रिलेशनशिप में प्रॉब्लम, स्ट्रेस और झगड़ों की वजह से आजकल कई महिलाओं के सुसाइड के मामले सामने आने लगे हैं। एक ताजा खबर में दिल्ली के हौज खास इलाके में लुफ्तहांसा एयरलाइंस में काम करने वाली एक एयर होस्टेस अनीशिया बत्रा (39) की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। शाम करीब 4.30 के समय हुए सुसाइड से ऐन पहले अनीशिया ने अपने पति को मैसेज भेजा था कि वह एक बड़ा कदम उठाने जा रही हैं। दुखद बाद ये है कि घटना के समय उनके पति मयंक घर ही मौजूद थे। जैसे ही उन्हें ये मैसेज मिला, वे टैरेस की तरफ दौड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अनीशिया ने मैसेज भेजने के तुरंत बाद छलांग लगा ली थी। बताया जा रहा है कि अनीशिया और मयंक के रिश्ते अच्छे नहीं थे और उनमें अक्सर झगड़े होते थे। शादी से बाद से अनीशिया की मौत से पहले तक इस कपल के झगड़े की शिकायत चार बार थाने में पहुंची थी। चारों बार ही पुलिस ने इनका समझौता कराकर इन्हें वापस भेज दिया था, लेकिन इस बार बात हद से आगे बढ़ गई।
बताया जा रहा है कि मयंक ने अनीशिया से पहले किसी और से शादी की थी और इस बारे में परिवार वालों को कोई खबर नहीं थी। पति-पत्नी में आए दिन झगड़ा होता था। अनीशिया की मां का आरोप है कि शादी के बाद से पति मयंक ने उसके साथ मारपीट शुरू कर दी थी।
जिंदगी में हर तरह की मुश्किलें आती हैं, लेकिन हालात ऐसे मोड़ तक ना पहुंचे, इसके लिए महिलाओं को खुद सजग रहने की जरूरत है। समस्याओं से तंग आकर एक्सट्रीम स्टेप उठा लेना और अपनी जिंदगी खत्म कर लेना गलत है। जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं जब हमें बेबसी सी महसूस होती है। आइए जानें कि सुसाइड की फीलिंग किन कारणों से जन्म लेती है और उसके संकेत पहचानकर आप अपनी और दूसरे लोगों की बेशकीमती जिंदगी बचा सकती हैं-
ये हैं सुसाइड की वजहें
सुसाइड प्रिवेंशन के लिए काम कर रही संस्थाओं का मानना है कि महिलाएं मुख्य रूप से सामाजिक, आर्थिक व मेडिकल कारणों से यह कदम उठाने की सोचती हैं। सामाजिक कारणों में रिलेशनशिप प्रॉब्लम्स जैसे कि अफेयर, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और मैरिड लाइफ से जुड़ी प्रॉब्लम आती हैं। आर्थिक कारणों में नौकरी छूटना, आमदनी का जरिया न होना, कर्जे जैसी चीजें आती हैं। वहीं मेडिकल कारणों में लाइलाज शारीरिक व मानसिक बीमारियां आती हैं, जिनमें डिप्रेशन और उम्र ढलने के साथ आने वाली समस्याएं शामिल हैं।
इन संकेतों से रहें एलर्ट
सुसाइड के बारे में सोचने वाला व्यक्ति एक्सट्रीम स्टेप उठाने से पहले कई तरह के संकेत देता है, जो डायरेक्ट या इन्डायरेक्ट हो सकते हैं। एलर्ट रहने पर इनका पता लगाया जा सकता है। साइकोलॉजिस्ट्स मानते हैं कि कोई भी इंसान मरना नहीं चाहता, मजबूरी में ही वह फैसला लेता है। पीड़ित व्यक्ति चाहता है कि कोई उसका दर्द सुन ले और उसे सहारा दे दे। अगर वक्त रहते इन संकेतों को समझ लिया जाए और पीड़ित की मदद कर दी जाए तो कई महिलाओं की जिंदगी बचाई जा सकती है।
