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affects of sexual intimidation on teenagers

किशोरावस्था में Sexual intimidation हो सकता है खतरनाक

किशोरावस्था की कई तरह की समस्याओं में से एक सेक्शुअल इंटिमिडेशन भी होता है। किसी और को परेशान करना या इसका शिकार हो जाना काफी दर्दनाक हो सकता है।
Editorial
Updated:- 2020-05-18, 14:45 IST

किशोरावस्था बहुत ही नाजुक मोड़ होती है और इस समय यौन शोषण भी कई लोगों के साथ होता है। इसका सामना उन्हें करना पड़ता है। सबसे बुरी बात तो ये है कि वयस्कों के मुकाबले ये समस्या किशोरावस्था में ज्यादा देखने को मिलती है। ये समस्या बहुत बड़ी है और ये दुख की बाता है कि टीनएज में ही ये सबसे ज्यादा झेलना पड़ता है। ऐसे में बच्चे सेक्शुअल इंटिमिडेशन का शिकार भी होते हैं। ये एक चौंकाने वाला फैक्ट है कि सेक्शुअल इंटिमिडेशन के कारण किशोरावस्था में लोग यौन गतिविधियों में भी पड़ सकते हैं। युवा लड़कियां इससे बहुत ज्यादा परेशान होती हैं, हालांकि ऐसा नहीं है कि जेंडर का इसपर कोई असर होता है। क्योंकि टीनएज में यौन शोषण काफी ज्यादा होता है इसलिए ये बहुत जरूरी है कि सही तरीके अपनाए जाएं और टीनएजर्स को सही तरीके से इस बारे में शिक्षा दी जाए ताकि वो किसी भी तरह से ऐसी गतिविधियों का हिस्सा न बन सकें।

किशोरावस्था में सेक्शुअल इंटिमिडेशन का कारण क्या है?

कई मामलों में ये होता है कि टीनएजर्स को गलत जानकारी मिलती है, कई मिथकों को वो सच मान लेते हैं, सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के कारण भी ऐसा हो रहा है। इसे सेक्शुअल इंटिमिडेशन का एक कारण माना जा सकता है। टीनएजर्स आम तौर पर कन्फ्यूज रहते हैं कि ये गतिविधियां क्या हैं और क्योंकि ये उम्र का वो पड़ाव होता है जब सब कुछ आसानी से समझ नहीं आता तो ऐसे समय में विक्टिम बन सकता है कोई इंसान। ऐसे में किशोरावस्था में बच्चे हैरेस्मेंट आदि का शिकार होते हैं। इसी कारण या तो किशोर सेक्शुअल इंटिमिडेशन के विक्टिम बन जाते हैं या फिर वो किसी अन्य यौन गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं।

intimidation effects

सेक्शुअल इंटिमिडेशन से कैसे बचें?

सबसे पहला तरीका ये है कि बच्चों को सही तरह की शिक्षा दी जाए। जेंडर इक्वेलिटी को समझना भी बहुत जरूरी है। किशोरों के लिए ये समझना बहुत जरूरी है कि हर इंसान अपने ढंग में खूबसूरत है। उनके लुक्स को लेकर, या फिर सामाजिक स्टेटस को लेकर उन्हें हैरेस करना सही नहीं है। ऐसे में समस्या और गहरी हो जाती है।

कई बार लोग समलैंगिक होते हैं या फिर अपनी जेंडर आइडेंटिटी बदलना चाहते हैं, ये सब कुछ कई हार्मोनल बदलावों के कारण होता है, इसमें कहीं स्वयं वो व्यक्ति जिम्मेदार नहीं होता है। अगर किसी को उसके इस फैसले के लिए डराया जाए तो ये बहुत ज्यादा मेंटल ट्रॉमा दे सकता है, ये डिप्रेशन का कारण भी बन सकता है।

 



माता-पिता या केयरटेकर ऐसे समय में टीनएजर्स के सेक्शुअल इंटिमिडेशन को कम करने की कोशिश कर सकते हैं। बचपन से ही माता-पिता को अपने बच्चों कों कैरेक्टर और सही-गलत की शिक्षा देनी चाहिए। उन्हें ये समझाना चाहिए कि सिर्फ लुक्स, व्यवहार या स्टेटस ही सब कुछ नहीं होता। ऐसा करने से कोई भी बच्चा किसी अन्य को परेशान न करे, उसका शोषण न करे।

इसी समय में उन्हें ऐसी शिक्षा भी दी जानी चाहिए कि किशोरावस्था के बच्चे अपने साथ हो रहे सेक्शुअल इंटिमिडेशन का मुकाबला कर सकें। बिना डरे और घबराए इन समस्याओं का सामना करना बच्चों को सिखाना चाहिए। इसी के साथ, बच्चों को खुद को किसी भी तरह के यौन शोषण से बचना आना चाहिए। सिर्फ ऐसे में ही बच्चे खुद को दुख से बाहर निकाल पाएंगे और सेक्शुअल इंटिमिडेशन से दूर हो पाएंगे।

 

सार (Conclusion)-

टीनएजर्स सेक्शुअल इंटिमिडेशन में भागीदार भी होते हैं और ऐसे ही इसके विक्टिम भी बन सकते हैं। सही दिशा निर्देशों से और सही शिक्षा से ही वो इस समस्या से आगे बढ़ सकते हैं। 

डॉक्टर सुप्रिया अरवारी (M.D, D.G.O) को उनकी एक्सपर्ट सलाह के लिए धन्यवाद।

References:

https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S0145213413002627

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/31057024-the-impact-of-adolescent-sexual-harassment-
experiences-in-predicting-sexual-risk-taking-in-young-women/

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