जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था। जैनियों के मुताबिक, महावीर का जन्म चैत्र महीने में उगते चंद्रमा के तेरहवें दिन हुआ था। यह दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर के मार्च या अप्रैल में आता है। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी भगवान महावीर के जीवन और शिक्षाओं का स्मरण करते हैं।
भगवान महावीर के पिता राजा सिद्धार्थ और मां रानी त्रिशला थीं और बचपन में उनका नाम वर्द्धमान हुआ करता था। महावीर का नाम वर्धमान रखा गया था, जिसका मतलब है "बढ़े वाला"। जैन परंपरा के मुताबिक, महावीर का जन्म वज्जि गणराज्य के वैशाली के पास कुंडग्राम में हुआ था। जैनियों द्वारा महावीर जयंती को महावीर जन्म कल्याणक के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, महावीर जयंती चैत्र महीने के 13वें दिन यानी चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। साल 2023 में महावीर जयंती 4 अप्रैल को मनाई गई थी। वहीं, इस साल यानी 2024 में 21 अप्रैल को महावीर जयंती मनाई जाएगी।
जैन धर्म के पांच प्रमुख सिद्धांत ये हैं
सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय, ब्रह्मचर्य।
जैन धर्म के अनुयायियों के मुताबिक, महावीर ने अहिंसा का संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है। जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि वर्धमान ने 12 सालों की कठोर तपस्या के बाद अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त की थी। जैन धर्म के संस्थापक नहीं, बल्कि प्रतिपादक थे। उन्होंने श्रमण संघ की परंपरा को एक सिस्टमेटिक तरीका दिया था। उन्होंने 'कैवल्य ज्ञान' की जिस ऊंचाई को छुआ था, वह अतुलनीय है। उनके उपदेश हमारे जीवन में किसी भी तरह के विरोधाभास को नहीं रहने देते।
जैन धर्म के मुताबिक, 72 साल की उम्र में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को पावापुरी (बिहार) में महावीर स्वामी ने मोक्ष प्राप्त किया था। इस दिन जैन धर्म के लोग घरों में दीपक जलाकर दीपावली मनाते हैं।
भगवान महावीर 30 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना घर और परिवार त्याग दिया और जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ से दीक्षा ली। 12 वर्षों की कठोर साधना के बाद उन्हें 573 ईसा पूर्व में तीर्थंकर तत्व प्राप्त हुआ। उन्होंने अहिंसा को सर्वोच्च धर्म बताया। उन्होंने कहा कि सभी जीवों में आत्मा होती है और उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं दिया जाना चाहिए।
जैन धर्म के मूल सिद्धांतों में कुछ रोचक बातें शामिल हैं
अहिंसा (Non-Violence)
जैन धर्म में अहिंसा यानी अहिंसा को महत्व दिया जाता है। जैन धर्म के अनुसार, सभी प्राणियों के प्रति करुणा और अहिंसा की भावना होनी चाहिए।
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सत्य (Truth)
सत्य को जैन धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है। धार्मिक जीवन में सत्य का पालन करना, अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त करना और दूसरों को सत्य के प्रति आदर्श बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
अपरिग्रह (Non-Possession)
जैन धर्म में अपरिग्रह की भावना को महत्व दिया जाता है, जिसका अर्थ है सामर्थ्य और संबंधों के साथ बिना वजह संबंध नहीं बनाना। यह भावना साधारण तौर पर संपत्ति, धन और कपड़े की प्राप्ति को दूर करती है।
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अनेकांतवाद (Non-Absolutism)
यह जैन धर्म का एक खास सिद्धांत है, जिसमें यह बताया जाता है कि सत्य को समझने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं और हर एक का अपना लक्षण होता है।
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