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जानें सावन के महीने में कब है पुत्रदा एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

आइए इस लेख में जानें सावन के महीने में कब मनाई जाएगी पुत्रदा एकादशी और इसका क्या महत्व है।   
Editorial
Updated:- 2021-08-13, 16:03 IST

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन मुख्य रूप से विष्णु भगवान का पूजन किया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक महीने में दो एकादशी तिथियां होती हैं पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। प्रत्येक एकादशी तिथि का अपना अलग का धार्मिक महत्व होता है। पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं और यदि किसी साल मलमास होता है तो उस साल 26 एकादशी तिथियां होती हैं।

ऐसी ही एकादशी तिथियों में से एक है सावन के महीने में शुक्ल पक्ष में होने वाली पुत्रदा एकादशी तिथि। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए इस तिथि विशेष महत्व है। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से जानें इस साल सावन के महीने में कब मनाई जाएगी पुत्रदा एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्त्व।

पुत्रदा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

putrada ekadashi tithi date

  • इस साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी तिथि 18 अगस्त, बुधवार के दिन मनाई जाएगी।
  • पुत्रदा एकादशी आरंभ 18 अगस्त 2021 दिन बुधवार, प्रातः 03 बजकर 20 मिनट से
  • पुत्रदा एकादशी व्रत समापन : 19 अगस्त 2021 दिन गुरुवार, 01 बजकर 05 मिनट तक
  • पुत्रदा एकादशी पारण का समय : 19 अगस्त 2021 दिन गुरुवार, सुबह 06 बजकर 32 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक

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पुत्रदा एकादशी का महत्व

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शास्त्रों के अनुसार, जो भक्त पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते हैं और पूरे श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करते हैं उन्हें कई यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन जो दंपति संतान प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत उपवास करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और संतान का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। इस दिन एकादशी की कथा का पाठ करना और सुनना मुख्य रूप से फलदायी होता है।

पुत्रदा एकादशी में कैसे करें पूजन

  • यदि आप व्रत रखते हैं तो प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और साफ वस्त्र धारण करें।
  • स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति एक साफ़ चौकी पर स्थापित करें।
  • भगवान विष्णु को नए वस्त्रों खासतौर पर पीले वस्त्रों से सुसज्जित करें और माता लक्ष्मी को लाल, पीले या नारंगी वस्त्र पहनाएं।
  • विष्णु जी को पीला रंग पसंद होता है इसलिए उन्हें पीले फूलों से सुसज्जित करें और स्वयं भी पीले वस्त्र धारण करें।
  • पंचामृत से विष्णु जी को स्नान कराएं। फल और मिठाइयों का भोग लगाएं।
  • एकादशी की कथा पढ़ें और पूजा के बाद भोग सभी लोगों में वितरित करें।
  • पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं यदि आप व्रत रखते हैं तो इस दिन अनाज का सेवन न करें और कि इस दिन चावल, बैगन और टमाटर नहीं खाना चाहिए।

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इस प्रकार सावन महीने की पुत्रदा एकादशी तिथि सभी एकादशी तिथियों में से विशेष महत्व रखती है और इस दिन विष्णु जी का माता लक्ष्मी समेत पूजा फलदायी होता है।

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