बताया गया है। शनि दोष को दूर करने के लिए कई लोग घोड़े की नाल की अंगूठी बनवा कर पहनते हैं।' मगर लोहे की अंगूठी को कब और कैसे धारण करना चाहिए इस बारे में भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। पंडित इस बारे में हमें जानकारी भी दे रहे हैं-
सबसे पहले यह जान लें कि आपको लोहे की अंगूठी पहननी भी चाहिए या नहीं। यह बात आपको किसी पंडित को अपनी कुंडली दिखा कर ही पता चल पाएगी। यदि आपको लोहे की अंगूठी (अंगूठी के निशान हटाने के टिप्स) पहनने का सुझाव दिया गया है तो आपको नियम अनुसार लोहे की अंगूठी हमेशा शनिवार के दिन शाम के वक्त ही धारण करनी चाहिए। इसके अलावा आप रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में भी लोहे की अंगूठी पहन सकते हैं। पंडित जी कहते हैं, 'कुंडली में शनि की दशा सही हो और बुध, शुक्र एवं सूर्य एक साथ हों तो लोहे की अंगूठी न पहनें, इसका उल्टा प्रभाव हो सकता है।'
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लोहे की अंगूठी आप जिस दिन धारण कर रहे हैं, उस दिन इस बात का ध्यान रखें कि आप स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहने हैं और शनि देव के बीज मंत्र का उच्चारण करते हुए इसे पहनना है। इसके अलावा पुरुषों को अपने दाएं हाथ की बड़ी उंगली में इसे धारण करना चाहिए और महिलाओं को बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे की अंगूठी पहननी चाहिए। आपको बता दें कि मध्यमा उंगली शनि की उंगली कहलाती है।
यदि आप पर शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती, शनि की महादशा, राहु या केतु की महादशा चल रही है, तो लोहे की अंगूठी इसके प्रभाव को कम करती है। इसके साथ ही लोहे की अंगूठी आपको किसी भी तरह के नजर दोष से भी बचाती है।
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