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'भजन क्लबिंग' क्या है? डिस्को लाइट्स के बीच मंत्रों की बीट, जानें क्यों युवाओं को भा रहा है भक्ति और क्लब का यह अनोखा फ्यूजन

आजकल Gen Z के बीच एक नया ट्रेंड चल रहा है, जिसका नाम है भजन क्लबिंग। इस ट्रेंड के ये चलते भजन संध्या और नाइट क्लब का अनुभव एक साथ ले रहे हैं। ऐसे में जानते हैं इसके बारे में... 
Editorial
Updated:- 2025-11-04, 15:59 IST

भारत में Gen Z के बीच भजन क्लबिंग का ट्रेंड काफी उभर रहा है। बता दें कि यह ट्रेंड एक सांस्कृतिक ट्रेंड है जो पार्टी के माहौल को भक्ति और अध्यात्म से जोड़ता है। हालांकि, यह पूरी तरीके से पारंपरिक भजन संध्या नहीं है और ना ही इसे आप नाइट क्लब समझ सकती हैं। हां, पर ये इन दोनों के बीच का एक अनूठा संगम है, जिसने युवाओं के लिए मौज-मस्ती के साथ-साथ एक सकारात्मक रास्ता भी खोल दिया है। ऐसे में यह जानना तो बनता है कि भजन क्लबिंग क्या है और युवाओं को ये कैसे सांस्कृतिक परंपरा से जोड़ रहा है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि भजन क्लबिंग क्या है और यह कैसे युवाओं को सांस्कृतिक परंपरा से जोड़ता है। पढ़ते हैं आगे... 

क्या होता है भजन क्लबिंग?

जैसा कि नाम से पता चल रहा है भजन यानी भक्ति गीत और क्लब का माहौल यानी हाई एनर्जी साथ में इलेक्ट्रॉनिक बीट्स यानी भजन पूरी हाई एनर्जी के साथ इलेक्ट्रॉनिक बीट्स पर बजाए जाते हैं और बनाए जाते हैं।

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उदाहरण के तौर पर पहले टाइम में शुक्रवार की शाम को लेट नाइट पार्टी में वक्त गुजरता था। वहीं, अब क्लब में हल्की रोशनी, मिरर वॉल, पर साथ में डीजे, ईडीएम या बॉलीवुड में बज रहा है बल्कि हरे कृष्ण गोविंद जैसे भजनों का रीमिक्स बजाना, जिस पर लोग थिरकते भी हैं। इस पर लोग न केवल नाचते हैं बल्कि हवाओं में हाथ उठाकर झूमते भी हैं, लेकिन यह सब बिना शराब या किसी अन्य मादक पदार्थ के होता है। आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का इसे एक बेहतर तरीका मान रही है।

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कैसे हुई इसकी शुरुआत?

यह ट्रेंड किसी एक दिन या व्यक्ति द्वारा शुरू नहीं किया गया है बल्कि यह धीरे-धीरे भारतीय युवाओं के बदलती प्राथमिकताओं का परिणाम है। ये पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व करना चाहती है। भजन क्लबिंग एक ऐसा पुल है जो उन्हें परंपरा और आधुनिकता से जोड़ता है, जहां वे 'कूल' रहते हुए भी आध्यात्मिक बन सकते हैं।

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ये पीढ़ी 'फास्ट फैशन' और 'हसल कल्चर' के स्ट्रेस से जूझ रही है। ऐसे में भजन क्लबिंग एक सेफ, नशा-मुक्त जगह देता है, जहां वे सबके साथ मिलकर गाकर और नाचकर वास्तविक आनंद महसूस कर सकते हैं, बिना हैंगओवर की चिंता के।

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