पीरियड में किचन में घुसने की मनाही होती है।
मंदिर जाने की मनाही होती है।
अचार छूने नहीं दिया जाता।
ऐसे ही कई सारी चीजों का पीरियड के दौरान महिलाओं का करना मना है। इस तरह के अनुभव आम लड़कियों से लेकर सेलीब्रिटीज़ तक के रहे हैं। अभी हाल ही में सोनम कपूर ने कहा था कि पीरियड के दौरान उनकी दादी उन्हें मंदिर नहीं जाने देती थी।
खैर ये तो केवल पीरियड के दौरान ही मंदिर जाने की बातें रही हैं। उस मंदिर का क्या... जहां एक खास उम्र की महिलाओं का जाना ही मना है। अगर अब उस मंदिर में जाने वाली महिलाओं को भगवान के दर्शन करने के लिए जाने के लिए अपना age certificate लेकर जाना होगा जिससे कि 10 साल से 50 साल तक की महिलाएं इस मंदिर में ना जा सके।
केरल का सबरीमाला मंदिर
केरल का सबरीमाला मंदिर पिछले कुछ सालों से खबरों में लगातार बना हुआ है। यहां महिलाओं का जाना मना है। जिसके कारण कई समाज सेवी महिलाओं ने इस मंदिर में घुसने के लिए आंदोलन भी किया था। लेकिन अब इस मंदिर में दर्शन-पूजन करने के लिए महिलाओं का जाना अब और भी कठिन हो जाएगा। अब मंदिर में प्रवेश के लिए महिलाओं को अनिवार्य रूप से अपना age certificate दिखाना होगा। इसको दिखाए बगैर मंदिर में उनको जाने नहीं दिया जाएगा।
त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड ने अनिवार्य किया age certificate
त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने मंदिर में जाने वाली महिलाओं के लिए age certificate दिखाना जरूरी कर दिया है। अय्यपा मंदिर में 10 साल से 50 साल तक की महिलाओं का जाना मना है। केवल बुजुर्ग महिलाओं और छोटी बच्चियों ही मंदिर जाकर भगवान की पूजा कर सकती हैं। अय्यपा मंदिर का प्रबंधन टीडीबी ही संभालता है। उसने मौजूदा त्योहारी सीजन के दौरान यह व्यवस्था लागू की है। लेकिन टीडीबी ने नोटिस किया कि पिछले कुछ समय से इस मंदिर में बड़ी उम्र की महिलाएं भी जाने लगी थीं।
बोर्ड ने यह कदम महिलाओं द्वारा मंदिर के नियमों का उल्लंघन करने के कारण उठाया है।अय्यपा मंदिर की व्यवस्था के अनुसार, मासिक धर्म की उम्र वाली महिलाएं मंदिर में दर्शन-पूजन नहीं कर सकती हैं क्योंकि भगवान अय्यपा को नैष्ठिक यानी अखंड ब्रह्माचारी माना जाता है।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है विचाराधीन
टीडीबी के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने कहा कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर आधार कार्ड सहित उम्र प्रमाण के अन्य दस्तावेज देखने के बाद ही किसी महिला को मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित आयु वर्ग की कई महिलाओं द्वारा मंदिर में घुसने की असफल कोशिशों के बाद यह व्यवस्था लागू की गई है। आगे कुमार के कहा कि age certificate होने से महिला श्रद्धालुओं और पुलिसकर्मियों के बीच अनावश्यक विवाद से बचा जा सकता है। ध्यान रहे कि दस से पचास वर्ष के बीच की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह मामला संविधान पीठ के समक्ष विचाराधीन है।
जनवरी के शुरुआत में उठा था ये मुद्दा
ये मामला जनवरी के शुरुआत में शुरू हुआ था जिसके बाद सोशल मीडिया पर भी ये काफी जोरों-शोरों से उठाया गया। कुछ लोग इस मामले के विरोध में थे तो कुछ लोगों को इसके सपोर्ट में है।
Customs aren't written in stone. I think the bar on menstruating women in #Sabarimala is equally regressive as the blanket ban on women in #HajiAli.
— Jagrati Shukla (@JagratiShukla29) January 4, 2018
We shouldn't blindly follow customs. Temples should allow everyone to visit irrespective of caste,sex,age, race,religion,region... https://t.co/v3DR55N8X1
इस मामले पर एक ट्वीटर यूज़र जागृति शुक्ला लिखती हैं कि customs कोई पत्थर में लिखे हुए नहीं होते हैं। मेरे अनुसार महिलाओं को menstruating bar देना उतना ही regressive है जितना कि #HajiAli में महिलाओं के लिए चादर बैन करना। हमलोगों को अंधे होकर customs को फॉलो नहीं करना चाहिए। मंदिर में हर किसी को जाना चाहिए।
This is uncalled for from you. Respect local customs and beliefs. There are temples only for female too. Why do we agitate about it?
— devi (@saradapdevi) January 4, 2018
वहीं इसके रिप्लाई में एक दूसरी यूज़र लिखती हैं कि ये गलत है। सभी local customs और beliefs की इज्जत करनी चाहिए। यहां कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां केवल महिलाएं ही जाती हैं। क्यों इसे हमेशा उठाते हैं।
अब कोई इस मामले के सपोर्ट में हो या फिर विरोध में... लेकिन इतना तो मानना होगा कि केवल मंदिर में घुसने के लिए उम्र प्रमाणपत्र देखना गलत है। कोई किसी से कैसे प्रमाणपत्र देखने के लिए मांग सकता है? ऐसे में तो हर महिला को इस मंदिर में जाने का विरोध करना चाहिए। आगे आपकी मर्जी... !
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