रिश्ते अगर भरोसे, इज्जत और समझ पर टिके हों, तो बेहद खूबसूरत होते हैं। इसमें प्यार और रोमांस भी भरपूर मिलता है। वहीं, अगर इनमें किसी एक की सोच या भावनाओं को दबाकर, अपने हिसाब से चीजें मनवाने की कोशिश की जाए, तो इस स्थिती में कहा जा सकता है कि आप मैनीपुलेशन का शिकार हो रही हैं। कई महिलाएं पति के हरकतों से परेशान तो रहती हैं, लेकिन उन्हें सच का कुछ अंदाजा नहीं होता है और वह मानसिक तौर पर मैनीपुलेट हो रही होती हैं।
रिश्ते प्यार, सम्मान और समझ के आधार पर टिका होता है, लेकिन जब आपका पार्टनर धीरे-धीरे आपके आत्मविश्वास को तोड़ने लगे और अपने फायदे के लिए आपकी भावनाओं से खेल करे, तो यह रिश्ता आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। क्या आपको भी लगता है कि आपकी भावनाओं को नजरअंदाज किया जाता है या आपको ही हर बात के लिए दोषी ठहराया जाता है? अगर ऐसा है, तो हो सकता है कि आप ऐसे रिश्ते का हिस्सा बन चुकी हैं। आइए, इस लेख में रिलेशनशिप एक्सपर्ट आश्मीन मुंजल से जानते हैं कि रिश्ते में मैनीपुलेट होने के क्या संकेत हो सकते हैं और इस इमोशनल ट्रैप से बाहर निकालने के उपाय के बारे में भी जानेंगे।
अगर आपकी राय या फीलिंग्स को आपका पार्टनर नहीं समझता है। ऐसी बातों पर बार-बार ‘overreact’ या ‘गलतफहमी’ बताकर नजरअंदाज किया जाता है, तो यह एक बड़ा संकेत है कि आप मैनीपुलेशन का शिकार हो गई हैं।
जब सामने वाला आपको हर बात पर दोषी महसूस कराए, जैसे – 'अगर तुम मुझसे प्यार करती, तो ऐसा नहीं करती'। इस तरह की बात बोले तो समझिए कि आपको इमोशन ट्रैप किया जा रहा है और मैनीपुलेशन का शिकार हो रही हैं।
हर बार पार्टनर द्वारा आपको गलत ठहराने से अगर आपको भी अब लगने लगे कि शायद आप ही गलत हैं, तो इस स्थिती को भी मैनीपुलेशन का शिकार कहा जा सकता है, क्योंकि जरूरी नहीं कि सामने वाला हर वक्त सही और आप ही हर बार गलत हों। आप बस अपने आप को दोषी मानने लगी हैं।
आपके कपड़े, दोस्त, काम, बाहर जाना आदि हर चीज में अगर सिर्फ आपके पार्टनर की ही चलती है। घर और आपके जीवन से जुड़ा हर एक फैसला सिर्फ आपका पार्टनर ही लेता है, तो यह हेल्दी रिलेशनशिप का संकेत नहीं है।
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जब आप खुद को कमजोर, डरपोक या अकेला महसूस करने लगे, तो ये मानसिक मैनीपुलेशन का नतीजा हो सकता है। आपका आत्मविश्वास तभी कम होता है जब आप सिर्फ अपने पार्टनर की बात को सुनती हों। इस तरह के संकेत ठीक नहीं माने जाते हैं।
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सीमाएं तय करें- यह जरूरी है कि आप यह तय करें कि कौन-सी बातें आपके लिए ठीक नहीं हैं। साथ ही, उन्हें स्पष्ट रूप से सामने वाले को बताएं।
‘ना’ कहना सीखें- हर बार समझौता करना प्यार नहीं होता। अगर कुछ चीजें आपको ठीक नहीं लगतीं, तो उन्हें मना करना आपका हक है।
आत्मविश्वास बढ़ाएं- आपका आत्म-सम्मान सबसे पहले है। अगर आपको लगे कि कुछ गलत है, तो उसे नजरअंदाज न करें।
भरोसेमंद लोगों से बातचीत करें- दोस्त, परिवार, या काउंसलर से बात करना आपके सोचने के नजरिए को साफ कर सकता है।
रिश्ते में दूरी बनाएं- अगर रिश्ते में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है, और आप लगातार दुखी या दबाव में हैं, तो खुद के भले के लिए दूरी बनाना भी जरूरी हो सकता है।
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