हमारे देश में न जाने कितने व्रत और उपवास करने का विधान है और सभी पर्वों को धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि हर एक तिथि में पूजन करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। हिंदू कैलेंडर की प्रमुख तिथियों में से एक है पूर्णिमा तिथि जिसका अपना अलग महत्व बताया गया है। वैसे तो हिन्दुओं में सभी पूर्णिमा तिथियां विशेष रूप से फलदायी मानी जाती हैं लेकिन इनमें से ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि का अलग महत्व है। इसे वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।
करवा चौथ की ही तरह पूरे उत्तर भारत, राजस्थान, गुजरात में महिलाओं का सबसे प्रिय त्योहार है वट सावित्री। दरअसल यह व्रत ज्येष्ठ के महीने में दो बार यानी अमावस्या और पूर्णिमा दोनों ही तिथियों को पड़ता है और दोनों का ही अलग महत्व है। जिस प्रकार वट सावित्री अमावस्या में बरगद की पूजा और परिक्रमा की जाती है उसी तरह वट पूर्णिमा तिथि के दिन भी बड़ी श्रद्धा भाव से पूजन करने का विधान है। आइए Kalpesh Shah & team of astrologers, Founder and CEO, MyPanditसे जानें इस साल कब पड़ेगी वट पूर्णिमा और इस दिन का महत्व क्या है।
कब है वट सावित्री पूर्णिमा व्रत
- इस साल 2022 में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 14 जून 2022, मंगलवार को मनाया जाएगा।
- पूर्णिमा तिथि आरंभ -13 जून, सोमवार को रात 9 बजकर 02 मिनट से
- पूर्णिमा तिथि समापन- 14 जून, मंगलवार को शाम 5 बजकर 21 मिनट पर
- उदया तिथि में व्रत रखने का विधान है इसलिए 14 जून के दिन ही पूजन शुभ होगा।
- पूजा का शुभ मुहूर्त - सुबह 14 जून 2022, मंगलवार प्रातः 11 बजे 12.15 के बीच है। इसी समय में बरगद के पेड़ की पूजा के लिए श्रेष्ठ समय रहेगा।
क्यों किया जाता है वट पूर्णिमा का व्रत
हिंदू महीने ज्येष्ठ की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह त्योहार महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं भगवान शिव के साथ बरगद के पेड़ की पूजा भी करती है। मान्यता अनुसार महिलाएं बरगद के पेड़ की 7 परिक्रमालगाकर अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार पहली बार यह व्रत महान सती सावित्री ने अपनी पति की लंबी आयु प्राप्त करने के लिए रखा था।
वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि बरगद के पेड़ की आयु सैकड़ों साल होती है। चूंकि महिलाएं भी बरगद की तरह अपने पति की लंबी आयु चाहती है और बरगद की ही तरह अपने परिवार की खुशियों को हरा-भरा रखना चाहती हैं इसलिए यह व्रत करती हैं। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार सावित्री ने बरगद के नीचे बैठकर तपस्या करके अपने पति के प्राणों की रक्षा की थी, इसलिए वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पर बरगद के पेड़ (बरगद के पेड़ के हेल्थ बेनिफिट्स)की पूजा की जाती है। वहीं बरगद के पेड़ का अपना धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व भी है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार बरगद में शिव, ब्रह्मा और विष्णु का वास होता है। यह पेड़ लंबे समय तक हरा-भरा बना रहता है और पर्यावरण संतुलन में अपना विशेष योगदान देता है। इसलिए इस ख़ास दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है।
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इस प्रकार वट पूर्णिमा का व्रत हर एक सुहागन स्त्री के जीवन में बहुत मायने रखता है और विधि विधान से पूजन करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ जुड़ी रहें।
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