पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में फैसला सुनाया था कि समलैंगिकता अपराध नहीं है, लेकिन ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग अभी भी समाज की मुख्य धारा से कटा हुआ महसूस करते हैं। 1990 और 2000 के दशक की ऐसी कई फिल्में देखने को मिल जाती हैं, जिनमें ट्रांसजेंडर्स को या तो बहुत क्रूर या फनी तरीके से पेश किया जाता है। ट्रांसजेंडर्स को जिस तरह से सिल्वर स्क्रीन पर दिखाया जा रहा है, वह समाज का आईना नहीं है। इस बारे में HZ से खास बातचीत की नाज जोशी ने, जिन्होंने इस साल लगातार तीसरी बार मिस वर्ल्ड डायवर्सिटी- 2019 का ताज पहना है। मॉरिशस के पोर्ट लुइस शहर में आयोजित कॉन्टेस्ट जीतकर नाज जोशी ने देश का नाम रोशन किया, लेकिन वह मानती हैं कि मीडिया में ट्रांसजेंडर्स की छवि को गलत तरीके से पेश किया जाता है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा-
ट्रांसजेंडर का किरदार क्यों निभाते हैं महिला या पुरुष?
अक्सर देखने को मिलता है कि फिल्मों में स्ट्रॉन्ग ट्रांसजेंडर का किरदार पॉपुलर मेल या फीमेल एक्टर निभाते हैं, लेकिन ट्रांसजेंडर्स को ये रोल नहीं मिलते। नाज जोशी ने बताया, 'जैसे कि नेटफ्लिक्स की सीरीज 'सेक्रेड गेम्स', जिसमें सैफ अली खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और राधिका आप्टे जैसे किरदार नजर आए, में ट्रांसजेंडर कुकु का किरदार कुब्रा सैत ने निभाया। इसी तरह शबनम मौसी का रोल आशुतोष राणा ने किया।
अक्षय कुमार अपनी आने वाली फिल्म Laxmmi Bomb में ट्रांसजेंडर के किरदार में नजर आएंगे। यह फिल्म तमिल की कंचना का रीमेक है और इसमें कियारा आडवाणी भी किरदार निभा रही हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि इन फिल्मों में ट्रांसजेडर्स को रोल नहीं मिल रहा। इस बारे में थोड़ी रिसर्च होनी चाहिए कि ट्रांस जेंडर भी इस तरह के रोल के लिए उपलब्ध हैं।'
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ट्रांसजेंडर्स को देखने का बदला नजरिया
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अभी तक पॉपुलर कल्चर में जिस तरह से ट्रांसजेंडर्स को दिखाया जाता है, नाज जोशी ने उससे बिल्कुल अलग हटकर पढ़ी-लिखी, प्रोग्रेसिव और आत्मविश्वास से भरपूर ट्रांसजेंडर की तस्वीर पेश की है।
ट्रांसजेंडर्स की बेहतरी के प्रयासों में लगी नाज जोशी का यही प्रयास है कि लोग ट्रांसजेंडर्स के बारे में सकारात्मक तरीके से सोचना शुरू करें।
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'मजाकिया और हास्य के पात्र बनने वाले किरदारों में नजर आते हैं ट्रांसजेंडर्स'
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राजा हिंदुस्तानी फिल्म में एक ट्रांसजेंडर का किरदार देखने को मिला था और यह किरदार निभाने वाला वास्तव में एक ट्रांसजेंडर वुमन ने निभाया था, लेकिन उस किरदार को कॉमिक रोल में पेश किया था। कलर्स पर आने वाले एक शो बहू बेगम में भी ट्रांसजेंडर किरदार स्टीरियोटाइप दिखाता नजर आता है।
'लड़कों के पीछे पागल रहने वाले किरदारों में पेश किया जाता है'

ट्रांसजेंडर्स को बहुत सी फिल्मों में ऐसे किरदार, जिनमें वे महिलाओं या पुरुषों के पीछे भागते नजर आए। क्या कूल हैं हम, स्टाइल और मस्ती जैसी फिल्मों को इसी कैटेगरी में रखा जा सकता है। अगर मस्ती फिल्म की बात करें तो इसमें हीरो एक ट्रांसजेंडर के साथ डेट पर जाता है, लेकिन जैसे ही उसे हकीकत का पता चलता है, वैसे ही वह वहां से भाग जाता है। नाज जोशी कहती हैं, 'इस तरह की चीजें लोगों के मन में ट्रांसजेंडर्स की गलत छवि पेश करती है कि वे किसी के पीछे भागते रहते हैं, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। आज के समय में ट्रांसजेंडर्स बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। मैंने एक बच्ची गोद ली है और उसकी परवरिश कर रही हूं। मैं महिला सशक्तीकरण के लिए काम करती हूं, ट्रांस एक्टिविस्ट भी हूं। इस तरह की चीजें मीडिया में नहीं आतीं। इन चीजों को लोगों के सामने आना चाहिए।
फिल्मों के जरिए लाया जाए बदलाव
फिल्मों का लोगों पर व्यापक असर होता है। अगर फिल्मों के जरिए ट्रांसजेंडर्स को सेंसिटिव और प्रोग्रेसिव किरदारों में दिखाया जाए तो निश्चित रूप से इससे लोगों की सोच बदलेगी और ट्रांसजेंडर्स का हौसला बढ़ेगा।
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