जब आप किसी नई कंपनी में जाते हैं, तो आपकी CTC का एक हिस्सा ग्रेच्युटी के लिए अलॉट कर दिया जाता है। कोई कर्मचारी किसी कंपनी में लगातार 5 साल की सेवा पूरी करने के बाद ग्रेच्युटी के लिए पात्र बन जाता है। ग्रेच्युटी रकम को कैलकुलेट बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते(DA) के आधार पर किया जाता है। आमतौर पर ग्रेच्युटी का फुल एंड फाइनल सेटलमेंट तब किया जाता है,जब कर्मचारी किसी कंपनी में 5 साल पूरे करने के बाद उसे छोड़कर जाता है।
ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के मुताबिक, कंपनी को 30 दिन के भीतर ग्रेच्युटी अमाउंट का भुगतान करना होता है। हालांकि, कुछ मामलों में कंपनियां कर्मचारी के कानूनी रूप से हकदार होने के बाद भी ग्रेच्युटी देने से इंकार कर देती हैं, तो उसके पास कानूनी हक होता है।
ऐसी स्थिति में कर्मचारी कंपनी को कानूनी नोटिस भेजकर और टर्मिनेशन लेटर के साथ 90 दिनों के भीतर ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत कंट्रोलिंग अथॉरिटी के पास दावा दायर करके कानूनी कार्रवाई कर सकता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि अगर आपकी कंपनी आपकी ग्रेच्युटी रकम से देने से मना कर देती है, तो आपको क्या कदम उठाने चाहिए और कैसे अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए?
यदि आपकी कंपनी ग्रेच्युटी का पेमेंट करने से इनकार करती है या भुगतान में देरी करती है, तो आपको इन स्टेप्स को फॉलो करना चाहिए।
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कानूनी कार्रवाई करने से पहले, अपनी कंपनी को ग्रेच्युटी भुगतान के लिए हैंडरिटेन रिक्वेस्ट भेजें। साथ ही, इसमें रिटायमेंट या रेजिग्नेशन लेटर, सैलरी रसीदें और सर्विस के दूसरे प्रमाणपत्र जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट्स अटैच करें।
अगर कंपनी आपके क्लेम का जवाब नहीं देती है या उसे रिजेक्ट कर देती है, तो आप अपने एरिया में ग्रेच्युटी कंट्रोलिंग अथॉरिटी के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह आमतौर पर लेबर कमिश्नर या ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत नियुक्त अधिकारी होता है। आपको Form I भरकर कंट्रोलिंग अथॉरिटी को जमा करना होता है। कंपनी को आवेदन प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर ग्रेच्युटी का भुगतान करना जरूरी होता है।
अगर कंपनी फिर भी पेमेंट करने से मना करती है, तो आप लेबर कमीश्नर के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं। वह मामले की जांच करेगा और कंपनी को ग्रेच्युटी भुगतान के लिए निर्देश जारी करेगा।
अगर लेबर कमिश्नर से भी आपका काम नहीं होता है, तो आप लेबर कोर्ट में मामला दर्ज करा सकते हैं। कोर्ट कंपनी को ब्याज समेत ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दे सकता है और भुगतान न करने पर जुर्माना भी लगा सकता है।
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कंपनी को ग्रेच्युटी जब्त करने का अधिकार तब है, जब कर्मचारी ने गलत काम किया हो, जैसे- धोखाधड़ी, हिंसा करना या कोई गलत हरकत करना। इसके अलावा, अगर कर्मचारी लापरवाही से या जानबूझकर कंपनी की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे नौकरी से निकाला जा सकता है।
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Image Credit - freepik, jagran
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