Election Results 2019: स्मृति ईरानी कांग्रेस के गढ़ अमेठी में राहुल गांधी को हराने में कैसे सफल हुईं, जानिए

नेता स्मृति ईरानी ने कैसे कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को उन्हीं के गढ़ अमेठी में मात दे दी और 2019 के लोकसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल की, जानिए।

smriti irani powerful bjp leader defeat rahul gandhi historic victory priyanka gandhi failed main

जिस कांग्रेस ने आजादी के बाद से देश पर राज किया और देश को जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे लोकप्रिय नेता दिए, साल 2019 में उसी कांग्रेस का चेहरा रहे राहुल गांधी अपने गढ़ रहे अमेठी में बीजेपी की दिग्गज नेता स्मृति ईरानी से हार गए। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवाद, आतंकवाद को नेस्तनाबूत करने और देश को आगे ले जाने के संकल्प पर जनता ने विश्वास किया और देश के ज्यादातर राज्यों में बीजेपी ने जीत हासिल की। लेकिन इस जीत में स्मृति ईरानी की अमेठी पर जीत सांकेतिक रूप से सबसे अहम बदलाव है। अमेठी लोकसभा सीट पर 21 साल बाद यह बड़ा उलटफेर देखने को मिला है।

स्मृति ईरानी ने 56,036 वोटो के अंतर से हासिल की जीत

smriti irani powerful bjp leader defeat rahul gandhi in amethi home inside

केंद्रीय मंत्री रहीं स्मृति ईरानी ने 56,036 वोटो के बड़े अंतर से जीत तय की है। कांग्रेस की तरफ से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी को जीत के लिए बधाई दी है। राहुल गांधी ने कहा कि स्मृति ईरानी को लोगों ने विजयी बनाया है और वह अमेठी की जनता का ख्याल रखें। महत्वपूर्ण बात ये है कि राहुल गांधी कांग्रेस के पहले ऐसे नेता हैं, जिन्हें अमेठी सीट से हार का सामना करना पड़ा है और राहुल यहां से चौथी बार चुनाव लड़ रहे थे।

इसे जरूर पढ़ें:Election 2019 Results: मथुरा से हेमा मालिनी 2.93 लाख वोटों से जीतीं

स्मृति ईरानी के जीत के अहम बिंदु

  • अमेठी की जनता से ग्राउंड लेवल पर कनेक्ट
  • आम लोगों की समस्याओं के हल निकालने के लिए हर संभव प्रयास
  • इलाके के विकास पर जोर
  • सड़क यातायात से बढ़ी सुविधा
  • योजनाओं से मिले लाभ से बेहतर हुई किसानों की स्थितियां

क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मध्यकालीन इतिहास विभाग के भूतपूर्व एचओडी, वरिष्ठ इतिहासकार और चर्चित ऐतिहासिक किताबों के सुप्रसिद्ध लेखक रहे हेरंब चतुर्वेदी स्मृति ईरानी की जीत को बेहद अहम बताते हैं। उन्होंने कहा,

'स्मृति ईरानी का अमेठी जीत से जीतना लगभग तय था। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने अमेठी की जनता की समस्याओं को दूर करने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किया। स्मृति ईरानी साल 2014 का लोकसभा चुनाव हार गई थीं, इसके बावजूद उन्होंने यहां के लोगों से कनेक्ट बनाए रखा, उनकी समस्याओं पर ध्यान दिया। इस सीट के लिए प्रियंका गांधी हमेशा बढ़-चढ़कर कैंपेन करती थीं और लोग कांग्रेस के पक्ष में वोट देते थे, लेकिन इस बार प्रियंका गांधी दूसरे इलाकों में जाकर कैंपेन करती रहीं और अमेठी की समस्याओं पर पर्याप्त समय नहीं दे पाईं। जब लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया जो कांग्रेस से मोहभंग होना स्वाभाविक था। वहीं स्मृति ईरानी ने लगातार जनता की शिकायतें दूर करने का प्रयास किया। घर-घर जाकर लोगों से मिलीं और इलाके के विकास कार्यों के लिए काम किया। बीजेपी की तरफ से चलाई गई योजनाओं का लाभ किसानों को मिला, उनकी वित्तीय स्थितियां पहले से बेहतर हुईं, पिछले 5 सालों में अमेठी में बहुत मकान बने, आम लोगों की सुविधा के लिए टॉयलेट्स बने, सड़कें बनीं। जाहिर है इन चीजों से इलाके के लोगों को लाभ मिला और उन्होंने स्मृति ईरानी को भारी अंतर से जिता दिया। एक अहम बात ये भी है कि इस बार बीजेपी ने कई नए चेहरों को मौका दिया और सभी ने जीत हासिल की, क्योंकि बीजेपी ने अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा और लोगों से संपर्क बनाए रखने पर काम किया। आज के समय के मतदाता सजग हैं, इसीलिए चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पार्टियों के लिए प्रोग्रेसिव सोच जरूरी है, वंशवाद से आगे निकलकर सोचना पड़ेगा और ग्राउंड रियलिटी पर भी ध्यान देना होगा। अब सोशल इंजीनियरिंग का दौर खत्म हो गया। उसी पार्टी को वोट मिलेगा, जो लोगों से कनेक्ट स्थापित कर सकती है।'
smriti irani powerful bjp leader with ekta kapoor

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में स्मृति ईरानी ने कम किया था जीत का अंतर

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में अमेठी में वोटिंग हुई थी। तब राहुल गांधी इस सीट से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए थे। इस समय में भाजपा ने राज्यसभा सांसद स्मृति ईरानी को इस सीट से मैदान में उतारा था। वहीं आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास भी यहां से चुनाव लड़ रहे थे। उस दौरान स्मृति ईरानी ने 3 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर अपने करिश्माई नेतृत्व का परिचय दे दिया था, जबकि कुमार विश्वास की जमानत जब्त हो गई थी।

Recommended Video

गांधी परिवार की पारंपरिक सीट

अमेठी सीट पर गांधी परिवार का 1977 से गहरा प्रभाव रहा है। यहां से संजय गांधी 1980 में सांसद चुने गए। उनकी मौत के बाद राजीव गांधी ने यहां से कांग्रेस का नेतृत्व किया। राजीव गांधी 1981 से लेकर 1991 तक यहां से सांसद रहे। राजीव गांधी की मौत के बाद कांग्रेस के सतीश शर्मा ने अमेठी सीट की बागडोर संभाली और 1991 से लेकर 1998 तक सांसद रहे। 1998 में भाजपा के संजय सिन्हा ने सतीश शर्मा को चुनाव में मात दी थी। लेकिन 1999 में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने संजय सिन्हा को रिकॉर्ड अंतर से हराया और 1999-2004 तक अमेठी की सांसद बनी रहीं। इसके बाद 2004 से अब तक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी के सांसद बने रहे।

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP