आखिर क्यों हिन्दू धर्म में होती है शगुन देने और लेने की प्रथा? जानें इसका महत्व

भारतीय संस्कृति में किसी भी अवसर पर शगुन दिया जाता है। आइए जानें इस प्रथा से जुड़े तथ्यों और इसके महत्व के बारे में। 

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शगुन शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है शुभ संकेत, आशीर्वाद या सुख समृद्धि। यह प्रथा हिंदू धर्म में बहुत पुरानी है और काफी लंबे समय से शुभ अवसर पर शगुन लेने और देने की संस्कृति चली आ रही है।

शगुन देने वाला व्यक्ति इसके साथ अपनी शुभकामनाएं देता है। बात शादी की हो, जन्मदिन की हो या फिरकिसी के घर आते-जाते समय आशीर्वाद के रूप में कुछ पैसे या उपहार देने की हो। ये जीवन के लिए अच्छे संकेत ही देता है।

ऐसी मान्यता है कि शगुन के तौर पर हमें ईश्वर और घर के बड़ों का आशीष मिलता है। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें किसी भी सुअवसर पर शगुन देना और लेना जरूरी क्यों समझा जाता है और इसका महत्व क्या है।

शगुन संबंधों को मजबूत बनाता है

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ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति शादी या अन्य किसी अवसर में शगुन देता है तो यह दो परिवारों के बीच के रिश्ते को मजबूत करता है। शगुन देना आपसी भाई चारे के साथ घर की सुख समृद्धि को भी बढ़ाता है। यदि हम ज्योतिष की बात करते हैं तब भी शगुन लेने और देने का विशेष प्रभाव बताया गया है।

ज्योतिष के अनुसार शगुन का महत्व

यदि बात ज्योतिष की करें तो शादी (भारतीय शादी की रस्में) या किसी अन्य अवसर परशगुन देना बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अनुसार पैसे का लेन देन दो ग्रहों बृहस्पति और शुक्र का प्रतीक है और यहइन्हीं ग्रहों का प्रतिनिधित्व करता है।

किसी भी शुभ काम की शुरुआत में ही इन दोनों ग्रहों का आशीर्वाद लेना बहुत जरूरी माना जाता है। गुरु ग्रह घर की समृद्धि का कारक है, इसलिए शगुन देने से घर में समृद्धि बनी रहती है और जीवन में समस्याएं नहीं आती हैं। वहीं शगुन लेना शुक्र को प्रसन्न करने का कारक है। दोनों ग्रहों को प्रसन्न करके जीवन हमेशा सुखमय बना रहता है।

शगुन से मिलता है ग्रहों का आशीर्वाद

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चूंकि शगुन लेने और देने से शुक्र और गुरु प्रसन्न (कुंडली में बृहस्पति को मजबूत बनाने के टिप्‍स) होते हैं, इसलिए दोनों का आशीर्वाद उन व्यक्तियों को अवश्य ही मिलता है जो किसी भी रूप में शगुन देते या लेते हैं।

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शगुन में क्यों जोड़ा जाता है 1 का सिक्का

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जब भी शगुन दिया जाता है इसमें 1 रुपये का सिक्का जरूर जोड़ दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये नंबर किसी से विभाजित नहीं होता है और ये अत्यंत शुभ माना जाता है। इसी वजह से शगुन में इसे जोड़ा जाता है।

कभी भी शगुन के तौर पर 100, 1000 या कोई भी शून्य वाली संख्या में रुपये नहीं देने चाहिए, क्योंकि शून्य से किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं होती है। यही वजह है कि शगुन के लिफ़ाफ़े में भी 1 रुपये का सिक्का लगा हुआ होता है।

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शगुन देता है जीवन में बढ़ोत्तरी का संकेत

जब किसी को शगुन के तौर पर पैसे दिए जाते हैं और इसमें 1 रुपया जोड़ा जाता है तो ये आगे बढ़ने का आशीष देता है। ये शुभकामनाओं का प्रतीक माना जाता है जो हमेशा आगे बढ़ने को प्रेरित करती हैं।

कुल मिलाकरशगुन के कई ज्योतिष महत्व तो हैं ही और ये सुख समृद्धि और रिश्तों को मजबूत करने का एक जरिया है। ज्योतिष की मानें तो सुअवसर पर अपनी सामर्थ्य अनुसार शगुन अवश्य देना चाहिए।

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Image Credit: freepik.com

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