हिंदू धर्म में ग्रहण शब्द को बहुत ही बुरा माना गया है। दो तरह के ग्रहण होते हैं, सूर्य ग्रहण और या चंद्र ग्रहण। इन दोनों ही ग्रहण को लेकर हिंदू धर्म में कई सारे मिथ हैं। आज सूर्य ग्रहण है। हाला कि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इसका असर केवल अर्जेंटीना, चिली, पैराग्वे और उरुग्वे जैसे देशों में ही पड़ेगा। मगर फिर भी ग्रहण शब्द ही हिंदू धर्म में काफी है। इसके नाम से ही लोग भयभीत हो जाते हैं। वैसे वैज्ञानिक तौर पर ग्रहण का अच्छा और बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे जुड़ी कई मान्यताएं और अंधविश्वास भी हैं।
हिंदू धर्म में ग्रहण को राहु-केतु नामक दो दैत्यों की कहानी से जोड़ा जाता है और इसके साथ ही कई अंधविश्वास भी इससे जुड़ जाते हैं। HerZindagi.com ने इस विषय पर आचार्य विकास चौरसिया से बातचीत की और इन मिथकों को तोड़ने की कोशिश की है।
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मिथ: ग्रहण पड़े तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए
सत्य: प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों द्वारा यह बात फैलाई गई थी की ग्रहण के वक्त घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस विषय पर आचार्य विकास कहते हैं, ‘प्राचीन समय में लोगों को ज्यादा ज्ञान नहीं होता था और भय के सहारे उनसे काम करवाया जाता था। यह परंपरा आज तक चली आ रही है मगर आज लोग पढ़े लिखे हैं। ग्रहण पड़ने पर घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए यह बात सत्य है। क्योंकि सूर्य को ही धरती पर प्रकाश का स्रोत माना जाता है। प्राचीन समय में इलेक्ट्रिकसिटी नहीं हुआ करती थी इसलिए कहा जाता था कि अंधेरे में घर से बाहर नहीं निकला चाहिए। मगर आज प्रकाश लाने के ढेरों विकल्प ऐसे में ग्रहण पड़ने पर भी काम नहीं रुकते। जो लोग आज भी मानते हैं कि ग्रहण के वक्त घर से बाहर निकलने पर अनर्थ हो जाएगा वह अंधविश्वास के शिकार हैं।’
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मिथ: प्रेग्नेंटमहिलाओं पर ग्रहण का साया नहीं पड़ना चाहिए
सत्य: यह एक बहुत बड़ा अंधविश्वास है। इससे जुड़ी लोगों की अलग-अलग मान्यताएं भी हैं। कोई कहता है कि ग्रहण का साया प्रेगनेंट महिला पर पड़ से बच्च अपंग पैदा होता तो कोई कहता है कि ग्रहण पड़ने पर प्रेगनेंट महिला को अपने शरीर पर गेरू (लाल रंग की मिट्टी )लगा लेना चाहिए। इस पर आचार्य विकास कहते हैं, ‘ग्रहण के वक्त जो किरणे पृथ्वी पर पड़ती हैं उसके कुछ साइडइफेक्ट होते हैं। इसलिए प्रेगनेंट महिलाओं को कुछ प्रकॉशन लेना चाहिए। मगर जब ग्रहण प्रभाव भारत पर पड़ रहा हो तब। बाकि विज्ञान ने इसके भी कई सारे विकल्प खोज लिए हैं। आज ग्रहण वाले दिन भी कई बच्चों का जन्म होता है और वह तंदुरुस्त भी होते हैं। डॉक्टर की सलाह से प्रेगनेंट महिलाओं चलना चाहिए न कि ग्रहण की दशा के अनुसार। ’
मिथ: ग्रहण में बना खाना जहर जैसा होता है
सत्य: यह भी मिथ है। इसका संबंध भी प्रकाश से है। पहले के समय में कहा जाता था कि खाना हमेशा रौशनी में पकाया जाए ताकि साफ सुथरा पके और खाया भी रौशनी में चाहिए ताकि अन्न के साथ कुछ गलत चीज मुंह में न जाए। मगर आज ऐसा कुछ भी नहीं है। हर घर बिजली है और भरपूर रौशनी भी है। ऐसे में ग्रहण के वक्त खाना पकाया भी जा सकता है और खाया भी जा सकता है।
मिथ: ग्रहण के वक्त भगवान का ध्यान करना चाहिए
सत्य: अगर ग्रहण पूरे दिन रहेगा तो क्या पूरे दिन सारे काम छोड़ कर व्यक्ति को भगवान का ध्यान करना पड़ेगा। आचार्य चौरसिया कहते हैं, ‘प्राचीन समय में ग्रहण पड़ने से प्रकाश में कमी होती थी इसलिए सारे काम ठप हो जाते थे। लोग खाली वक्त में क्या करें इसलिए उन्हें पूजा पाठ करने को कहा जाता था। मगर आज की जीवनशैली में ऐसा संभव नहीं है। इसलिए ग्रहण पड़ने पर पूजा पाठ करने लॉजिक आज के समय में फेल है।’
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