इन सिगनल को पहचानें
- जिंदगी जीने की चाह ना होना, मरने के बारे में बार-बार कहना, बिनी किसी अहम वजह के जिंदगी के महत्वपूर्ण कामों को प्रायोरिटी पर निपटाने लगना।
- परिवार में या दोस्तों के बीच अचानक गुडबाय या अलविदा जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना या इसके मेसेज भेजना या इस तरह के मैसेज अपने स्टेटस में डालना आदि।
- अपनी फेवरेट या सबसे स्पेशल चीजों को किसी और को यूं ही दे देना।
- हॉबीज या पसंदीदा चीजों में किसी तरह की रुचि ना दिखाना या उनकी अनदेखी करना।
मदद का हाथ बढ़ाती हैं ये संस्थाएं
आत्महत्या से रोकने में कई संस्थाएं मदद कर रही हैं। ‘बीफ्रेंडर्स इंडिया’, ‘संजीवनी’ जैसी तमाम संस्थाएं लोगों की मेंटल हेल्थ बेहतर करने की दिशा में काम काम कर रही हैं। दिल्ली की संस्था ‘सुमैत्री’ लोगों की तकलीफें और दर्द सुनती हैं। अपनी तकलीफें साझा करने या मदद की गुहार लगाने के लिए इसके फेसबुक पेज 'सुमैत्री-ए क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर' को विजिट किया जा सकता है। ये संस्थाएं समस्याएं दूर नहीं करतीं, बल्कि व्यक्ति को इस तरह से सपोर्ट करती हैं कि वह अपनी जिंदगी के चैलेंजेस के साथ फाइट करने के लिए फिर से तैयार हो जाता है। इसी तरह 'संजीवनी' में आत्महत्या से बचाव संबंधी काउंसिलिंग की जाती है।
डिप्रेशन से रहें दूर
आत्महत्या की एक बड़ी वजह डिप्रेशन है। जब महिलाएं खुद को असहाय पाती हैं तो वे डिप्रेशन में जाने लगती हैं। पेचीदा सवाल और लंबे वक्त से जारी अनिश्चितता किसी इंसान को उस मोड़ पर ले जाती है, जहां उसकी पॉजिटिविटी कम होने लगती है और वह नेगेटिव बातें सोचने लगता है। इससे बचाव के लिए डॉक्टरी सलाह लें और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं।
योग और एक्सरसाइज से बनेगी बात
रोजाना वर्कआउट, योग और ध्यान करने से आपका मन शांत और स्थिर हो जाएगा। साथ ही अपनी हॉबीज पर फोकस करें और अपने नजदीकी लोगों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। मुमकिन हो तो भरोसेमंद व्यक्ति के साथ अपनी समस्याएं शेयर करें या मनोचिकित्सक की सलाह लें। आउटडोर गेम्स में हिस्सा लेने और अपने फेवरेट सॉन्ग सुनने से भी आपको बेहतर महसूस होगा।
न्युट्रिशन से युक्त हो डाइट
अच्छी डाइट से डिप्रेशन से निपटने में काफी मदद मिलती है। न्युट्रिशन से युक्त खाना खाएं। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और मिनरल भरपूर हों जैसे कि ओट्स, गेहूं आदि अनाज, अंडे, दूध-दही, पनीर, हरी सब्जियां और मौसमी फल आदि। एंटी-ऑक्सिडेंट और विटामिन-सी से युक्त चीजें खाएं, जैसे कि ब्रोकोली, अखरोट, किशमिश, जामुन, सीताफल, कीवी आदि। ओमेगा-थ्री फैटी एसिड्स वाली डाइट जैसे कि फ्लैक्स सीड्स (अलसी के बीज), नट्स, सोयाबीन आदि खाएं। इसके अलावा पानी, नारियल पानी, छाछ आदि भी खूब पिएं।
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