इस समय में बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा सबसे अहम मुद्दा बना हुआ है। कल रात उन्नाव रेप पीड़िता की कार्डिएक अरेस्ट के बाद मौत हो गई। इस रेप पीड़िता के दोषी जेल से बेल पर छूटे थे और उन्होंने जेल से बाहर निकलते ही पीड़िता को जिंदा जला दिया। इससे पहले हैदराबाद और मालदा की रेप विक्टम में भी महिलाओं के साथ रेप और उन्हें जिंदा जला दिए जाने के मामले सामने आए। ऐसे मामले सामने आने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बयान दिया है कि नाबालिगों को सेक्शुअल अब्यूज से बचाने के लिए POCSO एक्ट को सख्त बनाते हुए दोषी पाए गए किसी को भी दया याचिका दायर करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
राजस्थान के सिरोही में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, "महिला सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। POCSO एक्ट के तहत रेप के दोषियों को दया याचिका दायर करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। संसद को दया याचिकाओं की समीक्षा करनी चाहिए।"
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अंग्रेजी के POCSO की फुल फॉर्म है Protection of Children from Sexual Offences, इस एक्ट के तहत नाबालिक बच्चों के साथ होने वाली यौन हिंसा और छेड़छाड़ जैसे मामलों पर कार्रवाई की जाती है। बच्चों के साथ पोर्नोग्राफी जैसे मामलों में भी इस एक्ट की धाराएं लागू होती हैं।
इस एक्ट की धारा 4 के तहत बच्चों के साथ यौन हिंसा या रेप करने वालों को 7 साल की सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड दिया जा सकता है। वहीं धारा 6 के तहत ऐसे मामले आते हैं, जिनमें बच्चों को रेप के बाद गंभीर चोटें आीं हों। इसमें दोषी पाए जाने वाले अपराधियों को 10 साल की उम्र कैद की सजा हो सकती है और उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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वहीं धारा 7 और 8 के तहत ऐसे मामले रजिस्टर किए जाते हैं, जिनमें बच्चों के प्राइवेट पार्ट्स के साथ छेड़छाड़ हुई होती है। इस धारा के तहत दोषियों को 5 से 7 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।
पॉक्सो एक्ट की धारा 3 में पेनिट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट का जिक्र है, जिसके तहत बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ करने वाले अपराधियों को कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान है।
अगर बच्चे की उम्र 18 साल से कम है तो उसके साथ होने वाली यौन हिंसा और रेप पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए जाते हैं। इसमें बच्चे और बच्चियों, दोनों के साथ होने वाली यौन हिंसा के लिए सजा के प्रावधान एक जैसे हैं। इस एक्ट के तहत मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।
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