वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में महिला कल्याण, परिवार कल्याण, मातृत्व एवं बाल कल्याण और पर्यटन मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने प्रयागराज सीट पर अमिताभ बच्चन के बाद अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है। प्रयागराज संसदीय सीट से बीजेपी प्रत्याशी डॉ. रीता बहुगुणा जोशी 184275 मतों से विजयी हुई हैं। उन्हें कुल 494454 वोट मिले। सपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह पटेल को 310179 और कांग्रेस प्रत्याशी योगेश शुक्ला को 31953 वोट मिले हैं।
राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली डॉ. रीता बहुगुणा इस बार अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की सीट से अपना भाग्य आजमाएंगी। वर्तमान में डॉ. रीता उत्तर प्रदेश सरकार में महिला कल्याण, परिवार कल्याण, मातृत्व एवं बाल कल्याण तथा पर्यटन मंत्री हैं। प्रयागराज शहर की महापौर रह चुकीं डॉ. रीता बहुगुणा जोशी की लोकप्रियता हर वर्ग के लोगों में रही है और इस वजह से वह आम जनता के बीच 'दीदी' के नाम से मशहूर हैं। आइए जानें, उनके निजी जीवन से लेकर राजनीतिक सफर के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
डॉ. रीता बहुगुणा जोशी का जन्म 22 जुलाई, 1949 को उत्तराखंड में हुआ था। रीता के पिता हेमवंती नंदन बहुगुणा और मां कमला बहुगुणा थीं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इतिहास में पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने वहीं से एमए और पीएचडी पढ़ाई की और बाद में मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास में प्रोफेसर के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़ गई।
राजनीतिक परिवार से हैं गहरा रिश्ता:
रीता का नाता सियासी परिवार से हैं। वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा की बेटी हैं। वह इलाहाबाद के विकास पुरुष के रूप में विख्यात थे, उन्हें लोग 'बाबू जी' पुकारते थे। दिवंगत हेमवती नंदन बहुगुणा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहते हुए जमुनापार के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी मां, स्वर्गीय कमला बहुगुणा एक पूर्व सांसद थी। वहीं, उनके बड़े भाई विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। छोटे भाई शेखर बहुगुणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। डॉ. रीता बहुगुणा जोशी की शादी पीसी जोशी से हुई हैं जो मैकेनिकल इंजीनियर हैं। डॉ. रीता और पीसी जोशी का एक बेटा है, जिसका नाम मयंक जोशी हैं।
राजनीतिक जीवन की शुरूआत और सफर:
रीता बहुगुणा जोशी शिक्षिका रहते राजनीति में उतरीं। 1995 में इलाहाबाद नगर निगम से निर्दलीय चुनाव लड़कर महापौर बनीं। फिर 1998 में कांग्रेस के टिकट से इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ीं। इसके बाद 1999 में सपा के टिकट से सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनीं। कांग्रेस ने 2002 विधानसभा चुनाव में उन्हें इलाहाबाद शहर दक्षिणी से प्रत्याशी बनाया। 2007 तक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संगठन को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई। रीता 2007 से 2012 तक कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रहीं। फिर लखनऊ कैंट से 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से विधायक बनीं। वह 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरीं। रीता बहुगुणा साल 2016 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गई। बीजेपी में शामिल होने से पहले वह 24 सालों तक कांग्रेस में रहीं। बीजेपी ने उन्हें 2017 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से प्रत्याशी बनाया, जिसमें वह जीतीं और प्रदेश सरकार में उन्हें पर्यटन, महिला विकास और बाल विकास जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय मिला।
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इन क्षेत्रों में किया काम:
डॉ. रीता इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास की प्रोफेसर रही चुकी हैं। रीता बहुगुणा जोशी 1995 से 2000 तक प्रयागराज की मेयर भी रही चुकी हैं। प्रो. रीता बहुगुणा ने इतिहास की दो किताबें भी लिखी हैं। डॉ. रीता जोशी को 'दक्षिण एशिया में सर्वाधिक प्रतिष्ठित महिला' के संयुक्त राष्ट्र एक्सीलेंस पुरस्कार से नवाजा गया है।
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