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Election Results 2019: मेनका गांधी ने सुलतानपुर लोकसभा सीट से दर्ज की जीत

बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी और गठबंधन प्रत्याशी चंद्रभद्र सिर्फ उर्फ सोनू सिंह के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला। हालांकि, आखिरी बाजी मेनका गांधी ने मारी। 
Editorial
Updated:- 2019-05-25, 11:28 IST

उत्तर प्रदेश की सुलतानपुर लोकसभा सीट पर इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिली। बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी और गठबंधन प्रत्याशी चंद्रभद्र सिर्फ उर्फ सोनू सिंह के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला। हालांकि, आखिरी बाजी मेनका गांधी ने मारी और उन्होंने 14,526 वोटों के अंतर से सोनू सिंह को हरा दिया। मेनका को 459196 वोट मि‍ले वहीं, चन्द्रभद्र सिंह को 444670 वोट ही मि‍ले। इस बार के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से अपनी सीट बदल दी थी। इसबार वह सुल्तानपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ी थीं। बीजेपी ने वरुण गांधी की सीट बदलकर उनकी मां मेनका गांधी को मौका दिया था। वर्तमान में उनके बेटे वरुण गांधी सुल्तानपुर से सांसद हैं। ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब बेटे वरुण के लिए मां ने अपनी पसंदीदा लोकसभा सीट पीलीभीत छोड़ी है। यानी एक बार 2009 में मेनका गांधी ने वरुण गांधी के लिए पीलीभीत की सीट छोड़ी थी और दूसरी बार अब यानी 2019 में। पति संजय गांधी की मौत के बाद मेनका गांधी के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन वह अपने बेटे के साथ हमेशा मजबूती से खड़ी नजर आती हैं। आइए जानें उनके जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलू।

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निजी जीवन और पढ़ाई:

मेनका गांधी का जन्म 26 अगस्त 1956 को दिल्ली में हुआ था। मेनका के पिता भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल थे। उन्‍होंने दिल्ली के लारेंस और लेडी श्रीराम कालेज से अपनी पढ़ाई की पूरी की। उनको 1973 में लेडी श्रीराम कॉलेज में 'मिस लेडी' चुना गया था। 'मिस लेडी' चुने जाने के बाद मेनका की लोकप्रियता बढ़ने लगी और उनके पास मॉडलिंग के ऑफर आने लगे। मेनका इसी दौरान ने एक विज्ञापन किया, जिसके होर्डिंग्स दिल्ली में जगह-जगह लगे। उनके विज्ञापन को देखकर भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी उनको पसंद करने लगे। मेनका गांधी और संजय गांधी की पहली मुलाकात 1973 में हुई। तब मेनका सिर्फ 17 साल की थीं। मेनका गांधी उम्र में संजय गांधी से 10 साल छोटी थीं। एक साल तक रिलेशनशिप रहने के बाद 23 सितंबर 1974 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए।

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राजनीतिक जीवन की शुरूआत और सफर:

वहीं, एक आकस्मिक दुर्घटना में 1980 में संजय गांधी की मौत हो गई इसके कुछ साल बाद मेनका साल 1982 में राजनीति में आयीं। पारिवारिक कलह की वजह से उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया था और गांधी परिवार से होने के बाद भी वो कांग्रेस का हिस्सा नहीं हैं। मेनका गांधी ने 1984 में अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन राजीव गांधी से हार गई थीं। नवंबर 1989 में मेनका गांधी ने पीलीभीत चुनाव लड़ा और पहली बार जीतकर लोकसभा पहुंची और पर्यावरण राज्य मंत्री बनीं। उसके बाद लगातार वह संसद में पीलीभीत का प्रतिनिधित्व करती रहीं। मेनका गांधी शुरू से ही पीलीभीत से सांसद रही हैं केवल 2009 के आम चुनाव उन्होंने आंवला लोकसभा क्षेत्र से लड़े थे। इसमें भी इन्हे जीत हासिल हुई थी। शुरुआत में मेनका गांधी ने इंडीपेंडेंट उम्मीदवार और जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था। बाद में 2004 में वह बीजेपी में शामिल हो गईं। वर्तमान में वे भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं।

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क्या-क्या रही हैं:

मेनका गांधी फेमस राजनेत्री और पशु-अधिकारवादी हैं। मेनका गांधी पशुओं के अधिकार के लिए काम करती हैं। राजनीति में आने से पहले वह पत्रकारिता भी कर चुकी हैं। साथ ही, वह एक लेखिका भी हैं और कई विषयों पर किताबें लिख भी चुकी हैं। 

Photo courtesy- (twitter.com@Manekagandhibjp, DNA India, Odishatv, TechBuzz, The Economic Times)

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