श्री कृष्ण भगवान से जुड़े हुए कई रहस्य हैं, जो आज भी दुनिया से छिपे हुए हैं। वहीं, उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बाते हैं, जो आज भी धरती के कुछ स्थानों पर मौजूद हैं और इस बात को दर्शाते हैं कि श्री कृष्ण की जिन लीलाओं का उल्लेख शास्त्रों में मिलता है, धर्म ग्रंथों में मिलता है वह पूर्णतः सत्य है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों भगवान श्री कृष्ण को उनकी बांसुरी बहुत प्रिय है।
श्री कृष्ण को किसने दी बांसुरी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था। भगवान श्रीकृष्ण को देखने के लिए सभी देवी-देवता धरती पर आए थे और इस दौरान भगवान शिव, श्रीकृष्ण को उपहार में कुछ देने के लिए मंथन करने लगे। तब भगवान शिव ने ऋषि दधीचि की महाशक्तिशाली हड्डी को घिसकर बांसुरी का निर्माण किया और फिर वह बांसुरी देने के लिए गोकुल पहुंचे। भगवान शिव ने उस बांसुरी को श्रीकृष्ण को भेंट किया और इस प्रकार से उन्हें यह बांसुरी मिल गई।
बिना बांसुरी के अधूरे हैं श्रीकृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, बिना बांसुरी के श्रीकृष्ण को अधूरा माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी बहुत शुभ मानी जाती है।श्रीकृष्ण की बांसुरी को घर पर सही जगह रखने से परिवार में सुख-समृद्धि का संचार होता है।
क्यों तोड़ दी थी श्रीकृष्ण ने बांसुरी?
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, राधा से आखिरी मिलन पर श्रीकृष्ण ने राधा से कुछ मांगने के लिए कहा। तब राधा ने उनसे आखिरी बार बांसुरी बजाने की इच्छा जताई थी। श्रीकृष्ण की बांसुरी की सुरीली धुन सुनते-सुनते ही राधा ने अपना शरीर त्याग दिया। श्रीकृष्ण, राधा के आध्यात्मिक रूप में विलीन होने तक बांसुरी बजाते रहें, पर श्रीकृष्ण राधा का वियोग सह नहीं पाए और उन्होंने प्रेम के प्रतीक बांसुरी को तोड़कर फेंक दिया था।
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