देव और पारो की लव स्टोरी ‘देवदास’ को हुए 16 साल, क्या थी पारो के घर और चंद्रमुखी के कोठे की खासियत?

देवदास फिल्म में सभी को अपने रंग में रंग लिया था और आज इस फिल्म को 16 साल हो गए। इस फिल्म से कुछ ऐसे किस्स्वे जुड़े हुए हैं जिनके बारे में जान आप भी हैरान हो जाएंगी। 

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साल 2002 में शुरू हुई थी देव और पारो की प्रेम कहानी मतलब आज ‘देवदास’ को 16 साल पूरे हो गए हैं। संजय लीला भंसाली की यह फिल्म 1955 में बनी 'देवदास' की रिमेक थी। 1955 की देवदास को विमल रॉय ने डायरेक्ट किया था और विमल की 'देवदास' में दिलीप कुमार थे और भंसाली वाली में शाहरुख खान नजर आए थे।

माधुरी दीक्षित ने अपनी आइकॉनिक फिल्म देवदास के 16 साल पूरे होने पर एक तस्वीर शेयर की है। संजय लीला भंसाली की इस फिल्म में चंद्रमुखी का किरदार निभाने वाली माधुरी ने फिल्म देवदास के सेट से इस तस्वीर को शेयर किया है और इस तस्वीर में माधुरी के अलावा शाहरूख के अलावा डायरेक्टर संजय लीला भंसाली नजर आ रहे हैं।

माधुरी ने अपने इस पोस्ट में शाहरूख खान, संजय लीला भंसाली और ऐश्वर्या राय को भी टैग किया। वहीं शाहरूख ने भी इस ट्वीट का जवाब देते हुए कहा – और आप हमेशा हमारे दिल के करीब रहेंगी, आप हमेशा वो रहेंगी जिसने हमें मार डाला।

हम पर ये किसने हर रंग डाला..यह गाना आज भी लोगों की जुबां पर चढ़ गया था और हर शादी में डोला रे डोला रे गाना पर डांस किया जाता था। देवदास फिल्म में सभी को अपने रंग में रंग लिया था और आज इस फिल्म को 16 साल हो गए। इस फिल्म से कुछ ऐसे किस्स्वे जुड़े हुए हैं जिनके बारे में जान आप भी हैरान हो जाएंगी।

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देवदास की कहानी एक नॉवल से ली गई

देवदास 90 के दशक में लिखे गए शरत चंद्र चटोपाध्याय के नॉवल पर आधारित थी। निर्देशक संजय लीला भंसाली ने 1955 में रिलीज हुई देवदास फिल्म का रीमेक बनाया था। भंसाली की इस फिल्म को उस दौर की सबसे महंगी फिल्मों में गिना जाता है जिसके सिर्फ 6 सेट्स को बनाने में तकरीबन 20 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

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पारो के घर और चंद्रमुखी के कोठे की खासियत

पारो का खूबसूरत सा दिखने वाला कांच का घर 1.22 लाख कांच के टुकड़ों को जोड़ कर बनाया गया था। अगर बारिश हो जाती थी तो उस घर को दोबारा तोड़कर सजाया जाता था। देवदास फिल्म का सबसे चर्चित किरदार चंद्रमुखी जिसे माधुरी दीक्षित ने निभाया था। इस फिल्म में चंद्रमुखी का बेहद ही शानदार कोठा दिखाया गया है जिसे बनाने में 12 करोड़ रुपये लगे थे।

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देवदास की वजह से कम हुई पूरी शहर की लाइट

साल 2003 में कांस फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म का प्रीमियर किया गया था और साथ ही ऑस्कर के लिए भी नॉमिनेट हुई थी। देवदास फिल्म को बनाने में 700 लाइट मैन और 42 जेनरेटर का प्रयोग किया गया था इसलिए ऐसा कहा जाता है कि इस फिल्म की वजह से मुंबई की शादियों में लाइटिंग और डेकोरेशन की कमी पड़ गई थी क्योंकि सारी लाइटिंग और डेकोरेशन का सामान तो भंसाली ने 'देवदास' के सेट पर लगा लिया था।

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