दिव्यांग जनों के लिए भारत में कई तरीके की सुविधाएं दी गई हैं, लेकिन क्या दिव्यांग जनों को फायदा हो रहा है? मुझे नहीं लगता। चाहें मेट्रो में उनकी सीट हो या फिर उनके लिए लागू की गई स्कीम, अपना हक लेने के लिए उन्हें परेशानियां तो उठानी पड़ती हैं। इतना ही नहीं हमारे यहां तो उनके बर्ताव भी ठीक नहीं किया जाता है। कितनी ही बार उन्हें शर्मिंदा करने की कोशिश की जाती है। ऐसा ही एक वाक्या दिल्ली एयरपोर्ट का है। दिल्ली एयरपोर्ट पर विकलांगों के हक के लिए आवाज़ उठाने वाली विराली मोदी के साथ ही काफी बुरा बर्ताव किया गया।
विराली मोदी का आरोप है कि दिल्ली एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ की एक महिला अधिकारी ने उनके साथ बदसलूकी की है। उनका कहना है कि सीआईएसएफ जवानों ने उन्हें उनकी जिंदगी का सबसे बुरा अनुभव करवाया।
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विराली का कहना है कि सोमवार को जब वो दिल्ली के टर्मिनल 3 से एयरपोर्ट पर पहुंची तो सुरक्षा जांच के नाम पर उन्हें बार-बार खड़े होने को कहा गया। जब्कि वो बता चुकी थीं कि वो व्हीलचेयर से उठ भी नहीं सकती हैं।
विराली ने ANI को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि जब उन्होंने बार-बार कहा कि वो खड़ी नहीं हो सकतीं तो सीआईएसएफ की महिला जवान ने उनकी जांच करने से ही मना कर दिया। विराली का आरोप है कि महिला सुरक्षाकर्मी ने कहा कि 'ड्रामा मत करो खड़े हो जाओ'। उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षाकर्मी की वर्दी पर नेम प्लेट भी नहीं था और नाम पूछने पर उसने बताया भी नहीं और मैनुअल जांच के लिए भेज दिया।
विराली ने कहा कि उन्होंने सीआईएसएफ को ये स्पष्ट बताया कि वो विकलांग हैं और यहां तक कि अपना पासपोर्ट भी दिखाया जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ था कि वो विकलांग हैं, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। विराली ने अपनी व्हीलचेयर की जांच पहले ही करवा ली थी और उनके साथ एक पोर्टर भी था जो उन्हें उनकी सीट तक पहुंचाने के लिए था वो भी सीआईएसएफ को ये बता रहा था कि विराली मोदी उठ नहीं सकतीं, लेकिन माना नहीं गया।
विराली दिल्ली से मुंबई की यात्रा कर रही थीं, इसके बाद उन्हें मुंबई से लंदन की फ्लाइट पकड़नी थी। वर्ष 2006 में रीढ़ की हड्डी में तकलीफ के कारण वो पैरालिसिस का शिकार हो गई थीं। उन्होंने कहा कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उन्हें ऐसी प्रताड़ना नहीं झेलनी पड़ी है, लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही हो गया है।
मुंबई पहुंचने के बाद विराली ने एक ईमेल के जरिए अधिकारियों से शिकायत लिखी। विराली को जवाब भी मिला, लेकिन ये साफ नहीं था कि उस जवान के खिलाफ कोई कार्यवाई की जाएगी या नहीं।
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विराली मोदी असल में विकलांगों के हक के लिए लड़ती हैं। वो अपना बचपन अमेरिका में बिता चुकी हैं। भारत ट्रिप के दौरान उन्हें मलेरिया हो गया था जिसके बाद वो कोमा में चली गईं थीं। उससे तो वो बच गईं, लेकिन उसके बाद वो चलने फिरने से वांछित हो गईं। वो Miss Wheelchair India contest 2014 में दूसरे स्थान पर आई थीं। उन्होंने रेलवे के खिलाफ भी जंग लड़ी थी जिसमें विकलांगों के लिए ज्यादा उपयुक्त बनाने के लिए कई बदलाव किए गए थे। इसके बाद वो BBC 100 Women की लिस्ट में शामिल भी हुई थीं।
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