आज भी देश में ऐसी कई बेटियां होंगी जो शोषण के बाद भी चुप होंगी। कौन कहता है कि महिलाओं का शोषण केवल घर के बाहर ही होता है? यहां तो हर दिन कई मासूम, मां और दादी के उम्र की महिलाओं का शोषण उनके रिश्तेदारों द्वारा किया जा रहा है। आए दिन आपको ऐसी खबरें सुनने और पढ़ने को मिल जाएंगी कि माता-पिता घर में नहीं थे, तो लड़की की मामा ने उसके साथ गलत हरकत की। जब बेटियां घर में ही सुरक्षित नहीं है, तो हम बाहर के लोगों से कैसे अपनी बेटी को बचाएंगे।
कई बार देखा जाता है कि बेटी के साथ गलत हरकत होने पर माता-पिता इसकी शिकायत दर्ज करने पुलिस स्टेशन नहीं जाते। इतना ही नहीं वह बेटी को चुप रहने की भी सलाह देते हैं। लेकिन क्यों? क्यों बेटियां घर में हो रहे शोषण का विरोध करने से डरती है, क्यों उन्हें घर में ही चुप रहकर बैठने को बोल दिया जाता है। आज के इस आर्टिकल के लिए हमने साइकोलॉजिस्ट डॉ. निखिल नायर से बातचीत की। इसपर उन्होंने लड़कियों के मानसिक हालात और उनकी सोच के बारे में बताया, जिसकी वजह से बेटियां आवाज उठाने से डरती है।
क्यों शोषण के बाद भी चुप रहती हैं लड़कियां?
भरोसा

कई बार लड़कियों को ऐसा भी लगता है कि अगर वह इस बात को किसी के बारे में बताएंगी, तो शायद कोई उसके ऊपर कोई भरोसा न करे। ऐसा भी हो सकता है कि परिवार के लोग उसके ही चरित्र पर सवाल खड़े करने लगे। इसलिए वह इन बातों को दबाकर ही रखना पसंद करती है। पीड़ितों को अक्सर संदेह होता है कि उनके आरोपों को गंभीरता से लिया जाएगा, या नहीं। खासकर अगर दुर्व्यवहार करने वाला परिवार का कोई भरोसेमंद सदस्य हो तो। लेकिन उसके खिलाफ विरोध नहीं करने की वजह से उसे बार-बार इस तरह के शोषण का सामना करना पड़ता है।यौन उत्पीड़न के ये मामलेबताते हैं कि आज महिलाएं घर पर भी सुरक्षित नहीं है।
माता-पिता का दबाव
अक्सर माता-पिता भी लड़कियों को चुप रहने के लिए मजबूर करते हैं। उन्हें लगता है कि अगर वह शिकायत करेंगे, तो शायद उनकी बेटी पर समाज सवाल खड़े करने लगेगा। साथ ही, इस तरह की चीजों में पुलिस में जाकर कंप्लेन करने से उनके घर की ही बदनामी होगी। इसलिए हो सकता है कि वह अपनी बेटी को चुप रहने की सलाह देते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि माता-पिता खुद ही अपनी बेटी को ऐसे नरक की तरफ धकेल देते हैं। जिसकी वजह से लड़कियों को लगता है कि कोई उसका साथ नहीं देगा, इसलिए शिकायत करने से कोई फायदा नहीं होने वाला। कई बार आपसी सहमति भी पीड़िता को चुप रहने के लिए मजबूर कर देती है। गलत हरकत होने के बाद माता-पिता खुद अपनी बेटी का रिश्ता उस आरोपी के साथ जोड़ देते हैं, जिसने उसके साथ गलत किया था।
विरोध का डर
अक्सर लड़कियां घर में हो रहे हिंसा पर इसलिए चुप बैठती है कि कहीं उसे शिकायत करना भारी न पड़ जाए। उसे इस बात का डर रहता है कि अगर वह उसकी शिकायत करने गई और पुलिस ने कुछ नहीं किया, तो उसे इससे भी बुरा कुछ सहना पड़ जाएगा। लड़कियों से बदला लेने के कई केसिस जैसे एसिड अटैक, किडनैपिंग और गैंगरेप जैसी घटनाएं सामने आती रहती हैं। ऐसी बातें उसके मन में बैठी हो सकती है, जिसकी वजह से वह चुप रहना ही पसंद करती है।
धमकी
कई बार पीड़िताओं को धमकी के डर से भी चुप बैठना पड़ता है। हो सकता है कि उसकी कोई ऐसी वीडियो हो जिसे आरोपी वायरल कर दे। ऐसा भी हो सकता है कि आरोपी उसे धमकी दे रहा हो कि अगर किसी से बोला, तो वह उसके परिवार के सदस्यों को हानि पहुंचाएगा। इस तरह की धमकियों से परेशान होने की वजह से कई बार लड़कियां चुप रहने को मजबूर हो जाती है।
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image credit- freepik
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