हिन्दू धर्म में धार्मिक कार्यों के बाद क्यों किया जाता है भंडारा, जानें कैसे हुई शुरुआत

हिन्दू धर्म में धार्मिक कार्यों के बाद भंडारे की परंपरा है। तो चलिए जानते हैं भंडारे का महत्व। 

bhandara in hindu dharma

Bhandara: हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक कार्य के बाद भंडारा आयोजित किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भंडारे के बिना कार्य संपन्न नहीं माना जाता। इसी कारण से धार्मिक कार्यों में भंडारे का अत्यधिक महत्व है। इसके अलावा और भी कई कारण हैं भंडारा करने के।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको धार्मिक कार्यों के बाद भंडारा करने के पीछे का महत्व और लाभ बताने जा रहे हैं।

कैसे हुई भंडारे की शुरुआत?

kaise hui bhadare ki shuruaat

हिन्दू धर्म में दान (हिन्दू धर्म के महादान)का अत्यधिक महत्व है। प्राचीन समय से ही राजा-महाराजा हवन, पूजा-पाठ, अनुष्ठान आदि करने के बाद अपनी प्रजा में अन्न, वस्त्र, भोजन आदि बांटते थे। आज भी धार्मिक कार्यों के बाद मंदिरों की ओर से होने वाले अन्न दान ने भंडारे का रूप ले लिया है। हालांकि अब घरों में पूजा-पाठ के बाद लोग भंडारा कम ही आयोजित करते हैं लेकिन मंदिरों और बड़े स्थानों पर यह परंपरा आज भी चली आ रही है।

इसे जरूर पढ़ें:क्या होते हैं पंचगव्य जिसके बिना विफल माना जाता है पूजा-पाठ और हवन

भंडारे की कथा

भंडारे को लेकर एक कथा भी काफी प्रचलित है जिसके अनुसार, एक बार जब विदर्भ के राजा स्वेत मरने के बाद परलोक पहुंचे तो उन्हें बड़ी तेजी से भूख लगी। जब उन्होंने खाना मांगा तो उन्हें वहां किसी ने भी खाना नहीं दिया। राजा की आत्मा ब्रह्म देव के पास पहुंची और उनसे पूछने लगी कि आखिर क्यों उन्हें भूख लगने पर भी खाना नहीं दिया जा रहा है।

bhandare ke labh

तब ब्रह्म देव ने राजा विदर्भ को बताया कि उन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी अन्न दान नहीं किया इसी कारण से उन्हें भी भोजन नहीं मिलेगा। तब राजा ने अपनी आने वाली पीढ़ी को इस स्वप्न में आकर अन्न दान करने और भंडारा करने के लिए कहा। बस तभी से भंडारे की परंपरा चल पड़ी।

इसे जरूर पढ़ें:संतोषी माता का रखती हैं व्रत तो भूलकर भी न करें ये गलतियां

भंडारे के लाभ

bhandare ki katha

  • किसी भी धार्मिक कार्य के बाद भंडारा करने से पूजा पूर्ण मानी जाती है।
  • भंडारा करने से अन्न दान का पुण्य प्राप्त होता है।
  • भंडारा करने से मां अन्नपूर्णा (मां अन्नपूर्णा की तस्वीर से जुड़े वास्तु नियम)का आशीर्वाद मिलता है।
  • भंडारा कराने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य का वास बना रहता है।

तो ये था धार्मिक कार्यों के बाद भंडारा आयोजित करने के पीछे का कारण और महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Pinterest, Twitter

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP