आजादी तो हर किसी को पसंद होती है मगर, कुछ ही लोग होते हैं जो इसका पूर्ण रूप से अनुभव कर पाते हैं। शहनाज हुसैन भारत की पहली महिला ब्यूटीशियन के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने अपनी राहें खुद बनाई हैं और आजादी का पुरा अनुभव किया है। कुछ कठिनाईयां आईं मगर शहनाज के हौसले कभी नहीं डगमगाए। वह हमेशा आगे बढ़ती गईं और अपनी आजादी को सेलिब्रेट करती गईं।
जवाब- मेरे लिए आजादी का मतलब है कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा दिया जाए। महिलाओं को निर्णय लेने का अधिकार मिले। वैसे अब वक्त बदल चुका है और महिलाएं अपने फैसले लेने के लिए फ्री हैं। मगर, अभी भी हमें लंबी लड़ाई लड़नी है। हां हमें ये जरूर पूछना चाहिए, ‘क्या महिलाओं और पुरुषो के लिए आजादी बराबर की है?’, ‘क्या हर महिला आजाद है?’ महिलाओं को अपनी क्षमता और ताकत को समझने की जरूरत है। महिलाओं को पढ़ने और अपने आर्थिक फैसले लेने की आजादी मिलनी चाहिए।
इसे जरूर पढ़ें:EXCLUSIVE: बंधनों से आजादी पाने के लिए मेहनत करें और आगे बढ़ें-विंग कमांडर अनुपमा जोशी
एक आजाद देश का नागरिक होना ही मेरे लिए बहुत मायने रखता है। हो सकता है आजादी से अलग-अलग लोग अलग-अलग मतलब निकालते हों मगर मेंरे लिए अपने डिसीजंस खुद लेना अपनी पसंद का काम करना ही आजादी है। मुझे किसी और आजादी की तलाश नहीं है। क्योंकि मुझे किसी ने कोई काम करने के लिए आजतक नहीं रोका।
इसे जरूर पढ़ें:#Bandhannahizadi: संगीता गौड़ अपनी हिम्मत और हौसले से मुश्किलों के बावजूद बनीं जज, जानें इनकी इंस्पायरिंग स्टोरी
मैंने कभी किसी तरह का बंधन महसूस नहीं किया है, जबकि मैं एक रूढि़वादी परिवार से हूं। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे ब्रॉडमाइंडेड और ऑक्सफोर्ड से पढ़े हुए पिता मिले। उन्होंने मुझे कॉन्वेंट में पढ़ाया। मेंरी शादी 15 की उम्र में कर दी गई थी और 16 वर्ष में मैं मां बन गई थी। जब मैंने अपना करियर शुरू किया था तब मैं पत्नी और मां दोनों ही थी। मगर मेरे पिता और पती दोनों ही बहूत सपोर्टिव थे। मैं भी बहुत हार्डवर्किंग थी। मुझे मेरे हार्डवर्क और पिता और पति के सपोर्ट ने सफलता दिलाई। अपनी लाइफ के फैसले खुद लेने से मिलेगी सच्ची खुशी- नियाजमीन दहिया
महिलाओं को पुरुषों के सामान वेतन नहीं मिलता, न ही उनकी क्षमता को पुरुषों जैसा आंका जाता है। यह मेरे उापर एप्लाई नहीं होता क्योंकि मेरा खुद का व्यवसाय है। मेरी आत्मा स्वतंत्र है और मैं अपने विचारों को वास्तविक्ता में बदलने का हौसला रखती हूं।
वक्त बदल चुका है और लगातार बदलता जा रहा है। महिलाएं हम हर श्रेत्र में नजर आ रही हैं। मगर, अभी उन्हें और आगे बढ़नता है। खासतौर पर एजुकेशन और आर्थिक आजादी के लिए महिलाओं को अभी भी ठोस कदम उठाने होंगे। अब बात जब इक्वालिटी की करते हैं तो या बात सुप्रियोरिटी की नहीं हो रही है। महिलाओं को अपनी स्किल्स को डेवलप करना है और नई ट्रेनिंग लेनी है जो उनके लिए ढेर सारी करियर के अवसर लेकर आए। भारत की पहली Woman Flair Bartender, अमी श्रॉफ बनीं #BandhanNahiAzadi मुहिम का हिस्सा
मुझे न कभी ऐसा महसूस हुआ और न ही मैं इस बात पर यकीन करती हूं। मैं ने first-generation entrepreneur हूं। मुझे मेरी क्रिएटिविटी और अविष्कारों ने बिजनेस में सफलता दिलाई। मैंने बहुत छोटे से शुरुआत की मगर मेरा बिजनेस यूनीक था और मार्केटिंग स्ट्रैटेजीस बहुत ज्यादा यूनीक थी। मैंने हमेशा खुद पर भरोसा रखा और अपने काम को आगे बढ़ाया। मेरे उपर हर्वर्ड वलों ने केस स्टडी की। यह सब आसान नहीं था खासतौर पर जब मैंने इंटरनैशनल मार्केट में कदम रखा। मगर यह मेरा सपना था और मैंने इसे पूरा किया। मुझे महिला होने की वजह से कोई कामयाबी नहीं मिली बल्कि मेरे अच्छे काम ने मुझे सफलता दिलाई।
21 वीं सदी में, जब महिलाओं ने सभी सीमाओं को पार कर लिया है और स्पेस तक में अपनी जगह बना ली है, तब भी भारत और दुनिया के कई हिस्सों में आज भी महिलाओं को कुछ बाउंड्रीज का सामना करना पड़ रहा है। 10 साल पहले जब महिलाओं ने अपने कदम घर की चार दीवारी से बाहर रखे और अपना करियर बनाने के लिए वे आगे बढ़ीं तो उन्हें अपने परिवार और अपनी वर्कप्लेस दोनों ही जगह कुछ बंधनों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि महिलाओं के परिवार और उनके पति इस बात को एक्सेप्ट करें कि वे भी अपना करियर बना सकती हैं। उनका परिवार उन्हें फाइनेंशियल फैसले लेने की आजादी दे। सह बंधन आज भी हैं। आज महिलाओं को घर और ऑफिस की दोहरी जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है और वह जब कभी घर की जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभा पाती हैं तो वह गिल्टी फील करती हैं। कुछ महिलाएं मेरे जैसी भी होती हैं जो घर और फैमिली दोनों को सफलतापूर्वक डील कर रही हैं। ऐसी महिलाओं को मैं सुपरवुमन कहती हूं।
यहां तक कि महिलाओं के खिलाफ बाहरी स्थान, पूर्वाग्रह और पूर्वाग्रहों को अपना रास्ता बना लिया है, भारत में और दुनिया के कई हिस्सों में अभी भी मौजूद हैं। कुछ दशक पहले, भारतीय महिलाओं ने अपने घरों से कैरियर की दुनिया में कदम रखना शुरू किया। उन्हें जो बाधाएं उठानी पड़ीं, वे घर और कार्यस्थल दोनों में थीं। व्यक्तिगत स्तर पर, मुख्य मुद्दे पति और परिवारों को उसके कैरियर की महत्वाकांक्षाओं को स्वीकार करने और वित्तीय स्वतंत्रता की इच्छा रखने की कोशिश में थे।ये प्रतिबंध अभी भी मौजूद हैं। घर और कैरियर के प्रबंधन जैसे मुद्दे समस्याओं के मूल में थे और वे अभी भी हैं। वास्तव में, एक कैरियर महिला का जीवन बहुत ही मांग वाला हो सकता है, जो घर और परिवार की उपेक्षा की भावनाओं से खराब हो जाता है। मेरे लिए, जो महिला घर और परिवार का प्रबंधन करती है और एक सफल कैरियर महिला भी है, वह किसी घटना से कम नहीं है। वास्तव में, वह एक सुपरवुमन है।
स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन के अवसर पर HerZindagi महिलाओं के लिए एक exclusive वर्कशॉप प्रस्तुत कर रहा है। हमारे #BandhanNahiAzaadi अभियान का हिस्सा बनने के लिए आज ही फ्री रजिस्ट्रेशन करें। सभी प्रतिभागियों को मिलेगा आकर्षक इनाम।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।