अगर आज काम करने को दिल नहीं कर रहा, मन दुखी है, उदास है या फिर , अगर आपके मन में ऐसी ही फीलिंग्स आ रही हैं तो आपको टेंशन लेने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। अगर आप इस टाइम विशेष रूप से महिलाओं को इंस्पायर करने वाली मोटिवेशनल फिल्में देखें, तो आपकी सुस्ती आलस और थकान मिट जाएगी। और आप फिर से पूरी एनर्जी के साथ अपने काम पर लग जाएंगी। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में, जिसमें महिलाओं को काफी स्ट्रॉन्ग तरीके से पेश किया गया है। ये फिल्में महिलाओं को परंपरागत और रूटीन किरदारों से हटकर नए रूप में पेश करती हैं-
महिलाओं की जिंदगी में शादी को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है। महिलाएं अपने अस्तित्व के बारे में क्या सोचती हैं, लाइफ को लेकर उनका नजरिया क्या है, वे आगे क्या करना चाहती हैं, इस बारे में बात करने वालों की संख्या अभी भी कम ही है। यह फिल्म महिलाओं को रियल लाइफ में क्वीन बनने का संदेश देती है। यह फिल्म महिलाओं को स्ट्रॉन्ग, अपने फैसले खुद लेने वाली और अपनी राह पर मजबूती से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
स्पोर्ट्स पर आधारित शाहरुख खान की यह फिल्म महिलाओं को बहुत मनोरंजक तरीके से प्रेरित करती है। यह फिल्म दर्शाती है कि महिलाओं को पुरुषों से कमतर समझने वाली सोच को किस तरह से बदला जा सकता है। इस फिल्म में दिखाया गया कि देश के अलग-अलग राज्य से आई महिलाएं देश के लिए किस तरह देश के लिए एकजुट होकर खेलती हैं। यह फिल्म एक तरह से यह दिखाती है कि आप चाहें किसी भी राज्य से ताल्लुक रखती हैं, आप देश का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं।
महिलाएं अपनी जिंदगी में कई तरह की तकलीफें झेलती हैं और हर महिला इतनी मजबूत नहीं होती कि वह अपनी पर्सनल लाइफ में आने वाली समस्याओं को सहज तरीके से झेल ले। इस मायने में यह फिल्म अनूठी है। इसमें शबाना आजमी के किरदार पूजा को एक्सेप्शनली स्ट्रॉन्ग दिखाया गया है। पूजा को उसका पति दूसरी महिला के लिए छोड़ देता है। पूजा अकेली पड़ने के बावजूद हार नहीं मानती। वह अपनी पहचान बनाने और अपनी मंजिल तलाशने की राह पर आगे बढ़ जाती है।
इस फिल्म में आलिया भट्ट ने वीरा का किरदार निभाया है। वीरा एक यंग महिला है, जिसकी जल्द शादी होने वाली है, लेकिन शादी से ऐन पहले उसका अपहरण कर लिया जाता है। वह एक बड़े उद्योगपति की बेटी है और उसे अपहरण करने वाला गैंग भी दबाव में दिखाई देता है। कैद में रहने के दौरान वीरा का मन बदलने लगता है। उसे सूरज का उगना और डूबना महसूस होता है। वीरा अब वापस अपनी दुनिया में नहीं जाना चाहती, वह उस दुनिया में भी नहीं रहना चाहती, जहां वह अभी है। वह चाहती है कि उसका सफर कभी खत्म ही ना हो। वीरा समय के साथ इतनी साहसी हो जाती है कि वह बचपन में अपने साथ हुई ज्यादतियों पर सवाल खड़े करने लगता है, जिसके बारे में उसे कभी बोलने नहीं दिया गया।
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