देश की सबसे प्रसिद्ध राजनीतिक पार्टी कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाली इंदिरा गांधी की नातिन प्रियंका गांधी ने आम चुनाव से ऐन पहले आखिरकार सक्रिय राजनीति में आ ही गईं। राहुल गांधी ने प्रियंका को पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाकर ना सिर्फ कांग्रेस को मजबूत किया है, बल्कि आम चुनावों के लिए बीजेपी के सामने बड़ा चैलेंज भी पेश कर दिया है। हालांकि प्रियंका गांधी के बढ़ते राजनीतिक कद से साफ है कि सोनिया गांधी अब सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रही हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि बेटी प्रियंका भाई राहुल के लिए मजबूत सहारा बनकर उभरी हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस परिवार से बड़े राजनीतिज्ञों जैसे कि मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, विजयलक्ष्मी, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, मेनका गांधी, राहुल गांधी, वरुण गांधी के बाद प्रियंका गांधी-नेहरू परिवार की 12वीं सदस्य होंगी, जो राजनीति में एंट्री ले रही हैं।
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जहां इंदिरा बैठती थीं, वहीं बैठेंगी प्रियंका
प्रियंका को ऐसे समय में पार्टी में लाया गया, जब कांगेस के पास महज 45 सीटें हैं, लेकिन हाल ही में चार राज्यों के चुनावों में कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता और प्रियंका गांधी की पूर्वी यूपी की महासचिव बनाया जाना दोनों कांग्रेस की मजबूत होती स्थिति की तरफ इशारा करते हैं। कांग्रेस यूपी में प्रियंका के जरिए इंदिरा गांधी के प्रशंसकों को पार्टी के साथ कनेक्ट करना चाहती है। इसलिए नेहरू भवन के उसी कमरे को प्रियंका का ऑफिस बनाने का काम शुरू कर दिया गया, जहां कभी इंदिरा गांधी बैठा करती थीं। अगर प्रियंका गांधी का जलवा दिखा तो इंदिरा गांधी की तरह उनके नेतृत्व में कांग्रेस फिर से सत्ता में लौट सकती है।
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गांधी-नेहरू परिवार से राजनीति में आने वाली महिलाएं
विजयलक्ष्मी: जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित 1946 यूनाइटेड प्रोविंस से विधानसभा पहुंचीं थीं। दो बार फूलपुर से सांसद और महाराष्ट्र की राज्यपाल भी रहीं।
इंदिरा गांधी: 1959 में 42 साल की उम्र में कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं, 3 बार कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। 1966 से 1977 और 1980 से 1984 तक देश की प्रधानमंत्री रहीं।
मेनका गांधी: केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी 1988 में जनता दल की महासचिव बनाई गईं। 1989 में पहली बार पीलीभीत से सांसद बनीं और 7 बार से सांसद हैं।
सोनिया गांधी: सोनिया गांधी 52 की उम्र में 1998 में कोलकाता में कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गईं। वह 2017 तक यानी 19 साल पार्टी अध्यक्ष रहीं, 2009 से सांसद हैं।
प्रियंका गांधी वाड्रा: प्रियंका 47 साल की उम्र में कांग्रेस की महासचिव बनाई गईं। इससे पहले प्रियंका अमेठी और रायबरेली में ही पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करतीं रही हैं।
बीजेपी के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है कांग्रेस
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मध्यकालीन इतिहास विभाग के भूतपूर्व एचओडी, वरिष्ठ इतिहासकार और चर्चित ऐतिहासिक किताबों के सुप्रसिद्ध लेखक रहे हेरंब चतुर्वेदी ने प्रियंका गांधी के बढ़ते कद पर कहा, 'राजनीति में टाइमिंग महत्वपूर्ण है और राजनीति में ऐसा दांव खेलने की जरूरत होती है, जिससे प्रतिद्वंद्वी चित्त हो जाए और यह ऐसा ही दांव है। कांग्रेस इस समय चढ़ान पर है। जो भी समस्या है वह प्रियंका के पति वाड्रा को लेकर है। पहले के समय में परिवार की स्थितियां अलग थीं। सीडब्ल्यूजी के सदस्यों को लगा कि 5 साल में ये प्रतिद्वंदी को जवाब नहीं दे पाएंगे। उस समय में नई शादी हुई थी, तब खुद कहा था मुझे बच्चों का पालनपोषण करना है। इस परिवार की खासियत है कि यह अपनी प्रायोरिटीज को लेकर बहुत स्पष्ट रहा है। जब इंदिरा गांधी ने फिरोज गांधी को पसंद किया था, तब जवाहर लाल नेहरू ने उनसे कहा था, तुम्हें और लड़के देखने चाहिए, इस पर इंदिरा जी का जवाब था, मेरा जवाब फाइनल है। जब इंदिरा अपने पति से अलग रहने लगी थीं, तो यह फैसला उनका अपना था, उन पर नेहरू जी का दबाव नहीं था। जब नेहरू जी ने अपने पिता मोती लाल नेहरू से कहा था, मुझे राजनीति करनी ही करनी है, तो उन्होंने कहा था अगर तुमने फैसला कर लिया है तो सबसे पहले जाओ और सीखो कि काम कैसे किया जाता है। इस परिवार में लोकतांत्रिक तरीके से फैसले लिए जाने की परंपरा रही है।'
हेरंब चतुर्वेदी ने प्रियंका गांधी से लेकर उम्मीदों पर आगे कहा, 'इंदिरा गांधी के साथ देश वासियों का जिस तरह का कनेक्ट था, उसी चीज की उम्मीद प्रियंका गांधी से भी की जाती है। अगर इस समय प्रियंका गांधी इस समय में कांग्रेस के साथ नहीं जुड़तीं तो उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में बीजेपी का सामना करना कांग्रेस के लिए बहुत मुश्किल हो जाता। भारतीय विकास में इंदिरा गांधी का योगदान रहा है, उसी की झलक देशवासी प्रियंका में देखते हैं, उनकी चाल-ढाल और पर्सनेलिटी इंदिरा से काफी मिलती-जुलती है। स्वयं इंदिरा जी की इच्छा थी कि प्रियंका राजनीति में जरूर आए। अब जबकि प्रियंका गांधी के बच्चे बड़े हो चुके हैं, वह कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभालने में प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं। साथ ही इस परिवार में भाई-बहन का रिश्ता बहुत मजबूत रहा है। प्रियंका और राहुल ने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है और जरूरत में साथ खड़े नजर आए हैं। फिलहाल प्रियंका पूरक की भूमिका में हैं, युवा हैं, जो काफी अच्छा है। बीजेपी और अमित शाह प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए, उसका मजबूती से सामना करने और कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिहाज से यह बदलाव काफी अच्छा है। '
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