Ramadan 2025 Taraweeh Ki Dua: इस्लाम धर्म का पालन करने वालों के लिए रमज़ान का महीना साल के सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। रमज़ान महीने भर चलने वाला पवित्र त्योहार है और इस दौरान मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजे रखते हैं। इस महीने में मुसलमान अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और हंसी-खुशी के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
आमतौर पर, रमज़ान की तारीख चांद निकलने पर निर्भर करती है और इस साल रमज़ान का महीना 28 फरवरी या 1 मार्च से शुरू होने वाला है। हालांकि, तारीख चांद के हिसाब से बदल भी सकती है। अगर रमज़ान का महीना 1 मार्च से शुरू होता है, तो 30 मार्च को यह खत्म हो जाएगा। रमज़ान के आखिरी दिन ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है।
कहा जाता है कि रमज़ान के पाक महीने में अच्छाई बुराई पर हावी हो जाती है। इस दौरान, मुसलमान अपनी इच्छाओं को काबू में रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं और दिन में 5 बार नमाज़ भी अदा करते हैं। वहीं, रमज़ान के महीने में तरावीह की नमाज़ भी पढ़ी जाती है। यह नमाज़ ईशा की नमाज़ के बाद की जाती है, जिसमें कुल 20 रकात होती हैं और हर 2 रकात के बाद सलाम फेरना होता है।
वहीं, महिलाओं के लिए 20 रकात की नमाज़ होती है, जबकि पुरुषों के लिए तरावीह में कुरान पढ़ना जरूरी माना जाता है। इसके अलावा, तरावीह नमाज़ के दौरान कुछ खास दुआएं भी पढ़ी जाती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि तरावीह, तरावीह करने की नियत, तारावीह की दुआ और तरावीह नमाज़ पढ़ने का सही तरीका क्या है?
तरावीह क्या है? (Taraweeh ki Namaz kya Hai)
तरावीह एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है आराम और तेहेरना। यह नमाज़, रमज़ान के महीने में ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है। इसमें कुल 20 रकात होती हैं और हर 4 रकात के बाद खास दुआ पढ़ी जाती है। तरावीह की नमाज़ पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अहम मानी जाती है। हालांकि, महिलाओं के लिए कुरान की 10 सुरतों वाली तरावीह पढ़ना सही माना जाता है। यह खास नमाज़, रमज़ान में अल्लाह की इबादत और बरकत पाने के लिए पढ़ी जाती है।
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तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua)
जिस तरह से रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने की दुआ पढ़ना जरूरी है, उसी तरह तरावीह की दुआ पढ़ाना भी जरूरी है। रमज़ान में तरावीह की दुआ का खास महत्व होता है। अगर बिना दुआ के नमाज़ पढ़ी जाए, तो इसका सवाब कम हो जाता है।
हिंदी में तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua in Hindi)
सुबहान ज़िल मुल्कि वल मलकूत, सुब्हान ज़िल इज्ज़ति वल अज़मति वल हय्बति वल कुदरति वल किबरियाई वल जबरूत, सुबहानल मलिकिल हैय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमुतू सुब्बुहून कुददुसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर रूह, अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नारि या मुजीरू या मुजीरू या मुजीर
उर्दू में तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua in Urdu)
سبحان ذي الملك و الملكوت سبحان ذي العزة و الجبروت سبحان الحي الذي لا يموت
سبحان الذي خضعت لعظمته الرقاب سبحان الذي ذلت لجبروته الصعاب سبحان رب الأرباب مسبب الأسباب
سبحان خالق الخلق من تراب سبحان الذي في السماء عرشه و في الأرض سلطانه
سبحان الذي لا تراه في الدنيا العيون و لا تخالطه الظنون
इंग्लिश में तरावीह की दुआ (Taraweeh ki Dua in English)
Subhana zil mulki wal malakut. Subhana zil izzati wal azmati wal haibati wal qudrati wal kibriya ay wal jabaroot. Subhanal malikil hayyil lazi la yanaamo wala yamato subbuhun quddusun rabbuna wa rabbulmalaikati war ruh-allahummaajirna minan naar ya mujiro ya mujiro ya mujeer.
तरावीह की नियत करने का तरीका (Taraweeh ki Niyat Karne Ka Tarika)
आपको बता दें कि तरावीह की नमाज़ पढ़ने में करीब 2 घंटे लगते हैं और इसे पूरे रमज़ान पढ़ना जरूरी होता है। इसका पुण्य तभी मिलता है, जब इसे बिना किसी रुकावट के रोज़ाना पढ़ा जाता है यानी रमज़ान के महीने में इसे छोड़ना नहीं चाहिए। अब जानते हैं कि तरावीह की सही नियत कैसे की जाती है।
पुरुषों द्वारा तरावीह की नियत करने का तरीका
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का, पीछे इस इमाम के मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर कहकर हाथ बाँध होता है और फिर सना पढ़ना होता है !
महिलाओं द्वारा तरावीह की नियत करने का तरीका
नियत करती हूं मैं दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह की, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का, मुहं मेरा मक्का कअबा की तरफ, अल्लाहु अकबर कहकर, फिर हाथ ऊपर करके नियत बांध लेते हैं।
तरावीह की नमाज़ पढ़ने का तरीका (Tarabi ki Namaz Padhne ka Tarika)
रमज़ान के महीने में तरावीह की नमाज़ पढ़ने का तरीका पुरुषों और महिलाओं के लिए थोड़ा अलग-अलग है। अगर आप जमात के साथ नमाज़ पढ़ रहे हैं, तो इसमें इमाम कुरान की तिलावत करते हैं। लेकिन, अगर आप घर पर तरावीह पढ़ रहे हैं, तो हर 2 रकात में 30वें पारे की 10 सूरतें पढ़नी चाहिए। केवल महिलाएं घर पर तरावीह की नमाज़ पढ़ सकती हैं।
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तरावीह की दुआ के फायदे (Taraweeh ki Dua ke Fayde)
तरावीह की नमाज़ पढ़ने के कई फायदे भी हैं। इस्लाम में कुरान पढ़ना बहुत पाक माना जाता है और तरावीह के दौरान कुरान की तिलावत करने का मौका मिल जाता है, जिससे दिल को सुकून मिलता है। साथ ही, इफ्तार के बाद तरावीह की नमाज़ पढ़ने से बॉडी की अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है।
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