फीमेल फ्रेंड के साथ हुई एक घटना ने इस लड़के को बना दिया पैडमैन

सोभान मुखर्जी, आजकल सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं। लोगों ने उन्हें कोलकाता को पैडमैन कहना शुरू कर दिया है। इसकी क्या वजह है, आइए जानते हैं। 

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जब से पैडमैन अक्षय कुमार ने महिलाओं को पीरियड्स के दौरान हाइजीन बनाए रखने के लिए सैनिटरी नैपकिंस इस्तेमाल करने के लिए एनकरेज करना शुरू किया है तब से उनका साथ देने के लिए कई लोग आगे आए हैं। इनमें बॉलीवुड सेलिब्रिटी के साथ ही देश के आम लोग भी शामिल हैं। इन्हीं आम लोगों में से एक है कोलकाता के सोभान मुखर्जी। सोभान मुखर्जी, आजकल सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं। सोभान, को लोगो ने कोलकाता को पैडमैन कहना शुरू कर दिया है। इसकी वजह यह है कि सोभान कोलकाता में फ्री सैनिटरी नैपकिंस बांटते हैं।

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कौन हैं सोभान

कोलकाता के आशुतोष कॉलेज में एमएससी ज्योग्राफी के फर्स्ट इयर के स्टूडेंट सोभान मात्र 21 वर्ष के हैं। पढ़ाई के साथ ही सोभान को सोशल वर्क करने का भी शौक है। खासतौर पर जरूरतमंदों की मदद करने में वह कभी पीछे नहीं हटते हैं।

कैसे आया आइडिया

सोभान बताते हैं, एक बार मैं अपनी फीमेल फ्रेंड के साथ था। मैंने नोटिस किया कि वो बहुत परेशान है और हम जिस काम के लिए साथ हैं उसमें उसका मन ही नहीं लग रहा। बहुत पूछने पर उसने शर्माते हुए बताया कि उसके पीरियड्स चल रहे हैं और उसके पास पैड नहीं है। इस लिए उसे बहुत ही अनइजी फील हो रहा है। यह बात सुन कर मुझे लगा कि सैनिटरी नैपकिंस किसी भी लड़की के लिए जरूरी होता है। इसके कुछ दिन बाद ही टीवी में मैंने फिल्म पैडमैन का ट्रेलर देखा। इस ट्रेलर को देख कर मुझे पहली बार यह पता चला कि महिलाएं किस तरह जानकारी न होने की वजह से सैनिटरी नैपकिंस की जगह राख, मिट्टी और गंदे कपड़े का यूज करती हैं। यह जान कर मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए। मगर समझ नहीं आया कि मैं किस तरह से महिलाओं को अवेयर करूं, तब मुझे फ्री सैनिटरी नैपकिंस बांटने का आइडिया आया।

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आइडिए पर कैसे किया काम

कोलकाता के बंसद्रोनी ऐरिया में रहने वाले सोभान ने सबसे पहले अपने वॉर्ड प्रमुख से इस बारे में बात की और अपने आइडिया के बारे में बताया। वॉर्ड प्रमुख ने सोभान के आइडिया को न केवल पसंद किया बल्कि उन्हें सपोर्ट करने के लिए वॉर्ड में कुछ ऐसे बॉक्स लगाने की सोभान को इजाजत दी जिसमें फ्री पैड्स की सुविधा दी जा सकती थी। सोभान को बॉक्स वाला आइडिया सही लगा । वह बताते हैं, अक्टूुबर 2017 की बात है, मैंने पहला बॉक्स अपने ही कॉलोनी में लगाया है। इसके लिए मैंने अपनी जेब से कुछ पैसे खर्च किए और सैनिटरी नैपकिंस डिस्ट्रीब्यूटर्स से सस्ते रेट में 50 पैड्स खरीद कर उस बॉक्स में रख दिए। देखते ही देखते सारे पैड्स हफ्ते भर में ही खत्म हो गए। कुछ समय तक मैं अपनी जेब से पैसे लगा कर ऐसा करता रहा मगर फिर मुझे लगा कि इसका मिस यूज हो रहा है। इस लिए मैंने बॉक्स को पे एंड यूज टॉयलेट्स में लगा दिया और वहां के इंचार्ज से कहा कि जो पैड ले उसे 2 रुपए जरूर लें।

क्या है प्रोजेक्ट बंधन

सोभान का आइडिया काम कर गया। इसके बाद सोभान ने साउथ कोलकाता के 35 और पे एंड यूज टॉयलेट्स में सैनिटरी नैपकिंस बॉक्स। लगाए और इसे एक प्रोजेक्‍ट बंधन का नाम दिया। सोभान बताते हैं, मैं इस प्रोजक्ट‍ को और आगे बढ़ाउंगा। मगर सोभान को इसके लिए पैसों की जरूरत है। वह कहते हैं, मैं स्टूडेंट हूं, मेरे पास इतने पैसे नहीं होते कि मैं इतने सारे पैड्स खरीद सकूं। मुझे इसके लिए हेल्प चाहिए । इसलिए मैंने बंधन बॉक्स के साथ ही डोनेशन बॉक्स भी लगाएं हैं। अगर कोई 100 रुपए भी डोनेट करेगा तो उससे 50 पैड्स आ जाएंगे क्यों कि एक पैड 2 रुपए का मिलता है। डोनेशन के लिए सोभान ने पेटिएम नंबर को भी डिसप्ले किया हुआ है।

सोशल मीडिया की मदद लेंगे सोभान

अब तक सोभान ने सिर्फ अपने दोस्तों की मदद ली थी। मगर अब इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए सोभान सोशल मीडिया का भी सहारा लेंगे। वह कहते हैं, मैं अपने प्रोजेक्ट का एक पेज बनाउंगा और उसे लोगों तक पहुंचाउंगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मुझसे जुड़ें और अवेयरनेस बढ़ाएं।

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