संगीता घोष ने याद किये अपने स्ट्रगलिंग डेज़, मी टू मूवमेंट के बारे में भी कही ये बात

संगीता ने हमसे ख़ास बातचीत के दौरान मी टू मूवमेंट पर भी अपनी राय दी। अपने स्ट्रगलिंग डेज़ को याद करते हुए भी उन्होंने बहुत कुछ कहा, आइए जानते हैं-

sangeeta ghosh talking about me too ()

Harassment, मेंटल हेल्थ, मी टू मूवमेंट जैसे टॉपिक्स पर बात जितनी हो उतनी कम है। मगर, दूसरा पहलू ये है कि ये टॉपिक्स ऐसे हैं जो बस बातों में ही रह जाते हैं। इन्हें बातों में ना रखकर इसके solution के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। कुछ ऐसा ही कहना है एक्ट्रेस संगीता घोष का। संगीता ने हमसे ख़ास बातचीत के दौरान मी टू मूवमेंट पर भी अपनी राय दी। अपने स्ट्रगलिंग डेज़ को याद करते हुए भी उन्होंने बहुत कुछ कहा, आइए जानते हैं कि संगीता घोष ने इस बारे में क्‍या जानकारी दी।

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शुरुआत में सबकुछ धोखा जैसा होता है

संगीता ने कहा कि अपने स्ट्रगलिंग दिनों को कभी कभी बहुत याद करती हूं कि मैं बस में जाती थी और गाड़ियों को देखती थी और सोचती थी कि मेरे पास भी किसी दिन गाड़ी होगी। ऑफिस में घंटों बैठी होती थी काम के लिए, कभी कभी मां भी मेरे साथ होती थी। कई बार रो देती थी कि ये सब क्या हो रहा है। कभी कोई आपको डांट देता था तो आपको समझ में भी नहीं आता था कि ये मुझे क्यों डांट रहा है। इन सब की आदत नहीं थी। जब आप नए होते हो तो घबराए हुए भी होते हो।

इंडस्ट्री में शुरुआत में सब कुछ धोखा ही होता है। आपको जैसा प्रोमिस किया गया था वह रोल आपको वैसा नहीं मिलता। आपसे घंटों काम करवाया जाता है, पैसे नहीं मिलते या कम मिलते हैं। पहले मेरे पास गाड़ी नहीं थी। बारिश के समय मैं भीगकर शूट पर जाती थी। कई बार चल कर थी और वहां जाकर पता चलता था कि शूटिंग नहीं हो रही है। पर हां इंडस्ट्री ने ही बहुत सारा प्यार भी दिया है, इसलिए आज यहां हूं। मुझे लगता है स्ट्रगल बहुत ज़रूरी भी होता है। आपको चीजों की वैल्यू पता चलती है।

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मी टू मूवमेंट को सपोर्ट करती हूं मगर कुछ लोग इसके बहाने अपना पर्सनल एजेंडा पूरा करते हैं

संगीता ने इंडस्ट्री में होने वाले पॉपुलर मूवमेंट मी टू के बारे में भी बात की और कहा मी टू जैसी चीजों के बारे में आप कितना बात करेंगे? ऐसे टॉपिक्स फिर जोर पकड़ते हैं फिर ग़ायब हो जाते हैं। एक महिला होने के नाते मैं इस मूवमेंट को सपोर्ट करती हूं मगर मैं उनके खिलाफ हूं जो इसके बहाने अपना पर्सनल एजेंडा पूरा करते हैं और जानबूझकर लोगों को फंसाते हैं। दूसरी तरफ, ये सब हो रहा है, इसके बारे में बात होगी लेकिन इसका solution क्या हो सकता है इसके बारे में कोई भी बात नहीं करता। कोई कानून या कोई अधिकार की बात बस हवा में होती है। जब बात आती है फ़ैसला लेने की तो लोग यहां-वहां हो जाते हैं और मामला भी।

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संगीता ने यह भी कहा कि किसी भी तरह का harassment ग़लत है। फिज़िकली हो या मेंटली... आपको बोलना चाहिए, इसका विरोध करना ही चाहिए। लेकिन, इसमें सच्चाई होनी चाहिए... ये नहीं कि आप अपने फायदे के लिए किसी को दोषी साबित कर दें!

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