सोनम कपूर की न्यू रिलीज 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' को राजकुमार राव और उनके बीच की एक रोमांटिक लव स्टोरी माना जा रहा था, लेकिन इस फिल्म में सोनम का प्यार जब एक लड़की निकली, तो उससे हर कोई हैरान रह गया। हालांकि इस स्वीट लव स्टोरी की भी हर तरफ तारीफ हो रही है। भारत की सर्वोच्च अदालत ने होमोसेक्शुअलिटी को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है और उसके बाद आई ये फिल्म समलैंगिक रिश्तों के लिए समाज में स्वीकार्यता लाने की बात करती है।
भारतीय समाज अभी भी इसे लेकर पूरी तरह से खुला नहीं है, यही वजह है कि तमाम एनजीओ और सरकारी संगठन इस मामले में लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए करीना कपूर खान ने अपने शो What Women Want में 'एक लड़की...' सोनम कपूर से सेक्शुअल प्रेफरेंस के मुद्दे पर बात की।
इमेजिनेशन से किरदार निभाने में मिली मदद
सोनम ने एक लड़की फिल्म में अपने किरदार को लेकर कहा, 'हालांकि पर्सनल लाइफ में मुझे इस तरह की फीलिंग नहीं आई, लेकिन मेरी इमेजिनेशन काफी स्ट्रॉन्ग है, जिससे मुझे एक लड़की में अपने किरदार को निभाने में मदद मिली।' अब तक आई ज्यादातर फिल्मों में दो महिलाओं को तो प्यार करते दिखाया गया है, लेकिन दो पुरुषों को आपस में प्यार करते नहीं दिखाया गया है। जब करीना ने यह सवाल उठाया तो सोनम का कहना था, 'समाज आमतौर पर पुरुष या महिला के प्यार पर पाबंदी लगाने की कोशिश करता है, फिर चाहें वे अलग-अलग तबकों से आते हों, उनमें उम्र का फासला हो, वे अलग समुदाय के हों। मेरा मानना है कि फिल्में और कला समाज का आईना हैं, ये वही दर्शाते हैं, जो वाकई समाज में हो रहा है।'
बदल रहा है समाज
ऑनर किलिंग जैसी चीजें समाज में होने के बावजूद सोनम कपूर का मानना है कि समाज में बदलाव आ रहा है, हालांकि यह बदलाव काफी धीरे-धीरे हो रहा है। सोनम ने आगे कहा, 'मेरे लिए यह फिल्म बहुत यादगार रहेगी क्योंकि यह आर डी बर्मन साहब की आखिरी धुन थी, यह मेरे पापा अनिल कपूर का एक आइकॉनिक सॉन्ग रहा है। इस सॉन्ग पर यह फिल्म बनी, यह बहुत अमेजिंग है। इस फिल्म में सोनम और उनके पापा अनिल कपूर ने रील लाइफ में भी पापा और बेटी का किरदार निभाया, इस पर जब करीना ने सवाल किया तो सोनम का कहना था, 'मेरे पापा बहुत कूल हैं। मेरे लिए यह बहुत अंबेरेसिंग था, लेकिन हमने यह फिल्म की, जो इस बात की तरफ संकेत करता है कि पापा ने हमारी परवरिश बहुत खुली सोच के साथ की है। फिल्म के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि बच्चे को अनकंडीशनल प्यार होना चाहिए और सेक्शुअल प्रिफरेंस के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। 377 को हटा लेने के बाद अब यह अपराध नहीं है, लेकिन इससे जुड़ा स्टिग्मा दूर किए जाने की जरूरत है।'
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